Budget 2025 : साउथ से Tax आता है, Bihar में घुस जाता है, सरकारी लड्डू और पैसों का गणित

बिहार को मिल रहे सरकारी फंड और टैक्स का राजनीतिक गणित, जानें कैसे टैक्स देने वाले राज्यों से पैसा लेकर बिहार में जा रहा है, और क्यों यह सब सिर्फ चुनावी वादों तक सीमित है.;

By :  अमन बिरेंद्र जायसवाल
Updated On : 1 Feb 2025 2:29 PM IST

भाइयों और बहनों, बजट आ चुका है! और बजट आते ही बिहार के हिस्से में फिर से सरकारी लड्डू बंट चुके हैं. इस बार मखाना बोर्ड बना है, नहर का पानी बहने वाला है, और विकास की गंगा फिर से बिहार में उतर रही है. लेकिन सवाल ये है कि ये पैसा आता कहां से है? इस पर नजर डालते हैं एक बेहद दिलचस्प आंकड़े पर.

अगर आप और हम दिए गए ग्राफ को गौर से देखें, तो तस्वीर बिल्कुल साफ है. महाराष्ट्र जो देश की आर्थिक राजधानी है, वहां से हर ₹100 टैक्स देने के बदले सिर्फ ₹7.7 वापस आता है. कर्नाटक, जो IT हब है और जहां से टेक्नोलॉजी की दुनिया चलती है, वहां से ₹100 देने पर सिर्फ ₹13.9 वापस आता है. लेकिन बिहार? भाई साहब, यहाँ जादू हो जाता है! यहां ₹100 का टैक्स देने की जरूरत ही नहीं है, बल्कि 922.5 मिलते हैं! मतलब अगर बिहार वालों से पूछा जाए कि 'आप टैक्स भरते हैं क्या?' तो जवाब आएगा—'अबे, टैक्स भरेंगे क्यों? टैक्स तो बाकी देश के मूर्खों का काम है, हमारा तो बस लेना और खर्च करना है!'

 

ये कैसा सिस्टम है भाई?

महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और तेलंगाना जैसे राज्यों में लोग मेहनत करके टैक्स भर रहे हैं, और फिर सरकार ये पैसा बिहार जैसे राज्यों में ऐसे डाल रही है जैसे कोई अमीर बाप अपनी बिगड़ी औलाद को पॉकेट मनी दे रहा हो!

और फिर बिहार में क्या होता है? पैसा तो आता है, लेकिन ज़मीन पर कुछ दिखता नहीं! रोड वहीं टूटी हुई, बिजली वहीं गुल, और रोजगार? अरे भाई, अगर बिहार में रोजगार होता तो वहां के नेता हर पांच साल में 'बिहारी युवाओं को बिहार में नौकरी देने' का झूठा वादा क्यों करते?

ये विकास नहीं, राजनीतिक गणित है!

बिहार इस साल चुनावी मोड में है, और सरकार को पता है कि यहां वोट के लिए कुछ फेंकना ज़रूरी है. इसलिए बजट में बिहार के लिए पैसा बरस रहा है. आंध्र प्रदेश को कुछ नहीं मिला क्योंकि वहां चुनाव नहीं हैं, लेकिन बिहार में वोटों की खेती करनी है, तो पैसा लुटाओ!

कौन समझाए सरकार को?

अगर वाकई भारत को आगे बढ़ाना है, तो ये 'फ्री मनी' स्कीम बंद करनी होगी. बिहार जैसे राज्यों को आत्मनिर्भर बनाना होगा, सिर्फ टैक्स-चूसने वाला पिशाच नहीं! टैक्स उन राज्यों से आता है जो वाकई कुछ प्रोड्यूस कर रहे हैं—इंडस्ट्री, टेक्नोलॉजी, इनोवेशन. लेकिन पैसा ऐसे राज्यों में चला जाता है जहां से पलायन ही सबसे बड़ा एक्सपोर्ट है!

तो भाइयों, अगली बार जब आप टैक्स भरो, तो एक बार सोचो—क्या वो पैसा सच में विकास के लिए जा रहा है, या बस "राजनीतिक खेल" में किसी और की जेब में घुस रहा है?

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