दार्जिलिंग डूबा, मिरिक में मौत का मंजर! अब तक 28 मौत, कई लापता- पढ़ें Top Update
उत्तर बंगाल के पहाड़ों और मैदानों में शनिवार रात से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने रविवार सुबह तक भी राहत नहीं दी. लगातार होती बारिश ने पहाड़ों को खिसका दिया, नदियों को उफान पर ला दिया और कई इलाकों को पानी में डुबो दिया. दार्जिलिंग से लेकर कूचबिहार तक तबाही का मंजर फैल गया. पुल बह गए, सड़कें टूट गईं और दर्जनों गांव दुनिया से कट गए.;
उत्तर बंगाल के पहाड़ों और मैदानों में शनिवार रात से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने रविवार सुबह तक भी राहत नहीं दी. लगातार होती बारिश ने पहाड़ों को खिसका दिया, नदियों को उफान पर ला दिया और कई इलाकों को पानी में डुबो दिया. दार्जिलिंग से लेकर कूचबिहार तक तबाही का मंजर फैल गया. पुल बह गए, सड़कें टूट गईं और दर्जनों गांव दुनिया से कट गए.
अब तक 28 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई लापता हैं. सबसे भयावह हालात दार्जिलिंग जिले के मिरिक हिल स्टेशन में हैं, जहां भारी भूस्खलन और बाढ़ के बीच 13 शव मिले हैं. बचाव दलों को ऊंचाई वाले इलाकों तक पहुंचने में मुश्किलें आ रही हैं.
मिरिक में सबसे ज्यादा तबाही, 13 शव बरामद, सिलीगुड़ी से कटा संपर्क
दार्जिलिंग के मिरिक इलाके में बारिश ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. प्रसिद्ध सुमेंदु झील और कंचनजंघा के नजारों के लिए मशहूर इस जगह पर घर, पुल और सड़कें सब बह गए. अधिकारियों के मुताबिक, 13 लोगों के शव मिले हैं, जबकि 10 लोग, जिनमें कोलकाता के पर्यटक हिमाद्रि पुरकायत भी शामिल हैं, अभी तक लापता हैं. बचाव टीमें चेतावनी दे रही हैं कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है.
पीएम मोदी ने जताया शोक, हरसंभव मदद का भरोसा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर शोक जताते हुए कहा कि 'दार्जिलिंग में पुल हादसे के कारण जनहानि से अत्यंत व्यथित हूं... भारी वर्षा और भूस्खलन की स्थिति पर नजर रखी जा रही है. हम हरसंभव सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. बारिश के कारण उत्तर बंगाल के कई महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग टूट गए हैं. बालासन नदी पर स्थित लोहे का पुल बह गया, जो सिलीगुड़ी और मिरिक के बीच एकमात्र सीधा रास्ता था.
इसी तरह, पुलबाजार पुल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे थनालाइन और बिजनबाड़ी के कई हिस्से कट गए. रोहिणी रोड धंस गई, जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग NH10, जो सिक्किम की लाइफलाइन माना जाता है, चित्रे में भूस्खलन के कारण बंद कर दिया गया. दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे ने अपनी सेवाएं अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी हैं. दुर्गा पूजा की छुट्टियों में घूमने पहुंचे सैकड़ों सैलानी अब पहाड़ियों और जंगलों में फंसे हुए हैं. डुआर्स, कालिम्पोंग और दार्जिलिंग के रिसॉर्ट्स में बिजली और नेटवर्क बंद हैं, सड़कें बह चुकी हैं. कुछ लोगों ने जान बचाने के लिए जिपलाइन और रस्सियों का सहारा लिया.
कोलकाता की प्रिया बनर्जी ने बताया कि पानी का बहाव इतना तेज था कि हमें इंसानी चेन बनानी पड़ी. चार घंटे पैदल चलकर किसी तरह गाड़ी मिली. अलीपुरद्वार में फंसीं पर्यटक सेंजुति घोष ने कहा कि “हम पूरा दिन फंसे रहे, फिर फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों ने सफारी में इस्तेमाल होने वाले हाथियों से हमें निकालकर सुरक्षित जगह पहुंचाया.”
महाानंदा, जलढाका और तीस्ता नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है. रविवार दोपहर तक सेना और NDRF की टीमें राहत कार्य में जुट गईं. भारी जलभराव के कारण जंगलों में भी अफरा-तफरी मच गई. हाथी, गैंडे, हिरण और बाइसन को बाढ़ग्रस्त इलाकों से भागते देखा गया. ममता बनर्जी ने ली स्थिति की समीक्षा, सोमवार को दौरे पर जाएंगी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्थिति को “बेहद गंभीर” बताया और आपात बैठक बुलाई.
उन्होंने कहा कि 'उत्तर और दक्षिण बंगाल के कई इलाकों में अचानक हुई भारी बारिश और भूटान-सिक्किम से आए अतिरिक्त जल ने बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी है. 12 घंटे में 300 मिमी से अधिक बारिश दर्ज हुई. मैं मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करती हूं और तत्काल सहायता के आदेश दिए हैं.”
उन्होंने सभी पर्यटन स्थलों को अस्थायी रूप से बंद करने का निर्देश दिया और हेल्पलाइन नंबर जारी किए. सरकार ने आश्वासन दिया कि सैलानियों के रेस्क्यू और वापसी का पूरा खर्च राज्य वहन करेगा. रेलवे और हवाई सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. कई सैलानी न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन और बागडोगरा एयरपोर्ट तक नहीं पहुंच पाए, जिससे दर्जनों उड़ानें और ट्रेनें छूट गईं. स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे फिलहाल यात्रा न करें और पुलिस के सोशल मीडिया हैंडल पर जारी निर्देशों का पालन करें.