Bengal Election 2026: घुसपैठ, घूस और घमंड की जंग- क्या ममता बनर्जी के अब कोई मरहम काम नहीं आएगा?
बीजेपी 2026 के बंगाल चुनाव को लेकर पूरे जोश के साथ मैदान में उतरती दिख रही है. घुसपैठ, महिलाओं की सुरक्षा, हिंसा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर अमित शाह ने ममता बनर्जी सरकार पर सवाल उठाते हुए बदलाव की बात कही. 2011 से 2021 तक सीटों में रॉकेट जैसी ग्रोथ का जिक्र करते हुए पार्टी ने इस बार दो तिहाई बहुमत से जीत का भरोसा जताया. पर ममता ने कहा रुको- ये भी तो बताते जाओ अगर बंगाल से घुसपैठ होती है तो पहलगाम क्या था?;
बंगाल में भारतीय जनता पार्टी चौथी बार 'चौका' लगाने के मूड में साफ नज़र आ रही है. जिस अंदाज़ में अमित शाह ने मंच से चुन-चुनकर घुसपैठियों को बाहर निकालने की कसम खाई, ठीक उसी रणनीति के साथ वे उन इलाकों में पार्टी को मज़बूत करने में जुटे हैं, जहां कभी बीजेपी का नामोनिशान तक नहीं था.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनका यह कहना कि यहां पर परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा, इस बात का संकेत है कि यह चुनाव उनके लिए सिर्फ एक राजनीतिक मुकाबला नहीं, बल्कि ‘करो या मरो’ की लड़ाई बन चुका है. टीएमसी के 15 वर्षों के शासन में जहां बंगाल धीरे-धीरे कमजोर हुआ, वहीं बीजेपी हर साल मज़बूत होती गई. 2011 में शून्य, 2016 में तीन और 2021 में 77 सीटों तक पहुंची पार्टी इस बार किसी भी तरह का अधूरा खेल खेलने के मूड में नहीं है.
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ममता बनर्जी की निगहबानी में घुसपैठ हो रही है- अमित शाह ने कहा. ऐसी कौन सी सरकार है, जो फेंसिंग के लिए जमीन नहीं देती- अमित शाह ने कहा. इस बार का चुनाव घुसपैठ के मसले पर ही लड़ा जाएगा- यह भी उन्होंने ही कहा. नया साल शुरू होने के पहले ही बंगाल के लिए कमर कस चुके अमित शाह ने यह दो टूक कह दिया कि घोटालों से घिरी ममता सरकार के अब कोई मरहम काम नहीं आएगा.
ममता बनर्जी के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का खाका लगभग तैयार दिखा. पार्टी के 15 साल के ग्रोथ रिकॉर्ड का हवाला देते हुए बीजेपी के रणनीतिकार ने आधी आबादी यानी महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा भी केंद्र में रखा. उनका कहना था- जिस राज्य की मुख्यमंत्री महिला हो और वहाँ महिलाओं का जीना दूभर हो, उससे ज्यादा शर्मनाक स्थिति और क्या हो सकती है. बंगाल की बेटियां बेहाल हैं और दीदी निहाल.
पूरे देश में हिंसा हवा हो रही है पर यहां अभी भी इसके दम पर राजनीति हो रही है. हिन्दू राष्ट्र में हिन्दुओं के साथ इनके राज में ज्यादती हो रही है. सिंडिकेट और कट मनी का बोलबाला है. उद्योगपति जा रहे है. घुसपैठिए आ रहे हैं. जनता जनार्दन दीदी से डरी है. पर अब इस साये के हटने का वक़्त आ गया है. 2026 में इस सबसे निजात मिलेगी. गरीबों की सरकार बनेगी- घुसपैठिये भागेंगे. अब कोई मरहम काम नहीं आएगा, रहेगा तो दीदी को मलाल ही.
15 सालों में वो गिरे हैं, और हम खिले हैं- अमित शाह का यह वाक्य प्रेस कॉन्फ्रेंस की धुरी बना रहा. सवालों के जवाब उन्होंने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में दिए. थोड़ा टाइट किया गया और थोड़ा राइट. मंदिर निर्माण का मुस्कुराकर स्वागत किया, लेकिन यह भी जोड़ दिया कि दीदी को आने में बहुत देर हो चुकी है. बाबरी विवाद पर साफ कहा- यहां विवाद नहीं, विकास ज़रूरी है.
भरोसा दिया कि बॉर्डर सील होंगी. हिन्दुओं की सुरक्षा टॉप पर रहेगी. भ्रष्टाचारियों पर एक्शन होगा. बंगाल का विकास होगा. घुसपैठियों पर वार होगा. बेटियों का सम्मान होगा. अपराधियों का अपमान होगा. मतुआ समुदाय अपने हैं, ममता बनर्जी पराई हैं. पाँच साल में 3 से 77 सीटों तक पहुंची पार्टी का आत्मविश्वास आँखों में भी था और ज़ुबान पर भी- बंगाल में बीजेपी इस बार दो तिहाई के पार.
रुकिए. ठहरिए अभी. कहां जा रहे हैं? जवाब भी टाइम से ही आ गया. तो पढ़ते जाइये- थोड़ा ककरीला, थोड़ा पथरीला. अरे ये भी तो बताते जाओ अगर बंगाल से घुसपैठ होती है तो पहलगाम में जो हुआ था वो क्या था? ममता बनर्जी ने कहा. चुनाव आते ही दुर्योधन और दुःशासन एक्टिवेट हो जाते हैं- ये सबने सुना. मैंने भी और आपने भी. दुर्योधन के गुरु शकुनि का शिष्य दुशासन बंगाल में जानकारी जुटाने आया है. ये खबरनवीसों ने छाप भी दिया.