रोक लो... RCB की जीत से पहले ही पुलिस ने कर्नाटक सरकार को दिए थे सजेशन, DCP के लेटर में क्या-क्या?
बेंगलुरु में आरसीबी की आईपीएल जीत के जश्न के दौरान हुई भगदड़ से पहले पुलिस ने विधान सौध में सुरक्षा चुनौतियों को लेकर सरकार को चेतावनी दी थी. सुरक्षा बलों की कमी, भीड़ प्रबंधन और कर्मचारियों के परिवारों के प्रवेश पर रोक जैसे सुझाव दिए गए, लेकिन आयोजन किया गया. इस लापरवाही में 11 लोगों की जान गई.;
बेंगलुरु में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की पहली आईपीएल जीत के बाद मचा जश्न अब विवादों में है. एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ में 11 लोगों की मौत के बाद सामने आया है कि पुलिस ने पहले ही सरकार को चेताया था. इसके बावजूद, विधान सौध जैसे हाई-प्रोफाइल और सीमित संरचनात्मक स्थान को समारोह स्थल बनाया गया, जिससे सुरक्षा खतरे और बढ़ गए.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, डीसीपी एमएन करिबसावना गौड़ा ने 4 जून को सरकार को पत्र लिखकर आगाह किया था कि विधान सौध की भव्य सीढ़ियों पर इस आयोजन से भीड़ नियंत्रण असंभव हो सकता है. उन्होंने कानून-व्यवस्था, सुरक्षा बलों की कमी और यातायात प्रबंधन जैसी गंभीर समस्याओं का उल्लेख किया था. बावजूद इसके, कार्यक्रम को स्थगित नहीं किया गया.
सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
विधान सौध में पहले से तैनात पुलिस बल में भारी कमी थी. पुलिस ने इस आयोजन को नियंत्रित करने के लिए बाहरी सुरक्षा बलों की आवश्यकता जताई थी. मगर उन्हें तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया. नतीजा ये हुआ कि समारोह के दौरान लाखों प्रशंसकों के जुटने से हालात बेकाबू हो गए.
कर्मचारियों के परिवारों पर भी जताई गई थी आशंका
पुलिस ने साफ तौर पर यह चेतावनी दी थी कि सचिवालय कर्मचारी अपने परिवारों को समारोह में ला सकते हैं, जिससे स्थिति और भी भीड़भाड़ वाली हो जाएगी. उन्होंने सुझाव दिया था कि उस दिन सचिवालय के कर्मचारियों को छुट्टी दी जाए और उन्हें कार्यक्रम स्थल पर आने से मना किया जाए. लेकिन इस पर भी ध्यान नहीं दिया गया.
सरकार के प्रबंधन पर उठे सवाल
राज्य सरकार इस पूरे आयोजन के लिए आलोचना के घेरे में है. विपक्षी दलों ने सरकार पर "भावनात्मक राजनीति" करने का आरोप लगाया है और इसे "प्रशासनिक विफलता" बताया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कई विभागों ने आयोजन से पहले अपनी असहमति जताई थी, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया.
अब जवाबदेही तय करने की मांग
जिस जीत का जश्न लोगों को जोड़ना था, वह अब 11 परिवारों के लिए मातम बन चुका है. पुलिस की समय रहते चेतावनी को अनदेखा करना केवल लापरवाही नहीं, बल्कि गंभीर प्रशासनिक चूक है. अब सवाल उठ रहा है कि क्या केवल आयोजन की भव्यता दिखाने के लिए इतने बड़े खतरे को न्यौता दिया गया? जवाबदेही तय करना अब वक्त की मांग है.