पहलगाम हमले के बाद हवाई फायरिंग करते हुए भागे थे आतंकी, ISI के गुप्त प्लान की खुल रही परत; लोकल गवाह ने क्या बताया?
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की एनआईए जांच में पता चला है कि लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े तीन पाकिस्तानी आतंकियों ने हमला किया था. इनमें से एक, हाशिम मूसा, पाक सेना का पूर्व जवान है. हमले के दौरान आतंकियों ने धार्मिक पहचान की जांच के लिए कलमा पढ़वाया. जांच में आईएसआई के एक नए गुप्त मॉड्यूल की रणनीति का भी संकेत मिला है.;
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के हाथों में है और तेजी से आगे बढ़ रही है. दो गिरफ्तार आतंकियों परवेज अहमद और बशीर अहमद से पूछताछ के बाद अब एक स्थानीय गवाह की पहचान हुई है, जिसने आतंकवादियों को घटना के बाद भागते हुए देखा था. यह गवाही जांच में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन सकती है.
सीएनएन-न्यूज़18 की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि आतंकियों ने भागते समय हवा में गोलियां चलाईं, ताकि कोई भी उन्हें रोकने या मदद करने की कोशिश न करे. उसी दौरान एक स्थानीय गवाह की उनसे आमना-सामना हो गया. गवाह ने बताया कि आतंकियों ने उसे कलमा पढ़ने को कहा और संभवतः स्थानीय पहचानकर उसे छोड़ दिया.
धार्मिक पहचान के लिए कलमा का इस्तेमाल
एनआईए को घटनास्थल से खाली कारतूस मिले हैं, जो गवाह के दावे की पुष्टि करते हैं. जांच में यह भी सामने आया है कि बैसरन में 26 लोगों की हत्या से पहले आतंकियों ने कई लोगों से कलमा पढ़वाया, ताकि उनकी धार्मिक पहचान का अंदाज़ा लगाया जा सके. यह पैटर्न पहले भी इस्लामिक कट्टरपंथी हमलों में देखा गया है.
तीन में से एक आतंकी की हुई पहचान
जांच में शामिल अधिकारियों ने तीनों आतंकियों की पहचान करने में सफलता पाई है. उनमें से एक हाशिम मूसा है, जो पाकिस्तानी सेना का पूर्व जवान बताया जा रहा है. वह पहले भी सोनमर्ग ज़ेड मोड़ सुरंग हमले का मास्टरमाइंड रह चुका है. बाकी दो आतंकियों के बारे में अधिक जानकारी नहीं है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने हाल ही में भारत में घुसपैठ की है.
नया मॉड्यूल के जरिए दिया गया अंजाम
सूत्रों के अनुसार, यह हमला पारंपरिक आतंकवादी नेटवर्क से इतर, एक नए और अधिक गुप्त मॉड्यूल के ज़रिए अंजाम दिया गया है. न तो आतंकियों और न ही उन्हें शरण देने वालों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड मिला है. इससे संकेत मिलते हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इस मॉड्यूल को स्थानीय ओवर ग्राउंड वर्कर्स की कम भागीदारी के साथ तैयार किया, ताकि ऑपरेशन की गोपनीयता बनी रहे.
लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका
प्रारंभिक अनुमान था कि हमले में तीन से पांच आतंकी शामिल थे. लेकिन अब तक की एनआईए जांच में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े तीन आतंकियों की पुष्टि हो चुकी है, जो सभी पाकिस्तानी नागरिक हैं. यह घटना भारत में सीमा पार आतंकवाद की नई शैली को उजागर करती है, जहां न केवल घुसपैठ हो रही है, बल्कि आतंकियों को छिपाने के तरीके भी अधिक जटिल और सुनियोजित हो चुके हैं.