गली-गली भटका, पिता से 23 साल रहा दूर... भूखे पेट से ‘कुछ-कुछ होता है’ तक - कैसे समीर बने बॉलीवुड के सुपरहिट लिरिसिस्ट
समीर अंजन, जिन्होंने 'कुछ-कुछ होता है' और 'नज़र के सामने' जैसे सुपरहिट गाने लिखे, उनकी सफलता के पीछे दर्दनाक संघर्ष की कहानी है. पिता और मशहूर गीतकार अंजन से 23 साल तक नहीं मिले, चोरी की पूरी और 10 रुपये में खाना खाकर गुजारा किया. एक संगीतकार ने उनकी डायरी फेंककर कहा - 'तुम बेकार हो', लेकिन उसी गानों को उषा खन्ना ने रिकॉर्ड किया. आज समीर बॉलीवुड के सबसे सफल लिरिसिस्ट हैं.;
भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में जब भी हिट गानों की बात होती है तो एक नाम जरूर सामने आता है - समी़र अंजान। “कुछ कुछ होता है”, “तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार” और “नज़र के सामने” जैसे सदाबहार गानों के पीछे वही कलम है. लेकिन इन मधुर धुनों के पीछे एक दर्दनाक कहानी छिपी है. सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचने से पहले समी़र ने संघर्ष के वो दिन देखे जिनकी कल्पना करना भी मुश्किल है.
समी़र ने हाल ही में डीडी उर्दू को दिए एक इंटरव्यू में अपने शुरुआती दिनों का दर्द साझा किया. बनारस के इस लड़के ने एक स्थिर नौकरी छोड़ मुंबई का रुख किया था, सिर्फ एक ख्वाब पूरा करने के लिए - गीतकार बनने का. लेकिन मायानगरी ने उनका खुली बांहों से स्वागत नहीं किया.
भूख के बीच सपनों की तलाश
उन्होंने कहा, “मुंबई में मैंने सबसे कठिन दिन देखे. मैं वही लड़का था, जिसे बनारस में पानी का गिलास भी खुद नहीं लेना पड़ता था. यहां आकर खाना बनाना तो दूर, सिर्फ चाय बनाना ही आता था. सुबह का नाश्ता बिस्कुट से होता, दोपहर का जुगाड़ मैंने खार स्टेशन के पास एक साउथ इंडियन होटल में लगाया. वहां यूपी का एक आदमी मेरे लिए चोरी से पूरियां लाता. इसके बदले मैं रोज़ सिर्फ 10 रुपये देता था. डिनर के लिए अगर किसी ने बुला लिया तो ठीक, नहीं तो केले पर गुजारा.”
23 साल तक पिता से नहीं मिले, मां का खत बना पुल
समी़र मशहूर गीतकार अंजान के बेटे हैं, लेकिन उनके पिता को लंबे समय तक पता ही नहीं था कि बेटा मुंबई में संघर्ष कर रहा है. “मैं एक बार बनारस गया. उस वक्त मेरी हालत बेहद खराब थी - फटी पुरानी शर्ट, दुबली काया, कुपोषित चेहरा. मां ने यह देखा तो तड़प उठीं. उन्होंने पापा को खत लिखा - ‘मेरा बेटा मुंबई में जूझ रहा है और आपको परवाह नहीं.’ पापा ने जवाब दिया - ‘मुझे खबर ही नहीं थी कि वह मुंबई में है.’”
इसके बाद अंजान ने मुंबई में रिश्तेदारों को बेटे को खोजने के लिए कहा. 23 साल बाद उनकी मुलाकात हुई. “मैं पापा से बहुत नाराज़ था. सालों के संघर्ष ने मुझे तोड़ दिया था. लेकिन यही शुरुआत थी.”
पिता की शर्त: टेस्ट पास करो, तभी सिखाऊंगा
अंजान ने बेटे को समझाया कि यह इंडस्ट्री धैर्य का इम्तिहान लेती है. उन्होंने उसे लिरिक्स की तकनीक सिखाने का वादा किया लेकिन यह साफ कर दिया कि किसी को रेफर नहीं करेंगे. “उन्होंने कहा - मैं तुम्हें सिखाऊंगा, लेकिन किसी से काम के लिए नहीं कहूंगा.”
‘तुम बुरे राइटर हो, लौट जाओ’
समी़र एक मशहूर संगीतकार (नाम नहीं बताया) के पास पहुंचे. “उन्होंने मेरी 40 कविताएं सुनीं और बेहद अपमानजनक लहजे में कहा - ‘तुम खराब राइटर हो, यहां किसी को अपना काम मत दिखाना. वरना पिता का नाम खराब करोगे. मैं तुम्हें पैसे दूंगा, बनारस लौट जाओ.’ इतना ही नहीं, उन्होंने गुस्से में मेरी डायरी खिड़की से बाहर फेंक दी.”
समी़र टूट चुके थे लेकिन उम्मीद नहीं छोड़ी. उन्होंने वही डायरी उठाई और पहुंच गए उषा खन्ना के पास.
किस्मत का मोड़: ‘ये कविताएं रिकॉर्ड करूंगी’
भारत की तीसरी महिला संगीतकार उषा खन्ना ने उनकी कविताएं पढ़ीं. “उन्होंने चार कविताएं सुनीं और कहा - ‘मैं इन सभी को रिकॉर्ड करूंगी.’ यह वही कविताएं थीं जिन्हें कुछ घंटे पहले बुरी तरह नकार दिया गया था. इसी से मेरा करियर शुरू हुआ.”
आशिकी, दीवाना और तीन फिल्मफेयर अवॉर्ड्स का सफर
1980 के दशक के अंत में समी़र ने संघर्ष करते हुए फिल्म ‘आशिकी’ (1990), ‘दीवाना’ (1992) और ‘हम हैं राही प्यार के’ (1993) जैसी फिल्मों में गीत लिखे. इन गानों ने न सिर्फ उन्हें शोहरत दिलाई बल्कि तीन बार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी जितवाए.
वो मुलाकात जिसने हिसाब बराबर किया
कई सालों बाद समी़र उसी संगीतकार से मिले जिन्होंने उन्हें अपमानित किया था. “मैंने उन्हें कई इवेंट्स में देखा, लेकिन वे मेरी आंखों में नहीं देख पाए. एक दिन पार्टी में मैंने रोककर सारी बात साफ कर दी.”
रिकॉर्ड्स के बादशाह
समी़र आज गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक हैं - 3,500 से अधिक गीतों के लिए. उन्होंने गोविंदा से लेकर शाहरुख़ खान तक के लिए गाने लिखे और 90 के दशक की बॉलीवुड म्यूजिक इंडस्ट्री का चेहरा बदल दिया.