साड़ी, बिंदी और आत्मविश्वास! ऐसे बनी Shabana Azmi और Smita Patil कांन्स में साड़ी पहनने वाली पहली भारतीय एक्ट्रेस

शबाना ने बताया कि उन्होंने ऐसा ही किया और उनका यह अनोखा अंदाज़ लोगों को इतना पसंद आया कि शो के दौरान पूरा हॉल दर्शकों से भर गया, और उन्होंने बिना पोस्टर के ही लोगों को बोलकर बोलकर फिल्म का प्रमोशन किया.;

Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 22 April 2025 6:40 AM IST

जानी-मानी दिग्गज शबाना आज़मी (Shabana Azmi) ने हाल ही में एक मज़ेदार किस्सा शेयर किया, जो उनके 1976 में हुए पहले कान फिल्म फेस्टिवल से जुड़ा है. उस वक्त वे स्मिता पाटिल (Smitha Patil) के साथ अपनी फिल्म 'निशांत' की स्क्रीनिंग के लिए वहां गई थीं. हाल ही के एक इंटरव्यू में शबाना ने बताया कि कैसे उन्होंने और स्मिता ने फिल्म के प्रमोशन के लिए एक अलग और दिलचस्प तरीका अपनाया था.

शबाना ने फिल्मफेयर को बताया, 'हमें उम्मीद थी कि हमारी फिल्म की प्रमोशन कंटेंट जैसे पोस्टर वगैरह मिल जाएगा, लेकिन वह पोस्टर वहां तक नहीं पहुंचे और कान्स जैसे फेस्टिवल में तो सब कुछ पार्टियों और बड़े-बड़े कमर्शियल पर ही टिका होता है. ऐसे में फिल्म के डायरेक्टर श्याम बेनेगल, जो खुद एक एडवर्टाइजमेंट एजेंसी से जुड़े रहे हैं. उन्होंने आईडिया दिया, 'स्मिता और शबाना, तुम दोनों अपनी सबसे खूबसूरत कांजीवरम साड़ियां पहन लेना, माथे पर बिंदी लगाना और सुबह 9 बजे से बुलेवार्ड पर चलना शुरू कर देना.'

बनी पहली भारतीय एक्ट्रेस 

शबाना ने बताया कि उन्होंने ऐसा ही किया और उनका यह अनोखा अंदाज़ लोगों को इतना पसंद आया कि शो के दौरान पूरा हॉल दर्शकों से भर गया, और उन्होंने बिना पोस्टर के ही लोगों को बोलकर बोलकर फिल्म का प्रमोशन किया. बता दें कि शबाना आज़मी 1976 में अपनी फिल्म 'निशांत' की स्क्रीनिंग के लिए स्मिता पाटिल के साथ कान फिल्म फेस्टिवल में साड़ी पहनकर रेड कार्पेट पर चलने वाली पहली भारतीय एक्ट्रेस हैं.

1975 में रिलीज़ हुई थी 'निशांत'

श्याम बेनेगल के निर्देशन और मशहूर नाटककार विजय तेंदुलकर की कहानी पर बनी फिल्म 'निशांत' साल 1975 में रिलीज़ हुई थी. यह एक मजबूत सामाजिक फिल्म है, जिसमें शबाना आज़मी, स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह, अमरीश पुरी, गिरीश कर्नाड, मोहन अगाशे, अनंत नाग और साधु मेहर जैसे शानदार कलाकारों ने काम किया था. फिल्म में ग्रामीण भारत में होने वाले जमींदारों के अत्याचार और सत्ता के गलत इस्तेमाल को दिखाया गया है, जो आज भी उतना ही मौजूद और असरदार लगता है.

इन अवार्ड्स से हुई थी सम्मानित 

इस फिल्म को 1977 में बेस्ट हिंदी फीचर फिल्म का नेशनल अवार्ड मिला था. इसके साथ ही इसे कान्स फिल्म फेस्टिवल में पाल्मे डी’ओर जैसे बड़े सम्मान के लिए नॉमिनेटेड किया गया था.'निशांत' को इंटरनेशनल पर भी काफी सराहा गया और यह फिल्म लंदन फिल्म फेस्टिवल (1976), मेलबर्न इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (1977) और शिकागो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (1977) में भी दिखाई गई थी.

Similar News