Sanjay Kapur की मां रानी कपूर का आरोप, कहा- बेटे की मौत के बाद फैमिली बिज़नेस को छीनने की हो रही कोशिश
सोना कॉमस्टार ने इस लेटर का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाया जो कॉर्पोरेट नियमों या कानूनों के खिलाफ हो. कंपनी के अनुसार, रानी कपूर उनके रिकॉर्ड में शरहोल्डर्स के रूप में दर्ज नहीं हैं.;
दिवंगत बिजनेसमैन संजय कपूर की मां रानी कपूर ने एक भावुक और गंभीर पत्र में आरोप लगाया है कि उनके बेटे की जून में हुई अचानक मृत्यु के बाद, परिवार की विरासत और बिज़नेस पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है. ये आरोप उन्होंने सोना बीएलडब्ल्यू प्रिसिजन फोर्जिंग्स (जिसे आम तौर पर सोना कॉमस्टार कहा जाता है) के सभी शेयरधारकों को लिखे एक पत्र में लगाए हैं.
यह लेटर कंपनी की एनुअल आम बैठक (AGM) से ठीक एक दिन पहले भेजा गया. इसमें रानी कपूर ने दावा किया कि शोक की स्थिति में उनसे जबरदस्ती दस्तावेज़ों पर साइन करवाए गए, फाइनेंसियल जानकारी और अकाउंट्स तक उनकी पहुंच बंद कर दी गई, और उन्हें ऐसे सभी फैसलों से दूर रखा गया जो कंपनी और कपूर परिवार की विरासत से जुड़े थे.
रानी कपूर के गंभीर आरोप
रानी कपूर ने लेटर में लिखा, 'मेरे पति की वसीयत में मैं अकेली लाभार्थी हूं, और कंपनी में मेरी मल्टिपल पार्टनरशिप है. इसके बावजूद, मुझे ऐसे डाक्यूमेंट्स पर साइन करने के लिए मजबूर किया गया जिनकी जानकारी तक मुझे नहीं थी.' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके ही बैंक अकाउंट्स और इंवेस्टमेंट्स की जानकारी उनसे छिपाई जा रही है. उन्होंने कहा कि उनके शोक की अवस्था का फायदा उठाकर कंपनी की पूरी कण्ट्रोल सिस्टम को बदलने की कोशिश की गई है.
कंपनी का बयान नहीं तोड़ा नियम
सोना कॉमस्टार ने इस लेटर का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाया जो कॉर्पोरेट नियमों या कानूनों के खिलाफ हो. कंपनी के अनुसार, रानी कपूर उनके रिकॉर्ड में शरहोल्डर्स के रूप में दर्ज नहीं हैं, इसलिए उनसे सलाह लेना उनकी कानूनी जिम्मेदारी नहीं थी. कंपनी ने 25 जुलाई को AGM आयोजित की और इसमें संजय कपूर की पत्नी प्रिया सचदेव कपूर को नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स के रूप में बोर्ड में शामिल किया गया. यह अपॉइंटमेंट प्रमोटर कंपनी ऑरियस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से हुई थी और नॉमिनेशन कमिटी से मंजूरी मिलने के बाद इसे मंजूरी दी गई. कंपनी ने स्पष्ट किया कि AGM स्थगित करने का कोई कारण नहीं है और रानी कपूर का पत्र उन्हें AGM से सिर्फ एक रात पहले मिला था.
क्या कहता है कानूनी सवाल
इस पूरे मामले में एक बड़ा कानूनी सवाल यह है कि किसका अधिकार कंपनी के शेयरों पर होता है, जब शेयरधारक की मौत हो जाती है?. वरिष्ठ कॉर्पोरेट वकील दिनकर शर्मा ने बताया कि भारतीय कानून के तहत, अगर कोई व्यक्ति कंपनी के रिकॉर्ड में 'नॉमिनेटेड पर्सन' के रूप में दर्ज है, तो वह केवल शेयरों का टेम्पररी गार्जियन होता है, मालिक नहीं. असली ऑनरशिप तब मिलता है जब कोई व्यक्ति प्रमाणित वसीयत (जिसे प्रोबेट कहा जाता है) के ज़रिए अदालत से कानूनी अधिकार प्राप्त करता है.
अदालत वसीयत को मान्यता देती है
अब रानी कपूर का अगला कदम यह हो सकता है कि वे कोर्ट में अपने पति की वसीयत की वैधता साबित करने की प्रक्रिया (प्रोबेट) शुरू करें. अगर अदालत वसीयत को मान्यता देती है, तो वह कंपनी में अपने अधिकारों को फिर से स्थापित कर सकती हैं और AGM में लिए गए फैसलों को भी चुनौती दे सकती हैं.
रानी कपूर की चेतावनी
कॉर्पोरेट वकीलों का मानना है कि अगर यह साबित हो जाए कि AGM में लिए गए फैसले जानबूझकर विरासत के असली उत्तराधिकारियों को नज़रअंदाज़ करके लिए गए थे, तो राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) इस पर कार्रवाई कर सकता है. रानी कपूर ने चेतावनी दी है कि अगर बोर्ड और अन्य शेयरहोल्डर्स इस लेटर को नज़रअंदाज़ करते हैं, तो यह सिर्फ़ एक दुखी मां का नहीं, बल्कि एक कंपनी की सबसे बड़ी शेयरधारक का अपमान होगा. यह मिसमैनजमेंट और विश्वासघात का साफ़ मामला होगा.'