मैं प्रेग्नेंट थी फिर भी प्रोड्यूसर ने मेरे साथ....इमोशनल हुई Radhika Apte, सेट पर झेली गई प्रेग्नेंसी तकलीफों किया शेयर

राधिका आप्टे ने नेहा धूपिया की पहल 'फ्रीडम टू फीड' के लाइव सेशन में अपनी प्रेग्नेंसी के दौरान काम से जुड़े अनुभव शेयर किए. जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे इंडियन प्रोड्यूसर को जब उन्होंने अपनी प्रेग्नेंसी के बारें में बताया तो उनका रिएक्शन काफी ठंडा था. वहीं उन्हें उस दौरान टाइड कपड़ें पहनने को मजबूर किया.;

( Image Source:  Instagram : radhikaofficial )
Edited By :  रूपाली राय
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हाल ही में एक्ट्रेस राधिका आप्टे ने नेहा धूपिया की पहल 'फ्रीडम टू फीड' के लाइव सेशन में अपनी प्रेग्नेंसी के दौरान काम से जुड़े अनुभवों को लेकर दिल से बातें की. इस बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे एक ही समय पर दो अलग-अलग फिल्म प्रोजेक्ट्स में काम करते हुए उन्हें बिलकुल अलग अनुभव हुए एक भारत में और दूसरा विदेश में.

राधिका ने कहा कि जब उन्होंने अपनी प्रेगनेंसी की खबर भारतीय प्रोड्यूसर को दी, तो उन्हें बिल्कुल भी गर्मजोशी नहीं मिली। उल्टा उन्हें ठंडा व्यवहार झेलना पड़ा. उन्होंने कहा, 'मैं अपनी प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में थी, शरीर में कई बदलाव हो रहे थे, भूख ज़्यादा लग रही थी, पेट फूल रहा था, लेकिन उस प्रोड्यूसर ने मुझे टाइड और अनकम्फर्ट कपड़े पहनने को कहा. जब मुझे सेट पर दर्द हो रहा था, तब भी डॉक्टर से मिलने की परमिशन नहीं दी गई. वह दौर बहुत मुश्किल था.'

मेरी बॉडी चेंज हो सकती है 

वहीं, राधिका ने बताया कि एक हॉलीवुड फिल्म में काम करते समय उनके साथ बहुत हंबल व्यवहार देखने को मिला। वहां के डायरेक्टर ने न सिर्फ उनकी स्थिति को समझा बल्कि उन्हें इमोशनली सहारा भी दिया. जब मैंने कहा कि मैं ज़्यादा खा रही हूं और शूटिंग खत्म होते-होते मेरा चेहरा और शरीर बदल सकता है, तो उन्होंने हस्ते हुए कहा, ‘कोई बात नहीं, तुम बदल भी जाओगी तो चलेगा – क्योंकि तुम प्रेग्नेंट हो’. वो संवेदनशीलता मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी.'

प्रेग्नेंसी कोई बोझ नहीं 

राधिका ने कहा, 'मुझे किसी खास ट्रीटमेंट की उम्मीद नहीं थी, बस थोड़ी समझदारी और इंसानियत चाहिए थी.' उन्होंने यह भी कहा कि इंडस्ट्री को कामकाजी महिलाओं, खासतौर पर प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए ज़्यादा सिम्पैथेटिक और सेफ माहौल बनाना चाहिए. नेहा धूपिया की 'फ्रीडम टू फीड' पहल के ज़रिए राधिका की यह ईमानदार बातचीत यह साबित करती है कि अब वक्त आ गया है जब मातृत्व को बोझ नहीं, बल्कि सम्मान के साथ देखा जाए.

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