गंभीर बीमारी से जूझ रही थी मीनाक्षी शेषाद्रि! फिर लगातार किया शूट, स्टूडियो में था सिर्फ एक टॉयलेट
आज भी मीनाक्षी शेषाद्रि बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी बेहतरीन एक्टिंग के लिए जानी जाती हैं. 1980 के दशक में एक्टिंग की दुनिया में कदम रखते ही मीनाक्षी ने धमाल मचा दिया था. उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया.;
मीनाक्षी शेषाद्रि किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. वह 1980-90 के दशक की टॉप एक्ट्रेसेस में से एक हैं. मीनाक्षी ने बॉलीवुड को दामिनी, हीरो, मेरी जंग और घातक जैसी कई हिट फिल्में दी हैं. एक्ट्रेस ने ऋषि कपूर से लेकर अनिल कपूर तक के साथ काम किया है.
हाल ही में मीनाक्षी ने अपनी फिल्म की शूटिंग से जुड़ा किस्सा शेयर किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि उन दिनों सेट पर टॉयलेट एक बड़ी समस्या हुआ करता था.साथ ही, उन्होंने बताया कि पूनम ढिल्लन पहली एक्ट्रेस थीं, जिनके पास उस दौरान वैनिटी वैन हुआ करती थी, लेकिन यह वह समय था जब मीनाक्षी फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने की तैयारी कर रही थीं.
50-100 लोग करते थे एक ही टॉयलेट का यूज
मीनाक्षी ने कबीर वाणी के यूट्यूब चैनल से बातचीत के दौरान मुश्किल हालात में शूटिंग करने के अपना एक्सपीरियंस शेयर किया. एक्ट्रेस ने बताया कि उस समय सेट पर लगभग 50-100 लोग एक ही टॉयलेट का इस्तेमाल करते थे. वहीं, आजकल की तरह पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग वॉशरूम भी नहीं होते थे. इतना ही नहीं, साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया जाता था. हम अच्छी-अच्छी कॉस्ट्यूम पहनते थे और किसी तरह से अपना काम चला लेते थे.
डायरिया के दौरान भी किया शूट
इस बातचीत में मीनाक्षी ने शूटिंग से जुड़ा एक ऐसा एक्सपीरियंस शेयर किया, जिसे सुन आप भी हैरान हो जाएंगे. एक्ट्रेस ने बताया कि उन्हें डायरिया हुआ था. इस दौरान मुझे एक रोमांटिक गाना शूट करना था, जिसमें बारिश का सीन था.
जया बच्चन ने कही थी ये बात
इससे पहले व्हाट द हेल नव्या शो के दौरान जया बच्चन ने भी ऐसा ही कुछ शेयर किया था. एक्ट्रेस ने बताया कि कैसे फीमेल एक्ट्रेसेस को आउटडोर शूटिंग के दौरान झाड़ियों के पीछे सैनिटरी पैड बदलना पड़ता था, क्योंकि वहां कोई टॉयलेट नहीं होता था.
इस दौरान हमारे पास वैन नहीं थी. इतना ही नहीं, हमें झाड़ियों के पीछे कपड़े भी बदलने पड़ते थे. यह बेहद अजीब था. साथ ही, 3-4 सैनिटरी पैड इस्तेमाल करते थे. वहीं, पैड को फेंकने के लिए अपने साथ प्लास्टिक बैग ले जाते थे और उन्हें एक बास्केट में रख देते थे, ताकि घर जाने से पहले इन्हें फेंक सकें.