तालिबान मंत्री के स्वागत पर भड़के Javed Akhtar, बोले- मुझे शर्म आती है सिर शर्म से झुक जाता है
जावेद अख्तर ने एक्स हैंडल पर अपने दिल की बात कुछ इस तरह रखी. उन्होंने लिखा, 'मुझे शर्मिंदगी महसूस होती है, मेरा सिर झुक जाता है जब मैं देखता हूं कि दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन तालिबान के प्रतिनिधि का भारत में इतने ठाठ-बाट से स्वागत किया गया.;
मशहूर गीतकार, लेखक और समाज के प्रति अपनी बेबाक राय रखने वाले जावेद अख्तर एक बार फिर सुर्खियों में हैं. वह अक्सर सिर्फ इस वजह से चर्चा में रहते है क्योंकि वह निडर होकर अपनी बात को रखना जानते है, फिर चाहे वह फिल्म इंडस्ट्री को लेकर हो या देशभक्ति को लेकर हो. वह अपनी बेबाक राय को किसी भी स्तर पर रखने से पीछे नहीं हटते। अब उन्होंने इस बार उन्होंने तालिबान के विदेश मंत्री के भारत में भव्य स्वागत पर तीखी नाराजगी जताई है और जमकर सोशल मीडिया पर भारतीयों को जमकर खरी-खोटी सुनाई है.
जावेद अख्तर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स हैंडल पर एक पोस्ट के जरिए अपनी भावनाओं को बयां किया और इस कदम की कड़ी आलोचना की. उन्होंने लिखा कि उन्हें गहरा दुख और शर्मिंदगी महसूस होती है जब वह देखते हैं कि तालिबान जैसे चरमपंथी संगठन के प्रतिनिधि को भारत में इतने सम्मान के साथ स्वागत किया जा रहा है. तालिबान, जिसने अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों को कुचला, उनकी शिक्षा पर पाबंदी लगाई और एक दमनकारी माहौल बनाया, उसके प्रतिनिधि का इस तरह आदर-सत्कार उन्हें असहनीय लगा.
जावेद अख्तर की नाराजगी
अपनी पोस्ट में जावेद ने सहारनपुर के दारुल उलूम देवबंद का जिक्र करते हुए भी अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने लिखा कि देवबंद जैसे संस्थान को शर्मिंदगी महसूस करनी चाहिए कि उन्होंने उस व्यक्ति का स्वागत किया, जो एक ऐसे समूह से जुड़ा है जिसने लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगाई और महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार किया.'
हमें क्या हो गया है?.'
जावेद अख्तर ने एक्स हैंडल पर अपने दिल की बात कुछ इस तरह रखी. उन्होंने लिखा, 'मुझे शर्मिंदगी महसूस होती है, मेरा सिर झुक जाता है जब मैं देखता हूं कि दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन तालिबान के प्रतिनिधि का भारत में इतने ठाठ-बाट से स्वागत किया गया. जो लोग आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाते थे, वही अब तालिबान के स्वागत में तालियां बजा रहे हैं. देवबंद को भी शर्म आनी चाहिए कि उन्होंने अपने 'इस्लामिक हीरो' का इतने आदर से स्वागत किया, जिन्होंने महिलाओं पर जुल्म ढाए और लड़कियों की शिक्षा को पूरी तरह से कुचल दिया। मेरे भारतीय भाइयों और बहनों, हमें आखिर हो क्या गया है? हम किस राह पर चल पड़े हैं?.' उनकी यह पोस्ट सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई. इसने लोगों के बीच तीखी बहस को जन्म दिया. जहां कई लोग उनके विचारों का समर्थन करते नजर आए, वहीं कुछ ने उनकी आलोचना भी की.
सेंसर बोर्ड और फिल्म इंडस्ट्री पर भी साधा निशाना
यह कोई पहली बार नहीं है जब जावेद अख्तर ने किसी सामाजिक या राजनीतिक मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखी हो. वह पहले भी कई मौकों पर सरकार, समाज और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से बोलते रहे हैं. हाल ही में उन्होंने सेंसर बोर्ड और बॉलीवुड की मेल डोमिनेटेड सोच पर तंज कसा था. उन्होंने कहा था कि आज भी ज्यादातर फिल्में पुरुषों के दृष्टिकोण से बनाई जाती हैं, जहां महिलाओं को सीमित और स्टेरोटीपिकल किरदारों में ही दिखाया जाता है. जावेद का मानना है कि अगर भारतीय सिनेमा को सही मायनों में प्रगतिशील बनाना है, तो उसे महिलाओं की वास्तविक कहानियों और उनके संघर्षों को ईमानदारी से पेश करना होगा.