Javed Akhtar ने कैसे लिखा था Sholay का सबसे आइकॉनिक टंकी सीन? Dharmendra की हरकत से घबरा गए थे रमेश सिप्पी
'शोले' में अहमद का किरदार निभाने वाले एक्टर सचिन पिलगांवकर ने सालों बाद एक दिलचस्प किस्सा सुनाया था. जब वह 'द कपिल शर्मा शो' में पहुंचे तो उन्होंने बताया कि धर्मेंद्र ने जो टंकी वाला सीन किया, उसमें असली टंकी नहीं थी. वो एक ऊंचाई पर बनी नकली टंकी थी.;
बॉलीवुड की जब भी सबसे आइकॉनिक फिल्मों की बात होती है, तो ‘शोले’ का नाम सबसे ऊपर आता है। यह फिल्म आज भी लोगों के दिलों में उसी तरह जिंदा है जैसे आज ही रिलीज हुई हो. 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई इस फिल्म को 50 साल हो गए हैं, लेकिन इसके गाने, डायलॉग्स और किरदार आज भी उतने ही ताजे लगते हैं. यह फिल्म सभी उम्र के दर्शकों को पसंद आई थी और इसके हर एक सीन ने अपनी एक अलग छाप छोड़ी. 'शोले' को जावेद अख्तर और सलीम खान की मशहूर जोड़ी ने लिखा था और इसका निर्देशन किया था रमेश सिप्पी ने. फिल्म में अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र जैसे बड़े कलाकार थे और गब्बर के किरदार में अमजद खान ने अपनी डरावनी अदाकारी से सबका दिल जीत लिया था.
इस फिल्म में कई ऐसे दृश्य हैं जो आज भी दर्शकों के ज़ेहन में बसे हुए हैं, लेकिन उनमें सबसे मशहूर और यादगार सीन है—धर्मेंद्र का टंकी वाला सीन, जिसमें वह वीरू बने हुए पानी की टंकी पर चढ़ जाते हैं और नीचे खड़ी बसंती (यानी हेमा मालिनी) के लिए जान देने की धमकी देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सीन के पीछे की सच्चाई क्या थी? क्या धर्मेंद्र वाकई उस नकली टंकी पर चढ़े थे? क्या यह सीन स्क्रिप्ट का हिस्सा था या फिर प्यार में अंधे वीरू का असली कारनामा?.
जावेद अख्तर ने कैसे लिखा टंकी वाला सीन?
एक इंटरव्यू में खुद जावेद अख्तर ने बताया कि टंकी वाला सीन उन्होंने बड़ी ही जल्दीबाज़ी में लिखा था. दरअसल, वह एक दिन एयरपोर्ट की ओर जा रहे थे और उनके पास कागज और कलम हमेशा की तरह थे. जब एयरपोर्ट पहुंचे तो सीन अभी पूरा नहीं हुआ था, तो उन्होंने अपनी कार के बोनट पर कागज रखकर वहीं लिखना शुरू कर दिया तभी अनाउंसमेंट हुआ- 'सर, जल्दी आइए, आपकी फ्लाइट छूट जाएगी.' जावेद अख्तर ने वो सीन बिना दोबारा पढ़े अपने असिस्टेंट को दे दिया, यानी टंकी वाला सीन कार के बोनट पर लिखा गया था!.'
धर्मेंद्र का असली इरादा
'शोले' की शूटिंग के दौरान धर्मेंद्र पूरी तरह से हेमा मालिनी के प्यार में डूबे हुए थे. वो हर मौका तलाशते थे कि हेमा जी को कैसे इम्प्रेस किया जाए. उस वक्त वह पूरी कोशिश कर रहे थे कि हेमा उन्हें अपना दिल दे दें. इसीलिए टंकी वाला सीन सिर्फ एक एक्टिंग का हिस्सा नहीं था, बल्कि धर्मेंद्र का तरीका था हेमा मालिनी को पटाने का.
सचिन पिलगांवकर ने खोला राज
'शोले' में अहमद का किरदार निभाने वाले एक्टर सचिन पिलगांवकर ने सालों बाद एक दिलचस्प किस्सा सुनाया था. जब वह 'द कपिल शर्मा शो' में पहुंचे तो उन्होंने बताया कि धर्मेंद्र ने जो टंकी वाला सीन किया, उसमें असली टंकी नहीं थी. वो एक ऊंचाई पर बनी नकली टंकी थी. लेकिन धर्मेंद्र ने अपने प्यार को साबित करने के लिए उस नकली टंकी पर सच में चढ़ गए. सचिन ने कहा कि धर्मेंद्र उस समय इतने ज़्यादा इमोशनल थे कि उन्होंने टंकी पर चढ़कर अपने दोनों पैर लटकाकर बैठ गए. नीचे हेमा खड़ी थीं और धर्मेंद्र बस उन्हें ही देख रहे थे. मेकर्स, खासतौर पर निर्देशक रमेश सिप्पी घबरा गए थे. उन्होंने जोर से चिल्लाया धरम जी… नीचे आइए लेकिन धर्मेंद्र ने जवाब दिया अरे कुछ नहीं होगा.'
हेमा मालिनी का रिएक्शन
सचिन बताते हैं कि हेमा मालिनी इस हरकत से ज्यादा प्रभावित नहीं हुईं. वह नीचे खड़ी थीं और बस शांति से उन्हें देख रही थी. ऐसा नहीं था कि धर्मेंद्र ने शराब पी रखी थी, बल्कि वह सिर्फ अपने प्यार का इज़हार करना चाहते थे. आपको बता दें कि सचिन पिलगांवकर ने इस फिल्म में दोहरी भूमिका निभाई थी. वह न सिर्फ अहमद का रोल कर रहे थे, बल्कि फिल्म की सेकेंड यूनिट के असिस्टेंट डायरेक्टर भी थे. उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 17 साल थी और वह इस अनुभव को आज भी एक सौभाग्य मानते हैं.