कॉर्पोरेट नौकरी से लेकर बेस्ट डायरेक्टर तक, कौन है Anuparna Roy जिसने वेनिस फिल्म फेस्टिवल में लहराया भारत का झंडा
कॉर्पोरेट दफ़्तर की केबिन से निकलकर इंटरनेशनल मंच तक का सफ़र अनुपर्णा रॉय ने साबित कर दिया कि जुनून और मेहनत हो तो सपनों की कोई सीमा नहीं होती. वेनिस फिल्म फेस्टिवल जैसे में जब उन्हें बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला, तो ये सिर्फ़ उनकी नहीं बल्कि पूरे भारत की जीत बन गई.;
कहते हैं सपनों की कोई सीमा नहीं होती. अगर जुनून हो तो छोटे से गांव की गलियों से निकलकर भी कोई शख्स दुनिया के सबसे बड़े मंच पर अपनी पहचान बना सकता है. पश्चिम बंगाल के पुरुलिया ज़िले के नारायणपुर गांव से निकलने वाली अनुपर्णा रॉय ने यही कर दिखाया.
82वें वेनिस फिल्म फेस्टिवल में अनुपर्णा रॉय ने ऐसा कीर्तिमान रचा, जो भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहली बार दर्ज हुआ. उन्होंने अपनी डेब्यू फिल्म Songs of Forgotten Trees के लिए ओरिज़ोन्टी सेक्शन में बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड जीतकर भारत का नाम दुनिया के सामने ऊंचा कर दिया. चलिए जानते हैं अनुपर्णा रॉय का सफर.
फेस्टिवल की शाम और ऐतिहासिक पल
6 अगस्त की शाम जब 82वें वेनिस फिल्म फेस्टिवल का परदा गिरा, तो सबकी नज़रें विजेताओं पर टिकी थीं. अमेरिकी इंडिपेंडेंट फिल्ममेकर जिम जरमश को उनकी फिल्म Father Mother Sister Brother के लिए गोल्डन लायन अवॉर्ड मिला. वहीं, भारतीय दर्शकों के लिए वह पल खास था, जब मंच पर अनुपर्णा रॉय का नाम गूंजा. फ्रांसीसी फिल्ममेकर जूलिया डुकोर्नू ने जब अनुपर्णा का नाम विजेता के तौर पर घोषित किया, तो हॉल तालियों से गूंज उठा. भारतीय डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने यह पुरस्कार उन्हें सौंपा और अनुपर्णा ने सफेद साड़ी में मंच पर खड़े होकर इतिहास रच दिया.
कौन है अनुपर्णा रॉय?
अनुपर्णा रॉय का सफर किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं. पश्चिम बंगाल के छोटे से गांव नारायणपुर में जन्मीं अनुपर्णा ने बर्दवान यूनिवर्सिटी से ब्रिटिश इंग्लिश लिटरेचर में पढ़ाई की. पढ़ाई के बाद उन्होंने दिल्ली में कुछ समय काम किया, फिर मुंबई का रुख किया. लेकिन मुंबई में शुरुआती दिन आसान नहीं थे. गुज़ारे के लिए उन्हें कॉर्पोरेट नौकरियां करनी पड़ीं. इसी बीच, उनका जुनून उन्हें फिल्मों की ओर खींच लाया.
एक्टिंग में डिप्लोमा
अनुपर्णा का सफर भले ही अब शुरू हुआ हो, लेकिन उनका एक्सपीरियंस काफी अच्छा है. उन्होंने अनुपम खेर के एक्टर प्रीपेयर्स से एक्टिंग डिप्लोमा किया और मुंबई में कई थिएटर वर्कशॉप्स अटेंड किए. खासकर नवरस यानी नौ इमोशन्स पर केंद्रित. यही अनुभव उनकी फिल्मों में गहराई और संवेदनशीलता लाता है.
शॉर्ट फिल्म से की शुरुआत
उनकी शुरुआत 2023 की शॉर्ट फिल्म Run to the River से हुई, जहां उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम किया. यह फिल्म कई अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल्स तक पहुंची और सम्मान भी बटोरा. वहीं से अनुपर्णा का आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने अपने सपने को आकार देना शुरू किया.
Songs of Forgotten Trees की कहानी
अनुपर्णा ने अपनी पहली फीचर फिल्म Songs of Forgotten Trees को खुद ही फंड किया. तीन-तीन कॉर्पोरेट नौकरियों के साथ उन्होंने पैसों का इंतज़ाम किया और इस फिल्म को बनाया. कहानी मुंबई में दो प्रवासी महिलाओं नाज़ शेख और सुमी बघेल की ज़िंदगी पर केंद्रित है. शहर की चकाचौंध और भीड़भाड़ के बीच उनकी चुनौतियां, संघर्ष और भावनाएं फिल्म में दिखाई देती हैं. फिल्म अनुराग कश्यप द्वारा प्रेजेंटेड है, जबकि बिभांशु राय, रोमिल मोदी और रंजन सिंह इसके निर्माता रहे. फिल्म में भुशन शिम्पी, रवि मान और लवली सिंह जैसे कलाकार भी शामिल रहे.
वेनिस की जीत का मायने
अनुपर्णा रॉय की जीत सिर्फ एक अवॉर्ड नहीं है. ये भारतीय सिनेमा के लिए नई दिशा है. पहली ही फिल्म से उन्होंने दिखा दिया कि भारतीय कहानीकार भी ग्लोबल लेवल पर बराबरी का मुकाम हासिल कर सकते हैं. उनकी सफेद साड़ी में मंच पर खड़े होने की तस्वीरें दुनिया भर में छा गईं. यह मौका हर उस भारतीय कलाकार के लिए इंस्पिरेशन है, जो सीमित साधनों के बावजूद बड़े सपने देखता है.