Mallika Sherawat के पैदा होते ही घर में छा गया था मातम, एक्ट्रेस को बोझ समझते थे माता-पिता

मल्लिका शेरावत जो लंबे समय के बाद राजकुमार राव और तृप्ति डिमरी की 'विक्की विद्या का वो वाला वीडियो' से फिल्म इंडस्ट्री में वापस आई हैं. उन्होंने हाल ही में शेयर किया है कि वह उनके माता-पिता उनके साथ लिंग भेदभाव करते थें. जिससे उन्हें लंबे समय तक गुजरना पड़ा.;

Image From Instagram : mallikasherawat
Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 11 Oct 2024 7:32 PM IST

मल्लिका शेरावत लंबे समय के बाद राजकुमार राव और तृप्ति डिमरी की 'विक्की विद्या का वो वाला वीडियो' के साथ वापस आ गई हैं. फिल्म के प्रमोशन के दौरान मल्लिका ने अपने उथल-पुथल भरे बचपन और एक महिला होने के नाते अपने साथ हुए भेदभाव के बारे में खुलकर बात की.

जिसमें उन्होंने बताया है कि उनके जन्म से उनके घर में न सिर्फ निराशा हुई थी बल्कि पूरे घर में मातम छा गया था. मल्लिका ने कहा, 'मुझे यकीन है कि मेरी मां तो बेचारी डिप्रेशन में चली गई थी.' उन्होंने कहा कि हरियाणा में बड़े होने के दौरान उन्हें पितृसत्तात्मक समाज की कठोर वास्तविकताओं का अनुभव हुआ.

परिवार से कभी सपोर्ट नहीं मिला

हाउटरफ्लाई के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा करते हुए कहा, 'मुझे मेरे परिवार से कभी सपोर्ट नहीं मिला...यहां तक की मेरे माता-पिता ने भी मेरा साथ नहीं दिया. मल्लिका ने यह भी बताया कि कैसे उनके परिवार ने, कई अन्य लोगों की तरह, पितृसत्ता के चक्र को कायम रखा, उनके अवसरों और आजादी को सीमित कर दिया.

भेदभाव क्यों करते हैं

अपने बचपन को याद करते हुए, मल्लिका ने शेयर किया, 'मेरे माता-पिता मेरे और मेरे भाई के बीच बहुत भेदभाव करते थे. मैं अपने बड़े होने के सालों में यह सोचकर बहुत दुखी होती थी कि मेरे माता-पिता मेरे साथ इतना भेदभाव क्यों करते हैं. बचपन में मुझे समझ नहीं आता था, लेकिन अब समझ आता है.' एक्ट्रेस ने कहा कि पेरेंट्स बेटे के प्रति ज्यादा सोचते थें न की बेटी के लिए. एक्ट्रेस के मुताबिक उनके पेरेंट्स कहते थे कि वो लड़का है उसको विदेश भेजो, उसको पढ़ाओ, उसमें पैसा निवेश करो क्योंकि परिवार की सारी प्रॉपर्टी लड़के को जाएगी, पोते को जाएगी. लड़कियों का क्या है? वे शादी करेंगी, वे एक बोझ हैं.'

संघर्ष करने वाली अकेली लड़की नहीं

मल्लिका का कहना है कि वह इस लिंग भेदभाव के तले संघर्ष करने वाली अकेली लड़की नहीं थी. हालांकि उन्हें बहुत बुरा लगता था लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि यह समस्या सिर्फ उनके साथ ही नहीं है बल्कि गांव की हर लड़कियों के साथ है. जिससे वह जूझ रही हैं. उनका कहना है कि इस फीलिंग ने सामाजिक अपेक्षाओं से मुक्त होने की इच्छा जगाई है.

मुझे आज़ादी नहीं दी

उन्होंने आगे बताया, 'मेरे माता-पिता ने मुझे सब कुछ दिया... अच्छी शिक्षा दी, लेकिन खुली मानसिकता या अच्छे विचार नहीं दिए. उन्होंने मुझे आज़ादी नहीं दी. उन्होंने मेरा पालन-पोषण नहीं किया, कभी मुझे समझने की कोशिश नहीं की.' मल्लिका ने कहा कि वह लिंग भेदभाग के चलते खुले तौर पर स्पोर्ट्स का हिस्सा नहीं बन पाई. लेकिन वह चुपके-चुपके बहुत सारे खेल खेलती थी. शेरावत का फिल्मी करियर तलत जानी की रोमांस फिल्म 'जीना सिर्फ मेरे लिए' (2002) से शुरू हुआ. जिसमें उन्होंने एक छोटी सी भूमिका निभाई थी. उन्होंने गोविंद मेनन की निर्देशित 'ख्वाहिश' (2003) में लीड रोल में डेब्यू किया. 

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