सरकारी क्लर्क से बॉलीवुड के ‘विलेन किंग’ बने Amrish Puri, हॉलीवुड में भी चमकाई किस्मत, ब्रेन ट्यूमर ने ली जान

अमरीश पुरी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1970 में की, जब वे 38 साल के थे. उनकी पहली फिल्म थी 'प्रेम पुजारी' (1970), जिसमें उन्होंने एक छोटी सी भूमिका निभाई थी. यह फिल्म देव आनंद द्वारा निर्देशित थी.;

Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 22 Jun 2025 6:00 AM IST

अमरीश पुरी भारतीय सिनेमा के एक ऐसे दिग्गज स्टार थे, जिन्हें उनकी दमदार आवाज, प्रभावशाली व्यक्तित्व और एक्टिंग की गहराई के लिए जाना जाता है. वे हिंदी सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित खलनायकों में से एक थे, हालांकि उन्होंने पॉजिटिव और सपोर्टिव भूमिकाओं में भी अपनी छाप छोड़ी. उनकी मौजूदगी स्क्रीन पर इतनी प्रभावशाली थी कि वे हर किरदार को जान फूंक देते थे. अमरीश पुरी ने न केवल बॉलीवुड में, बल्कि हॉलीवुड और रीजनल सिनेमा में भी अपने एक्टिंग का लोहा मनवाया. 

अमरीश पुरी का जन्म 22 जून 1932 को पंजाब के जालंधर में हुआ था. उनका परिवार एक मिडिल क्लास पंजाबी परिवार था, और उनके पिता का नाम निहाल चंद पुरी था. अमरीश पुरी चार भाइयों और एक बहन के साथ बड़े हुए. उनके बड़े भाई, मदन पुरी, भी हिंदी सिनेमा में एक प्रसिद्ध खलनायक और करैक्टर अभिनेता थे. अमरीश ने अपनी शुरुआती पढ़ाई शिमला में पूरी की और बाद में बी.ए. की डिग्री हासिल की.

क्लर्क की जॉब करते थे अमरीश पूरी 

अमरीश पुरी का शुरुआती झुकाव एक्टिंग की ओर था, लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति और सामाजिक अपेक्षाएं उन्हें इस क्षेत्र में तुरंत प्रवेश करने से रोकती थी. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक सरकारी नौकरी में की. वे कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) में क्लर्क के रूप में काम करते थे. इस दौरान उन्होंने थिएटर में भी काम शुरू किया, जो उनके एक्टिंग करियर की नींव बना. 

फिल्म इंडस्ट्री में शुरुआत

अमरीश पुरी की फिल्म इंडस्ट्री में शुरुआत देर से हुई, क्योंकि वे अपने 40वें दशक में थे जब उन्होंने पहली बार बड़े पर्दे पर कदम रखा. उनकी यात्रा थिएटर से शुरू हुई थी. वे पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर से जुड़े, जहां उन्होंने कई ड्रमों में एक्टिंग किया. इस दौरान उन्होंने अपनी अभिनय कला को निखारा और अपनी आवाज, हाव-भाव और डायलॉग डिलीवरी को मजबूत किया. पृथ्वी थिएटर में काम करने के दौरान उनकी मुलाकात कई बड़े फिल्म प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर से हुई, जिसने उनके फिल्मी करियर का रास्ता खोला. 

पहली फिल्म बनी प्रेम पुजारी 

अमरीश पुरी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1970 में की, जब वे 38 साल के थे. उनकी पहली फिल्म थी 'प्रेम पुजारी' (1970), जिसमें उन्होंने एक छोटी सी भूमिका निभाई थी. यह फिल्म देव आनंद द्वारा निर्देशित थी. हालांकि, इस फिल्म में उनकी भूमिका ज्यादा ध्यान आकर्षित नहीं कर पाई. इसके बाद उन्होंने कई छोटी-मोटी भूमिकाएं निभाईं, लेकिन उन्हें असली पहचान मिली 1970 के दशक के मध्य में. 

पहले इंडस्ट्री मौजूद थे खलनायक 

1971 में, उन्होंने 'रेशमा और शेरा' में एक छोटी भूमिका निभाई, जो सुनील दत्त द्वारा निर्देशित थी. इस फिल्म में भी उनकी भूमिका ज्यादा बड़ी नहीं थी, लेकिन उनकी दमदार आवाज और स्क्रीन प्रेजेंस ने लोगों का ध्यान खींचा. शुरुआती दौर में उन्हें छोटी भूमिकाएं ही मिलती थीं, और कई बार उन्हें अपने अभिनय को साबित करने के लिए संघर्ष करना पड़ा. उस समय इंडस्ट्री में पहले से ही कई स्टैब्लिश खलनायक जैसे प्राण, अजीत और मदन पुरी (उनके भाई) मौजूद थे, इसलिए अमरीश को अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी. 

तीखी आंखें और गहरी आवाज का जादू 

अमरीश पुरी को असली पहचान 1980 के दशक में मिली, जब उन्होंने खलनायकीय भूमिकाओं में अपना टैलेंट शो किया. उनकी गहरी आवाज, तीखी आंखें और प्रभावशाली एक्टिंग ने उन्हें खलनायकों की पहली पसंद बना दिया. 1980 में आई फिल्म 'हम पांच' में उनके किरदार 'वीर प्रताप सिंह' ने उन्हें दर्शकों के बीच लोकप्रिय बनाया. इस फिल्म में उनके डायलॉग और खलनायकीय अंदाज ने दर्शकों को प्रभावित किया. 

'मोगैंबो खुश हुआ'

इसके बाद, 1983 में 'अंधा कानून' और 'अर्जुन' जैसी फिल्मों में उनके किरदारों ने उन्हें एक विश्वसनीय खलनायक के रूप में स्थापित किया.  लेकिन उनकी सबसे यादगार और करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली भूमिका थी 1987 की फिल्म 'मिस्टर इंडिया' में. इस फिल्म में उन्होंने 'मोगैंबो' का किरदार निभाया, जो भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित खलनायकों में से एक बन गया. डायलॉग 'मोगैंबो खुश हुआ' आज भी लोगों की जुबान पर है. इस किरदार ने न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी उनकी पहचान बनाई. 

हॉलीवुड में भी किया काम 

अमरीश पुरी का टैलेंट केवल बॉलीवुड तक सीमित नहीं रहा,1984 में, उन्होंने स्टीवन स्पीलबर्ग की हॉलीवुड फिल्म 'इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ डूम' में खलनायक 'मोला राम' का किरदार निभाया. इस फिल्म में उनका किरदार एक क्रूर और डरावने पुजारी का था, जिसने दर्शकों को डरा दिया. यह फिल्म उनके इंटरनेशनल करियर का अहम पड़ाव थी और उन्होंने हॉलीवुड में भी अपनी छाप छोड़ी. दिखाया कि वे केवल खलनायक ही नहीं, बल्कि संवेदनशील और गहरे किरदारों को भी उतनी ही शिद्दत से निभा सकते हैं. उन्होंने अपने करियर में 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, जिनमें हिंदी, पंजाबी, तेलुगु और अन्य रीजनल भाषाओं की फिल्में शामिल थी. उनकी कुछ अन्य शानदार फिल्में 'नगीना', 'मेरी जंग', 'घायल', 'दामिनी', 'करण अर्जुन', 'कोयला', और 'परदेस.'

ब्रेन ट्यूमर से निधन  

अमरीश पुरी एक सादगी भरा जीवन जीते थे, उन्होंने 1957 में उर्मिला दीवेकर से शादी की, और उनके दो बच्चे, राजीव और नम्रता, हैं. वे अपने परिवार के प्रति बहुत डेडिकेटेड थे. एक्टिंग के प्रति उनका जुनून इतना था कि वे हर किरदार को गहराई से समझते और उसे जीते थे.  उनकी दमदार आवाज उनकी सबसे बड़ी ताकत थी, जिसके लिए वे नियमित रूप से रियाज करते थे. 12 जनवरी 2005 को अमरीश पुरी का निधन ब्रेन ट्यूमर के कारण हुआ, उनकी मृत्यु से भारतीय सिनेमा ने एक महान कलाकार को खो दिया. उनकी फिल्में और किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं. उनकी विरासत नई पीढ़ी के एक्टर्स के लिए प्रेरणा है. 

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