'मिट्टी का बेटा हूं, मरते-मरते भी कुछ कर जाऊंगा...' धर्मेंद्र के निधन के बाद सोशल में छाया यह वीडियो
धर्मेंद्र के निधन के बाद सोशल में कई वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह एक है मरते-मरते भी कुछ कर जाऊंगा. उखड़ती बूढ़ीं सांसों से चुरा के चंद सांसें, मैं चीर के सीना धरती का- फसल नई बो दूंगा. जब खेतों में हरियाली की चादर बिछ जाएगी, जब हवा में गेहूं की खुशबू तैर जाएगी.;
Dharmendra Death; भारतीय सिनेमा के सबसे चमकते सितारों में से एक धर्मेंद्र ने 24 नवंबर को मुंबई स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली. 89 वर्षीय अभिनेता बीते महीने सांस लेने में तकलीफ के बाद ब्रिच कैंडी अस्पताल में भर्ती हुए थे, जहां करीब दो हफ्ते उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई थी. महज 12 दिन बाद उनके निधन की खबर ने फिल्म जगत और लाखों प्रशंसकों को स्तब्ध कर दिया. धर्मेंद्र आगामी 8 दिसंबर को अपना 90वां जन्मदिन मनाने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही उनका जाना भारतीय फिल्म इतिहास का एक युग समाप्त कर गया.
उनके निधन के बाद सोशल मीडिया पर कई वीडियो और पुराने शायरी सोसल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसके बाद एक हर कोई शेयर कर रहा है इस बीच उनका एक बेहद खूबसूरत शायरी वायरल हो रही है जिसमें वह कह रहे हैं कि 'मिट्टी का बेटा हूं… मरते-मरते भी कुछ कर जाऊंगा. उखड़ती बूढ़ीं सांसों से चुरा के चंद सांसें, मैं चीर के सीना धरती का- फसल नई बो दूंगा.
शोले से चुपके चुपके तक- लीड एक्टर के रूप में बुलंदी पर धर्मेंद्र
धीरे-धीरे धर्मेंद्र ने खुद को बड़े सितारों की श्रेणी में स्थापित किया और कई सुपरहिट फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई. Sholay, Dharam Veer, Chupke Chupke, Mera Gaon Mera Desh और Dream Girl जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों ने उन्हें हिंदी सिनेमा का ‘ही-मैन’ बना दिया. एक्शन से लेकर रोमांस और कॉमेडी-हर शैली में धर्मेंद्र ने अपनी विशेष छाप छोड़ी.
आखिरी बार इस फिल्म में दिखे, 25 दिसंबर को रिलीज होगी अंतिम फिल्म
धर्मेंद्र आखिरी बार शाहिद कपूर और कृति सेनन की फिल्म Teri Baaton Mein Aisa Uljha Jiya में नजर आए थे. उनकी अगली और अंतिम फिल्म Ikkis है, जिसमें अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. यह फिल्म 25 दिसंबर को रिलीज होने वाली है.
'मिट्टी का बेटा हूं… मरते-मरते भी कुछ कर जाऊंगा.
उखड़ती बूढ़ीं सांसों से चुरा के चंद सांसें,
मैं चीर के सीना धरती का-फसल नई बो दूंगा.
जब खेतों में हरियाली की चादर बिछ जाएगी,
जब हवा में गेहूं की खुशबू तैर जाएगी,
तब उग आएगी जवानी… मेरी बूढ़ी सांसों में भी जान लौट आएगी.
फिर होगी लथपथ मिट्टी में…
मैं खेत-खेत भागूंगा,
नाचूंगा, गाऊंगा,
मां धरती के पांव छूकर उसका आशीर्वाद पाऊंगा.
और जब फसल सुनहरी हो जाएगी…
सोने जैसी चमकने लगेगी,
तो ले के दाती हाथ में
मैं झूमते हुए कहूंगा-
ये सिर्फ फसल नहीं… ये मेरी रगों का खून है,
मेरे बाप-दादों की मेहनत है,
और इस मिट्टी के लिए मेरा आखिरी वचन है-
जब तक सांस चलेगी,
मैं इस धरती से अपना रिश्ता नहीं टूटने दूंगा.”