RBI ने रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव, 5.5% पर बरकरार रखी; GDP ग्रोथ का अनुमान बढ़ाया
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट को लगातार दूसरी बार 5.5% पर स्थिर रखा और मौद्रिक नीति के लिए तटस्थ रुख अपनाया. गवर्नर संजय मल्होत्रा ने GDP वृद्धि को 6.8% बताया और मुद्रास्फीति का नियंत्रण किए जाने पर जोर दिया. RBI ने शहरी सहकारी बैंकों की नई लाइसेंसिंग पर विचार, क्रेडिट प्रवाह सुधार और घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत उपाय भी सुझाए. जानिए RBI की नीति और आगामी वित्तीय संकेत.;
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी प्रमुख रेपो रेट को लगातार दूसरी बार 5.5% पर स्थिर रखा और मौद्रिक नीति के लिए ‘तटस्थ’ रुख बनाए रखा. बुधवार को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति कमेटी की बैठक की जानकारी देते हुए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारत की जीडीपी अब 6.8% की दर से बढ़ने की संभावना है, जो पहले के अनुमान 6.5% से अधिक है. यह मजबूत घरेलू मांग और अनुकूल नीतिगत उपायों का संकेत है.
RBI की यह घोषणा बाजार की उम्मीदों के अनुरूप है और यह पिछले दर कट और हाल की कर में कटौती के प्रभावों का मूल्यांकन कर रहा है, खासकर वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितताओं के बीच.
पिछले दर कट और मौजूदा रुख
RBI ने 2025 की पहली छमाही में कुल 100 आधार अंक की कटौती की थी, लेकिन अगस्त में हुई पिछली बैठक में इसे स्थिर रखा गया. छह सदस्यीय दर निर्धारण समिति ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को 5.5% पर बनाए रखने का निर्णय लिया. इस बार भी केंद्रीय बैंक ने ‘तटस्थ’ नीति अपनाकर संकेत दिया कि आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन बनाए रखना प्राथमिकता है.
मौद्रिक नीति और बाजार की प्रतिक्रिया
पहले से ही यह अनुमान लगाया था कि दरों में कोई बदलाव नहीं होगा. हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों ने कम मुद्रास्फीति और विकास को लेकर संभावित चुनौतियों को देखते हुए रेपो रेट में कटौती का सुझाव दिया था. RBI के अनुसार, खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट और जीएसटी की दरों में संशोधन के कारण मुद्रास्फीति की तस्वीर अधिक नियंत्रित नजर आ रही है.
रेट कट की संभावना
अगस्त में वार्षिक मुद्रास्फीति 2.07% पर रही, जो केंद्रीय बैंक की 2%-6% की सहनशीलता सीमा के लोअर लेवल के करीब है. इस स्थिति से रेपो रेट में कटौती के लिए अवसर बना हुआ है. हालांकि अप्रैल-जून तिमाही में 7.8% आर्थिक वृद्धि हुई, लेकिन अमेरिकी आयात पर 50% तक के टैरिफ के कारण आने वाले तिमाहियों में धीमी वृद्धि की संभावना जताई जा रही है.
घरेलू मांग और कर कटौती का प्रभाव
जीएसटी की दरों में हालिया कटौती से घरेलू मांग में सुधार की उम्मीद है. इससे न केवल अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिलेगी, बल्कि वित्तीय संस्थानों के लिए भी क्रेडिट प्रवाह बढ़ाने का अवसर तैयार होगा. RBI ने नए प्रस्तावित उपायों में भारतीय बैंकों के लिए कॉर्पोरेट अधिग्रहणों में वित्तपोषण की सुविधा और सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों के खिलाफ ऋण सीमा हटाने की योजना बनाई है.
शहरी सहकारी बैंकों पर नए कदम
आरबीआई ने शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) के लिए नई लाइसेंसिंग पर चर्चा के लिए प्रस्तावित पेपर जारी करने की योजना बनाई है. 2004 से नई लाइसेंसिंग रुकी हुई थी, लेकिन अब बढ़ती मांग के कारण इसे पुनः शुरू करने पर विचार किया जा रहा है. इस पहल का उद्देश्य सहकारी बैंकों के क्षेत्र में सकारात्मक विकास को बढ़ावा देना और वित्तीय समावेशन को मजबूत करना है.
आरबीआई का मुद्रास्फीति अनुमान
RBI ने FY26 के लिए मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 3.1% से घटाकर 2.6% किया है. Q2 के लिए मुद्रास्फीति अब 1.8% और Q3 के लिए 1.8% अनुमानित है. Q4 के लिए 4% और Q1FY27 के लिए 4.5% की उम्मीद है. इससे संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे घरेलू और वैश्विक परिस्थितियों के अनुकूल हो रही है, जिससे कीमतों में संतुलित वृद्धि की उम्मीद की जा रही है.