EXCLUSIVE: इन देशों की मुद्रा के बीच फंसकर दम तोड़ेगा डॉलर, हिंदुस्‍तान के घरों में मौजूद 30 हजार टन सोना चीन-अमेरिका को रुलाएगा

साल 2025 में सोने-चांदी की रिकॉर्डतोड़ कीमतों और वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के बीच अमेरिकी डॉलर की मजबूती पर सवाल खड़े हो रहे हैं. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. शरद कोहली का दावा है कि डॉलर के मुकाबले रुपये को कमजोर बताना एक गलत धारणा है. उनका कहना है कि भारत की असली ताकत उसकी मुद्रा नहीं, बल्कि उसके पास मौजूद विशाल स्वर्ण भंडार है - जिसमें करीब 30 हजार टन सोना भारतीय घरों में जमा है.;

साल 2025 में भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में सोने-चांदी को लेकर सबसे ज्यादा हंगामा मचा रहा. वजह कि, जिस कदर इस वर्ष दुनिया भर में सोने-चांदी के दामों में तूफानी गति से वृद्धि हुई. उसकी भविष्यवाणी करने में तो दुनिया भर के तमाम अर्थशास्त्री तक चूक गए. ऐसे में ग्राहक और सोने चांदी के थोक व फुटकर व्यापारियों पर तो जो गुजरी, वह खुली आंखों से जमाने ने देखा है.

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आंधी की गति से बढ़े सोने चांदी के दामों ने इंसान को इस कदर अपने मकड़जाल में उलझा लिया जिससे, साल 2025 जाते-जाते भी क्या सोने चांदी के व्यापारी और क्या आमजन, कोई भी नहीं उबर पाया. इस साल इन दोनो की लगातार बढ़ती रही बेतहाशा कीमतों ने न केवल भारत सहित दुनिया भर के व्यापारियों को असमंजस में डाले रखा. अपितु अमेरिका, चीन, रूस और भारत जैसे दुनिया के ताकतवर देशों की अर्थ-व्यवस्था को भी सोने चांदी की कीमतों में हुई लगातार हो रही अप्रत्याशित वृद्धि ने हिला डाला.

ट्रंप के टैरिफ का भारत के पास नहीं था जवाब

साल 2025 के दूसरे पक्ष में जहां 50 फीसदी टैरिफ लगाकर अमेरिका और ट्रंप ने न केवल भारत की मुसीबत खड़ी कर दी, अपितु उनके इस दुस्साहसिक कदम ने दुनिया को चौंका दिया. क्योंकि ट्रंप और अमेरिका को दुनिया अब तक भारत और उसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सच्चा करीबी विश्वासपात्र दोस्त ही मान रही थी. जब अपनी पर उतरे ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ जड़ा, तब इसका मजबूत जवाब दुनिया को देने के लिए भारत के पास भी नहीं था.

जिनको जानकारी नहीं वही रोते हैं रुपये के गिरने का सबसे ज्‍यादा रोना

ट्रंप और अमेरिका की इस बेरुखी के बाद जब साल के अंतिम महीनों में अमेरिकी डॉलर ने भारत के रुपये को खुद से बहुत नीचे लुढ़का दिया तो इसने भारत की आर्थिक स्थिति की कमर तोड़ने में रही सही बाकी बची कसर भी पूरी कर डाली. इस बारे में स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर इनवेस्टीगेशन से विशेष बातचीत करते हुए नई दिल्ली में मौजूद देश के विख्यात अर्थशास्त्री डॉ. शरद कोहली कहते हैं, “दरअसल जब जब डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर होता है. तब-तब दुनिया के किसी देश में इसे लेकर भले ही शोर न मचता हो. मगर हमारे अपने देशवासी इस मुद्दे पर रोना-धोना शुरू कर देते हैं. उस हद तक का रोना धोना जो कोहराम में तब्दील होकर सीधे-सीधे भारतीय बाजार को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने लगता है. भले आंशिक रूप से ही क्यों न सही. इस तरह की अफवाहें भारत और दुनिया की अर्थ-व्यवस्था के गुणा-गणित से एकदम अंजान या फिर इस जगत से दूर रहने वाले ही फैलाते हैं. उनके इस कृत्य से आम आदमी सीधे सीधे प्रभावित होने लगता है. जिसका सीधा-सीधा असर हमारे शेयर मार्केट, बैंकिंग आदि पर भी थोड़ा बहुत पड़ता ही है.

डॉलर से रुपये की तुलना ही गलत

जबकि अंदर की इनसाइड स्टोरी यह है कि डॉलर से रुपए की तुलना करना ही गलत है. हम जब जब डॉलर से अपने रुपए की तुलना अज्ञानतावश करते हैं तब-तब यह आमजन और भारतीय व्यापार, बाजार और बैंकिंग सर्विस के लिए दुखदायी बन जाता है. कमजोर रुपया नहीं होता है. दरअसल हालत सबसे ज्यादा पतली तो अमेरिकी डॉलर को अपनी जगह पर बने रहने की चिंता को लेकर रहती है. भारत के पास रुपये के अलावा सोना इतनी ज्यादा मात्रा में मौजूद है, जिसके सामने अमेरिका और ट्रंप कहीं नहीं टिकते हैं. अमेरिका के पास जितना सरकारी खजाने में सोना है उससे कहीं ज्यादा तो भारत के खजाने में है.”

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भारत के घरों में छिपा है 30 हजार टन सोना

बात जारी रखते हुए डॉ. शरद कोहली कहते हैं, “डॉलर की तुलना में रुपए की कीमत डाउन होते ही हम शोर मचाने लगते हैं. ऐसा करने वालों को यह क्यों नहीं दिखाई देता है कि भारत के पास अमेरिका से कई गुना ज्यादा सोने का भंडार है. एक अनुमान और रिपोर्ट्स के मुताबिक 30 हजार टन तो सोना भारत के घरों मे ही छिपा कर रखा गया है. ऐसे में हम क्यों डॉलर के सामने अस्थाई तौर पर कुछ वक्त के लिए कमजोर होते अपने रुपए को देखकर हंगामा काटना शुरू कर देते हैं.”

दुनिया की चार मुद्राएं डॉलर को ध्‍वस्‍त करने में जुटीं

बकौल डॉ. शरद कोहली, “जहां तक सवाल रुपए और डॉलर का है तो थोड़ा सब्र करिए. आने वाले वर्षों में भारत का रुपया राज करेगा और अमेरिका के डॉलर की दादागिरी ही औंधे मुंह पड़ी होगी. दुनिया के चार देशों की मुद्रा ही देखते रहिए कैसे अमेरिका और उसके डॉलर का दम खींचकर उसे बेदम कर डालेगी. भारत का रुपया अमेरिकी डॉलर की तुलना में ऊपर-नीचे होता रहता है. रुपये की अमेरिकी डॉलर से तो कोई तुलना करना ही बेकार है. हम जिस तरह से डॉलर के सामने रुपए के डाउन होने पर परेशान होने लगते हैं. अमेरिकी डॉलर से पूछो, उसे तो ध्वस्त करने में दुनिया के चार देशों की मुद्राएं घेरकर तबाह करने पर दिन रात जुटी हुई हैं.”

जरा डॉलर की दादागिरी की आड़ में छिपे उसके दर्द को भी तो समझो

स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में वरिष्ठ मशहूर अर्थशास्त्री डॉ. शरद कोहली कहते हैं, “मैं मानता हूं कि डॉलर के मुकाबले हमारा रुपया कहीं नहीं टिकता है. सवाल यह है कि हम यूएस डॉलर से अपने रुपए की तुलना करते ही क्यों है? यह कोई समझदारी वाली बात तो है नहीं. हम जब-जब डॉलर के सामने अपने रुपए को खड़ा करते हैं तब-तब हम खुद ही अपनी परेशानी मोल लेते हैं. जरा डॉलर की दादागिरी की आड़ में छिपे उसके दर्द को भी तो समझो. जैसे ही आपको यूएस डॉलर की दादागिरी की आड़ में छिपा दर्द आपको दिखेगा वैसे ही डॉलर के सामने दम तोड़ते रुपए को लेकर भारतीयों के मन में व्याप्त खौफ-दुख कम हो जाएगा. डॉलर एक अंतरराष्ट्रीय करेंसी है. दुनिया का 60-70 फीसदी व्यापार जो है वह इसी डॉलर में होता है. दुनिया के ज्यादातर देशों ने अपने रिजर्व्स डॉलर में ही रखे हैं. अधिकांश इंटरनेशनल लोन (ऋण) डॉलर में ही हैं. डॉलर दुनिया में डिमांड और सप्लाई के खेल की अहम बिसात है. ऐसे में डॉलर से रुपए को नाप डालना कहां की समझदारी है.”

...तो दम तोड़ देगा अमेरिका का डॉलर

ट्रंप ने भारत पर साल 2025 में जो 50 फीसदा टैरिफ लगाया उससे बेशक हमारे निर्यात पर विपरीत प्रभाव पड़ा हो. मगर ऐसा भी नहीं है कि इस पचास पर्सेंट टेरिफ ने भारत की अर्थव्यवस्था को तबाह ही कर डाला हो. हमारा रुपया अगर डॉलर के मुकाबले कहीं जब टिकता ही नहीं है तो हमें रुपए के आंशिक रूप से गिरने पर रोना-धोना भी क्यों चाहिए. सोचे अमेरिका जो दुनिया भर में डॉलर की दादागिरी करता है. डॉलर के कमजोर होने से अमेरिका जरूर बेदम होकर हांफने लगेगा. वैसे भी जिस तरह आंख मूंदकर ट्रंप अमेरिका को अंधी दौड़ में दौड़ा रहे हैं, देखते रहिए इसी तीव्र गति से अमेरिका और डॉलर बाजार में औंधे मुंह गिरेंगे भी. राष्ट्रपति ट्रंप की अप्रूवल रेटिंग लगातार गिर रही है. कुछ समय पहले तक उनकी जो अप्रूवल रेटिंग 50 फीसदी के करीब थी आज वही गिरकर 35-36 फीसदी आ पहुंची है. थोड़ा सब्र रखिए जो लोग आज बढ़ते डॉलर से भारत के गिरते रुपए की करते हैं, वही देखेंगे कि कैसे ब्रिटिश, जापान और स्विस मनी के सामने अमेरिका का डॉलर दम तोड़ेगा.

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