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Gaza की नई पहेली : गाजा में हमास को चैलेंज कर रहा अबू शबाब कौन?

गाजा में यासिर अबू शबाब नामक एक विवादास्पद चरित्र उभरा है जो खुद को Popular Forces का नेता बताता है और हमास के खिलाफ लड़ने का दावा करता है. पूर्व में अपराध जगत से जुड़े अबू शबाब अब मानते हैं कि वह लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं, लेकिन उन पर इजराइल से संरक्षण पाने और भ्रष्टाचार में शामिल होने के आरोप हैं. कई उसे 'गद्दार' मानते हैं तो कुछ उसे युद्धकालीन व्यवस्था का विकल्प बताते हैं.

Gaza की नई पहेली : गाजा में हमास को चैलेंज कर रहा अबू शबाब कौन?
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प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 5 Jun 2025 7:20 PM

गाज़ा पट्टी - जहां भूख, बदहाली और बारूद की महक आम है, वहां एक नया नाम सामने आया है, यासिर अबू शबाब. कभी अपराध की दुनिया का चर्चित चेहरा, आज वह खुद को जनता का रक्षक बता रहा है. वह दावा करता है कि उसने एक नया मिलिशिया समूह बनाया है - ‘Popular Forces’ - जो हमास के आतंक और लूट से लोगों की रक्षा कर रहा है. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सचमुच एक सामाजिक क्रांति है, या फिर यह इजराइल प्रायोजित ‘गज़ा मॉडल’ की शुरुआत है?

अबू शबाब कौन है?

  • नाम: यासिर अबू शबाब
  • जन्मस्थान: रफ़ाह, दक्षिणी गज़ा
  • पहचान: कबीलाई नेता, पूर्व अपराधी, अब ‘Popular Forces’ का कमांडर
  • पिछला रिकॉर्ड: मादक पदार्थों की तस्करी, चरमपंथी संगठनों (जैसे दाएश) से कथित संबंध
  • वर्तमान भूमिका: पूर्वी रफ़ाह में सशस्त्र नियंत्रण, मानवीय राहत वितरण का दावा
  • राजनीतिक संबंध: कथित रूप से इजराइली सैन्य सुरक्षा में, फिलीस्तीन अथॉरिटी से अप्रत्यक्ष सहमति का दावा

कैसे बना अपराधी से 'जन रक्षक'?

अबू शबाब की छवि में बदलाव अचानक नहीं आया. गाज़ा में जहां हर दूसरा घर विस्थापन, भूख और आतंक की कहानियां सुनाता है, वहां कोई भी 'व्यवस्था' का वादा करता है तो लोगों का ध्यान खींचता है. मई 2025 में अबू शबाब ने एक वीडियो जारी कर घोषणा की कि उसकी 'Popular Forces' ने पूर्वी रफ़ाह का नियंत्रण ले लिया है और वह विस्थापित लोगों को खाना, सुरक्षा और आश्रय देगा. वीडियो में उसके लड़ाके यूनिफॉर्म में थे, जिन पर फिलीस्तीन का झंडा और “Counter Terrorism Unit” का पैच लगा था. ये लड़ाके आटा उतारते, टेंट लगाते और ज़रूरतमंदों को राहत बांटते दिखे, वो भी इजराइली सेना की निगरानी में.

क्या ये इसराइल-प्रायोजित मिलिशिया है?

अबू शबाब कहता है, “हम मजबूरी में इजराइली नियंत्रण वाले इलाके में हैं, ताकि लोगों को सुरक्षित रख सकें.” लेकिन जमीनी हकीकत उतनी मासूम नहीं दिखती. हमा‍स का आरोप है कि अबू शबाब की यूनिट इजराइल की कठपुतली है, जो गज़ा को भीतर से तोड़ रही है. स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार अबू शबाब के लड़ाके खाने के ट्रकों से 'प्रोटेक्शन मनी' मांगते हैं, ड्राइवरों को पीटते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार एक मामले में उनके लड़ाकों ने काफिले पर फायरिंग की, जबकि 100 मीटर दूर इजराइली टैंक चुपचाप खड़ा रहा. वहीं Quds News की रिपोर्ट कहती है कि इजराइली एयरस्ट्राइक में छह हमास सुरक्षा अधिकारी मारे गए जो लूट रोकने की कोशिश कर रहे थे.

तो अबू शबाब का मिलिशिया रक्षक है या दमनकारी लुटेरा?

अबू शबाब के समर्थक मानते हैं कि वह हमास के कुशासन से त्रस्त जनता के लिए ‘उम्मीद की किरण’ है. उनके सोशल मीडिया पेज पर उन्हें “जन नेता” और “भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा” बताया जा रहा है. दूसरी ओर, कई फिलीस्तीनियों के लिए वह ‘ग़द्दार’ है - इजराइल की रक्षा में खड़ा एक स्वयंभू ठेकेदार.

गाज़ा के अधिकतर लोग उसे हमास का विकल्प नहीं मानते, क्योंकि उसके पास जनता का जनादेश नहीं है, सिर्फ बंदूकें और सुरक्षा तंत्र का संरक्षण है.

क्या कहता है इतिहास?

अबू शबाब के उदय को कुछ विशेषज्ञ ईराक की 'Awakening Councils' से जोड़ते हैं. वे कबीलाई समूह थे जिन्हें अमेरिका ने अल-कायदा के खिलाफ खड़ा किया था. उन्होंने अल्पकालिक शांति दी, लेकिन अमेरिकी सेना के हटते ही वो समूह बिखर गए. एक अन्य उदाहरण है दक्षिण लेबनान आर्मी (SLA) - जो इजराइल द्वारा समर्थित थी. 2000 में इसराइल की वापसी के बाद SLA के सदस्य निर्वासन में चले गए या जनता के गुस्से का शिकार बने.

क्या अबू शबाब का अंजाम भी ऐसा ही होगा?

अबू शबाब का दावा है कि उसकी यूनिट "फिलीस्तीन अथॉरिटी की वैधता के तहत" काम कर रही है, लेकिन रामल्ला स्थित पीए (PA) ने अब तक कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया. कई विश्लेषकों का मानना है कि यह 'मौन' रणनीतिक है - हो सकता है PA इस "स्थानीय मॉडल" को सफल होते देखना चाहती हो ताकि भविष्य में वह हमास के विकल्प के रूप में उभरे.

क्या अबू शबाब नया चेहरा है या पुराना शातिर?

अबू शबाब की कहानी गज़ा के जले हुए नक्शे पर एक नई लेकिन अस्थिर लकीर खींचती है. वह व्यवस्था का झंडाबरदार बनकर उभरा है, लेकिन उसके कंधे पर इजराइल की बंदूक है और जनता का भरोसा नहीं. अगर वह सचमुच जनता का रक्षक है, तो उसे सबसे पहले जवाबदेही और पारदर्शिता का रास्ता चुनना होगा. वरना इतिहास उसे भी उन्हीं नेताओं की सूची में डालेगा, जो 'सुरक्षा' के नाम पर सत्ता का खेल खेलते हैं.

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