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आखिर क्या साबित करना चाहते हैं ट्रंप? इंडिया–चाइना–रूस के साथ गठजोड़ की चर्चा से वॉशिंगटन में हलचल तेज

डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ ही महीने पहले दावा किया था कि 'US ने इंडिया और रूस को गहरे अंधेरे चीन के हाथों खो दिया है'. लेकिन अब वॉशिंगटन में घूम रहे नए विचारों ने अमेरिकी राजनीति में जोरदार बहस छेड़ दी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन के इर्द-गिर्द यह चर्चा तेज है कि अमेरिका, भारत, चीन, रूस और जापान को मिलाकर एक नया वैश्विक समूह-'Core-5' या 'C-5'-बनाने का विचार सामने आया है.

आखिर क्या साबित करना चाहते हैं ट्रंप? इंडिया–चाइना–रूस के साथ गठजोड़ की चर्चा से वॉशिंगटन में हलचल तेज
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( Image Source:  Sora_ AI )
स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 12 Dec 2025 6:43 PM

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ ही महीने पहले दावा किया था कि 'US ने इंडिया और रूस को गहरे अंधेरे चीन के हाथों खो दिया है'. लेकिन अब वॉशिंगटन में घूम रहे नए विचारों ने अमेरिकी राजनीति में जोरदार बहस छेड़ दी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन के इर्द-गिर्द यह चर्चा तेज है कि अमेरिका, भारत, चीन, रूस और जापान को मिलाकर एक नया वैश्विक समूह-'Core-5' या 'C-5'-बनाने का विचार सामने आया है. हालांकि, इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हुई है.

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यह प्रस्ताव जिस तरह से सामने आया है, वह चौंकाने वाला है क्योंकि यह वही देश हैं जिन पर ट्रंप ने हाल के महीनों में तगड़े व्यापारिक हमले किए थे. लेकिन अब इस विचार को ट्रंप की पुरानी कूटनीतिक शैली- राइवल देशों के साथ डील करने और ‘स्ट्रॉन्गमैन’ लीडर्स से तालमेल बनाने के अनुरूप बताया जा रहा है.

C-5 ब्लॉक क्या है और क्यों बनाई जा सकती है नई वैश्विक संरचना?

Politico की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि वॉशिंगटन में इस हफ्ते एक नया आईडिया तेज़ी से घूम रहा है. एक ऐसा ब्लॉक जो G7 के बिल्कुल विपरीत हो और जिसमें अमेरिका, चीन और रूस जैसे विरोधी देश भी एक साथ शामिल हों.

रिपोर्ट में कहा गया कि G7 और UNSC अब नाकाफी? अमेरिका में नई वैश्विक संरचना पर चर्चा तेज

अमेरिकी प्रशासन से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि 'C5 या C7 को लेकर तो कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन यह जरूर बातचीत में था कि मौजूदा वैश्विक ढांचे- जैसे G-structures या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद- आज की नई अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के लिए पर्याप्त नहीं हैं. यानि मौजूदा वैश्विक ढांचे जैसे G7 और UNSC बदलती भू-राजनीति में बेअसर होते दिख रहे हैं, इसलिए नई व्यवस्था की जरूरत महसूस की जा रही है.

White House का इनकार- 'ऐसी कोई रणनीति मौजूद नहीं'

Defense One ने दावा किया कि यह विचार एक लंबे, अप्रकाशित National Security Strategy दस्तावेज़ से निकला है. लेकिन व्हाइट हाउस ने इसे फौरन खारिज कर दिया. व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एना केली ने कहा कि 33-पेज की आधिकारिक रणनीति का कोई वैकल्पिक, निजी या गोपनीय संस्करण मौजूद नहीं है. यानि सरकार की ओर से इस विचार का कोई आधिकारिक आधार नहीं है.

क्या यह ट्रंप की कूटनीति से मेल खाता है? विशेषज्ञों का विश्लेषण

विशेषज्ञों का कहना है कि यह विचार भले ही असंभव लगे, लेकिन ट्रंप की शैली को देखें तो यह असली तस्वीर से बहुत दूर भी नहीं है. उन्होंने चीन को Nvidia के H200 AI चिप्स बेचने की अनुमति दी, वहीं उनके विशेष दूत- स्टीव विटकॉफ़ और जैरेड कुशनर- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सीधे बातचीत करते रहे.

पूर्व NSC अधिकारी टॉरी टॉसिग के शब्दों में 'यह उसी तरह मेल खाता है जैसा हम जानते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप दुनिया को देखते हैं. बिना किसी विचारधारात्मक चश्मे के, ताकतवर नेताओं के प्रति झुकाव के साथ और महान शक्तियों के बीच होने वाले बड़े समझौतों की ओर झुकाव के साथ.

इंडिया–US संबंधों के बीच व्यापारिक तनाव भी बने पृष्ठभूमि

पिछले कई महीनों में ट्रंप ने इंडिया, रूस और चीन के खिलाफ टैरिफ और व्यापारिक हमले तेज कर दिए थे. उन्होंने कुछ समय पहले मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा था कि 'लगता है कि हमने भारत और रूस को ‘सबसे गहरे, सबसे अंधेरे चीन’ के हाथों खो दिया है, लेकिन अब परदे के पीछे बातचीत का माहौल बदला हुआ लगता है. भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता लगभग अंतिम दौर में है.

मोदी–ट्रंप की बातचीत: रिश्तों में ‘गर्माहट’

गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की. पीएम मोदी ने X पर लिखा कि राष्ट्रपति ट्रंप के साथ बहुत ही गर्मजोशी से भरी और सार्थक बातचीत हुई… भारत और अमेरिका वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे.'

क्या C-5 वास्तव में बनेगा?

अभी इसकी पुष्टि नहीं है, और अमेरिकी प्रशासन इसे अफवाह बता रहा है. लेकिन वॉशिंगटन की राजनीतिक फिज़ाओं में एक बात साफ है. दुनिया बदल रही है, और अमेरिका वैकल्पिक वैश्विक ढांचे पर गंभीरता से विचार करने लगा है. क्या C-5 ऐसा ही कोई प्रयोग बन सकता है? आने वाले हफ्तों में तस्वीर और साफ होगी.

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