क्या है डेलाइट सेविंग टाइम? जिसे खत्म करना चाहते हैं ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नए राष्ट्रपति के रूप में 20 जनवरी को शपथ लेने वाले हैं. इस शपथ समारोह से पहले ही ट्रंप कई बड़े एलान करते नजर आ रहे हैं. इनमें डेलाइट सेविंग टाइम (DST) भी शामिल है. ट्रंप ने एलान करते हुए कहा कि वो और उनकी पार्टी इस परंपरा को खत्म करने का पूरा प्रयास करेगी.

अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी रिपब्लिकन पार्टी जल्द ही डेलाइट सेविंग टाइम को खत्म करने का प्रयास करने वाली है. ऐसा इसलिए क्योंकी ये देश के लिए असुविधाजनक और काफी मंहगा है. आपको बता दें कि अमेरिका में डेलाइट सेविंग टाइम मार्च के दूसरे रविवार को शुरू होता है और नवंबर के पहले रविवार को खत्म होता है. समय परिवर्तन स्थानीय समयानुसार सुबह 2:00 बजे होता है.
लेकिन अगर आप भी सोच रहे हैं कि आखिर डेलाइट सेविंग टाइम आखिर है क्या? और इसे खत्म करने की जरूरत क्यों बताई जा रही है? चलिए जानते हैं.
कैसे पड़ा डेलाइट सेविंग टाइम नाम?
इस बात को सभी जानते हैं कि सर्दियों में दिन छोटे और रातें बड़ी हो जाती हैं. इसे लेकर अमेरिका में कई सालों से पुरानी परपंरा है. जिसके तहत घड़ी में समय को एक घंटा पीछे कर दिया जाता है. ऐसा करने के पीछे का तर्क है कि लोग दिन की रोशनी का ज्यादा इस्तेमाल कर सके और इससे बिजली की खपत कम हो, साथ ही रात में जल्दी घर वापिस जा सके. इसी प्रक्रिया को डेलाइट सेविंग टाइम के नाम से जाना जाता है. हालांकि इसी परंपरा को अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने बंद करने का एलान किया है.
ट्रंप ने किया बंद करने का एलान
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया और कहा कि डेलाइट सेविंग टाइम को खत्म करने के लिए उनकी पार्टी प्रयास करेगी. ट्रंप ने इसे असुविधाजनक और पैसों का नुकसान बताया है. उनका कहना है कि ये बहुत महंगा है. हालांकि इस परंपरा को काफी आलोचना का भी सामना करना पड़ा है. इसे लेकर कई एक्सपर्ट्स का ऐसा मानना है कि इससे बहुत नुकसान होता है. क्योंकी हमारे शरीर को क्लॉक के हिसाब से खुद को एडजस्ट करना होता है. इसलिए इससे कई परेशानी जैसे, दिल का दौरा और भी कई समस्याएं हो सकती है. कुछ लोग इसी से परेशान होकर सुसाइड तक कर लेते हैं.