बांग्लादेश की पूर्व पीएम बेगम खालिदा जिया को हुआ क्या? पीएम मोदी ने जताई चिंता, BNP ने कहा- Thank You
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया की तबीयत बेहद नाज़ुक बनी हुई है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है. PM नरेंद्र मोदी ने उनके स्वास्थ्य पर गहरी चिंता व्यक्त की और भारत की ओर से हरसंभव मदद की पेशकश की, जिस पर BNP ने “Thank You” कहा. विदेशी डॉक्टरों की टीम इलाज में जुटी है, जबकि उनका विदेश में उपचार फिलहाल संभव नहीं. जिया की बिगड़ी हालत ने बांग्लादेश की राजनीति और भारत-बांग्लादेश संबंधों में नया तनाव पैदा कर दिया है.
बांग्लादेश की राजनीति इस समय असामान्य तनाव से गुजर रही है, और इसकी वजह है देश की तीन बार प्रधानमंत्री रह चुकीं बेगम खालिदा जिया की अचानक बिगड़ी सेहत. वह न सिर्फ बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की सबसे अहम नेता रही हैं, बल्कि बांग्लादेश की सत्ता की धुरी दो हस्तियों खालिदा जिया और शेख हसीना के इर्द-गिर्द घूमती रही है. ऐसे में उनकी हालत गंभीर होने पर पूरा बांग्लादेश राजनीतिक अनिश्चितता में डूब गया है.
इसी स्थिति पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया ने इस घटना को और अंतरराष्ट्रीय महत्व दे दिया. पीएम मोदी ने सार्वजनिक रूप से खालिदा जिया की हालत पर चिंता जाहिर की और भारत की ओर से किसी भी तरह की मेडिकल सहायता देने की पेशकश की. दिलचस्प बात यह है कि बीएनपी जो पारंपरिक रूप से भारत के खिलाफ राजनीतिक रुख रखती है ने भी मोदी के संदेश पर “थैंक यू” कहकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाई.
तबीयत बेहद नाज़ुक, वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया
BNP नेताओं के अनुसार खालिदा जिया की हालत तेजी से बिगड़ी है और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है. 23 नवंबर को सीने में तेज इन्फेक्शन के बाद उन्हें ढाका के एवरकेयर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. संक्रमण ने उनके दिल और फेफड़ों पर गंभीर असर डाला है.
अंतरराष्ट्रीय डॉक्टरों की टीम लगी
सोमवार दोपहर अस्पताल में 5-सदस्यीय विदेशी मेडिकल टीम पहुंची, जिसमें कई डॉक्टर चीन से बुलाए गए हैं. यह टीम स्थानीय डॉक्टरों के साथ मिलकर खालिदा जिया के इलाज की रणनीति तैयार कर रही है. मेडिकल बोर्ड ने भी बाहरी विशेषज्ञों की राय को जरूरी बताया है.
विदेश भेजने की तैयारी
BNP चाहती है कि खालिदा जिया को बेहतर इलाज के लिए ब्रिटेन या सिंगापुर भेजा जाए, लेकिन डॉक्टरों ने साफ कहा है कि वह अभी यात्रा के लिए “फिट” नहीं हैं. किडनी और लिवर की गंभीर समस्या ने स्थिति और खराब कर दी है.
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पीएम मोदी का संदेश
PM मोदी के संदेश में न सिर्फ चिंता बल्कि सम्मान का भाव भी दिखा. उन्होंने लिखा, "बेगम खालिदा जिया ने बांग्लादेश के सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. भारत उनकी जल्द रिकवरी की कामना करता है." भारत की ओर से दी गई यह संवेदनशील प्रतिक्रिया ढाका की राजनीति में अहम संकेत मानी जा रही है.
BNP ने कहा- 'थैंक यू'
आमतौर पर अवामी लीग की तुलना में BNP को भारत-विरोधी माना जाता है, लेकिन इस बार पार्टी ने खुलकर भारत का धन्यवाद किया. BNP ने पोस्ट किया, “PM मोदी के शुभकामनाओं के लिए हम हृदय से आभारी हैं.” यह संकेत देता है कि बांग्लादेश की वर्तमान अस्थिर स्थिति भारत–BNP संबंधों में बदलाव ला सकती है.
लंबे समय से हैं बीमार
80 वर्ष की खालिदा जिया पिछले कई सालों से लिवर रोग, किडनी फेलियर, डायबिटीज और गठिया जैसी बीमारियों से जूझ रही हैं. विदेशी मेडिकल रिपोर्टों में बताया गया है कि उनका “लिवर सिरोसिस” उन्नत स्तर पर है और इलाज कठिन हो गया है.
2018 में हुई थी 10 साल की सजा
जिया अनाथालय ट्रस्ट मामले में 2018 में उन्हें 5 साल की सजा हुई थी, जिसे बाद में हाई कोर्ट ने 10 साल कर दिया. 2024 में शेख हसीना के सत्ता छोड़ने के बाद उन्हें रिहा किया गया और फिर वह इलाज के लिए लंदन चली गईं थीं.
क्यों महत्वपूर्ण हैं खालिदा जिया?
बांग्लादेश की राजनीति दशकों तक दो नेताओं के संघर्ष से बनी रही शेख हसीना बनाम खालिदा जिया. इस राजनीतिक दुश्मनी को ही “बैटल ऑफ बेगम्स” कहा गया. 1991, 1996, 2001 और उसके बाद हर चुनाव में यह संघर्ष सत्ता का निर्णायक केंद्र रहा. जिया का राजनीतिक सफर 1981 में पति, राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या के बाद शुरू हुआ. BNP को टूटने से बचाने के लिए वह राजनीति में उतरीं, और जल्द ही देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं.
परिवार और पार्टी की कैसी है हालत?
बड़े बेटे तारीक रहमान 2008 से लंदन में रह रहे हैं. छोटे बेटे अराफात रहमान का 2025 में हार्ट अटैक से निधन हो गया था. यह भी BNP के बिखराव और भावनात्मक संकट का बड़ा कारण माना जाता है.
बांग्लादेश की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा?
खालिदा जिया की हालत जितनी गंभीर है, उससे बांग्लादेश में सत्ता समीकरण तेजी से बदल सकते हैं. अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस पहले ही चिंता जता चुके हैं. BNP की अंदरूनी राजनीति अस्थिर है. भारत-बांग्लादेश रिश्तों में नए समीकरण बनने की संभावना है. अगर जिया की तबीयत में सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले महीनों में ढाका की राजनीति पूरी तरह बदल सकती है.





