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यूक्रेन ने रूस पर किया 'पर्ल हार्बर' जैसा हमला! 40 बॉम्बर जेट्स को किया तबाह; जानें क्या है 84 साल पुराना इतिहास

यूक्रेन ने रूस के इरकुत्स्क क्षेत्र में स्थित बेलाया एयरबेस पर गुप्त ड्रोन हमले से 40 बॉम्बर जेट्स को तबाह कर दिया. हमले को लेकर रूस का मीडिया इसे 'पर्ल हार्बर' जैसे झटके से जोड़ रहा है. एक साल की योजना के बाद अंजाम दिए गए इस हमले को यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने खुद मॉनिटर किया था.

यूक्रेन ने रूस पर किया पर्ल हार्बर जैसा हमला! 40 बॉम्बर जेट्स को किया तबाह; जानें क्या है 84 साल पुराना इतिहास
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 2 Jun 2025 8:08 AM IST

रविवार को रूस-यूक्रेन युद्ध ने नया मोड़ ले लिया जब यूक्रेन ने रूस के भीतर बेलाया एयरबेस समेत कई सैन्य ठिकानों पर ड्रोन हमले कर डाले. यूक्रेनी मिलिट्री इंटेलिजेंस का दावा है कि इस ऑपरेशन में रूस के करीब 40 बॉम्बर्स नष्ट हो गए, जिससे उसे लगभग 2 अरब डॉलर की क्षति हुई. रूस की सेना को इस स्तर की सीधी क्षति युद्ध के शुरुआती दौर के बाद पहली बार झेलनी पड़ी है. यह हमला न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि रूस के सैन्य मनोबल पर भी भारी चोट है.

रूसी मीडिया और सैन्य विश्लेषकों ने इस हमले को सीधे-सीधे 'पर्ल हार्बर' से जोड़ दिया है. एक रूसी न्यूज चैनल ने इसे “2025 का पर्ल हार्बर” करार देते हुए कहा कि जैसे अमेरिका 1941 में अचानक जापानी हमले से स्तब्ध था, ठीक वैसे ही अब रूस को यूक्रेन ने चौंका दिया है. यह तुलना केवल सैन्य क्षति के स्तर पर नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक प्रभाव को भी इंगित करती है, जिससे रूस की युद्ध रणनीति पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं.

क्या है असली पर्ल हार्बर हमला?

7 दिसंबर 1941 को जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर नौसैनिक अड्डे पर जबरदस्त हवाई हमला किया था. 177 जापानी विमानों ने दो घंटे में अमेरिका के 21 युद्धपोतों और 188 विमानों को नष्ट किया था. इस हमले में 2,403 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे. उस हमले ने अमेरिका को द्वितीय विश्व युद्ध में खींच लाया. यूक्रेनी हमला भले ही पैमाने में छोटा हो, लेकिन रणनीतिक असर और संदेश के मामले में यह वैसा ही झटका है जैसा अमेरिका ने पर्ल हार्बर में झेला था.

सालभर की प्लानिंग

एसोसिएटेड प्रेस (AP) की रिपोर्ट बताती है कि यह हमला एक तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं था, बल्कि सालभर की गहन योजना और खुफिया रणनीति का परिणाम था. हमले की कमान खुद राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने संभाली थी. ड्रोन को यूक्रेन से 4,000 किमी दूर रूस के इरकुत्स्क क्षेत्र तक ट्रकों के ज़रिए भेजा गया. कंटेनरों में छिपाकर इन्हें बेलाया जैसे एयरबेस पर तैनात किया गया, जिससे रूस को हमले का आभास भी नहीं हुआ.

रूस की चुप्पी टूटी, पर सफाई जारी

शाम होते-होते रूस ने अंततः यह स्वीकार किया कि उसके कुछ बॉम्बर्स इस हमले में नष्ट हुए हैं, लेकिन अब तक विस्तृत आंकड़े साझा नहीं किए गए हैं. रूस की सरकारी एजेंसियां इसे "छोटा नुकसान" बताकर नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन सोशल मीडिया और स्वतंत्र रक्षा विश्लेषक इसे "रूस के एयर डिफेंस की सबसे बड़ी विफलता" करार दे रहे हैं. साथ ही, इससे यूक्रेन की साइबर और सैन्य इंटेलिजेंस क्षमता पर भी चर्चा तेज हो गई है.

अब मनोवैज्ञानिक लड़ाई शुरू

इस हमले ने यूक्रेन-रूस युद्ध को मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक स्तर पर एक नई दिशा में मोड़ दिया है. यूक्रेन ने साबित किया है कि वह सिर्फ रक्षा नहीं, अब आक्रामकता के मोर्चे पर भी नियंत्रण पा रहा है. विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस की सेना अब अपने ही घर में असुरक्षित महसूस कर रही है, और यह स्थिति लंबे युद्ध की संभावनाओं को और अधिक उलझा सकती है. यह हमला न केवल विस्फोटक था, बल्कि एक चेतावनी भी थी. रूस की सरहदें अब अभेद्य नहीं रहीं.

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