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अलास्का में ट्रम्प-पुतिन का आमना-सामना! भारत ने किया स्वागत, कहा- 'युद्ध नहीं, चाहिए स्थायी शांति'

अगस्त में अलास्का में होने वाली ट्रम्प-पुतिन शिखर वार्ता को लेकर भारत ने स्वागत किया और कहा—यह यूक्रेन युद्ध खत्म करने का ऐतिहासिक अवसर है. प्रधानमंत्री मोदी के “युद्ध का युग नहीं” संदेश को दोहराते हुए विदेश मंत्रालय ने शांति प्रक्रिया में योगदान देने की पेशकश की. बैठक में यूक्रेन विवाद, जमीन अदला-बदली और वैश्विक कूटनीति अहम मुद्दे होंगे.

अलास्का में ट्रम्प-पुतिन का आमना-सामना! भारत ने किया स्वागत, कहा- युद्ध नहीं, चाहिए स्थायी शांति
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( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 10 Aug 2025 6:49 AM IST

नई दिल्ली ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 15 अगस्त को होने वाले अलास्का शिखर सम्मेलन का आधिकारिक स्वागत किया. विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि यह बैठक यूक्रेन में जारी संघर्ष को समाप्त करने और स्थायी शांति की राह खोलने का एक बड़ा अवसर है. बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस स्थायी संदेश को भी दोहराया गया कि “यह युद्ध का युग नहीं है”. मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत किसी भी सकारात्मक शांति पहल में योगदान देने के लिए तैयार है.

जनवरी 2025 में दूसरे कार्यकाल की शपथ लेने के बाद ट्रम्प और पुतिन की यह पहली औपचारिक भेंट होगी. पिछले चार वर्षों में यह पहला मौका होगा जब अमेरिकी और रूसी राष्ट्रपति आमने-सामने बैठेंगे. इससे पहले आखिरी औपचारिक मुलाकात जून 2021 में हुई थी, जब तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जिनेवा में पुतिन से बातचीत की थी. दिलचस्प यह भी है कि 2015 के बाद यह पुतिन की पहली अमेरिका यात्रा होगी, जब उन्होंने बराक ओबामा से मुलाकात की थी.

बैठक स्थल पर हफ़्तों की अटकलों का अंत

ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर इस बैठक की आधिकारिक पुष्टि की, जिससे बैठक स्थल को लेकर महीनों से चल रही अटकलों पर विराम लग गया. शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुतिन शिखर सम्मेलन को संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित करना चाहते थे. लेकिन अमेरिकी प्रशासन ने सुरक्षा, कूटनीतिक और रणनीतिक कारणों से इसे घरेलू जमीन पर आयोजित करने का दबाव बनाया. नतीजतन, ‘ग्रेट स्टेट ऑफ अलास्का’ को चुना गया, जो अमेरिका-रूस के भौगोलिक समीपता का भी प्रतीक है.

यूक्रेन युद्ध और संभावित जमीन अदला-बदली

क्रेमलिन के अनुसार, इस वार्ता का मुख्य फोकस यूक्रेनी संकट का दीर्घकालिक और शांतिपूर्ण समाधान होगा. व्हाइट हाउस में ट्रम्प ने आर्मेनिया-अज़रबैजान शांति समझौते के उदाहरण का जिक्र करते हुए संकेत दिया कि समझौते में “कुछ ज़मीन की अदला-बदली” हो सकती है. हालांकि, इस विचार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने सख्ती से खारिज कर दिया. उन्होंने टेलीग्राम पर लिखा, “यूक्रेन का क्षेत्रीय प्रश्न हमारे संविधान में स्पष्ट है. हम अपनी ज़मीन किसी भी कब्जाधारी को नहीं देंगे.”

अमेरिका-भारत संबंधों में नया तनाव

इस कूटनीतिक हलचल के बीच, बुधवार को ट्रम्प प्रशासन ने भारतीय रूसी तेल आयात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी. यह कदम ऐसे समय पर आया है जब भारत खुले तौर पर यूक्रेन शांति प्रक्रिया का समर्थन कर रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि यह टैरिफ निर्णय दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों में तनाव ला सकता है, खासकर ऊर्जा और व्यापार क्षेत्र में. फिर भी, भारत ने कूटनीतिक स्तर पर इस बैठक के महत्व को प्राथमिकता दी है.

शांति वार्ता से पहले गहन तैयारी

अलास्का बैठक से पहले ट्रम्प के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने मॉस्को में पुतिन के साथ तीन घंटे लंबी चर्चा की. अमेरिकी अधिकारियों ने इसे “बेहद फलदायी” करार दिया. वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि सभी पक्षों को अंतरराष्ट्रीय कानून और संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए. भारत, रूस और अमेरिका तीनों देशों के बीच यह वार्ता ऐसे समय हो रही है जब वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं और यूक्रेन युद्ध अपने चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुका है.

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