आतंकी पन्नू की मंशा नहीं हुई पूरी, अमेरिकी एजेंटों की वजह से अजीत डोभाल को समन देने का प्लान फेल
अमेरिकी अदालत ने एनएसए अजीत डोभाल को समन देने की प्रक्रिया को अमान्य ठहराया, जिससे खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू का दावा खारिज हो गया. ब्लेयर हाउस की सुरक्षा में सीक्रेट सर्विस ने समन सर्वर को रोका, जिससे यह कानूनी रूप से मान्य नहीं हुआ. यह मामला भारत-अमेरिका संबंधों, सुरक्षा नीति और खालिस्तानी संगठनों पर राजनयिक विवाद को दर्शाता है.

अमेरिका की एक अदालत ने फैसला सुनाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिका गए भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को समन देने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी. अदालत ने खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह शीर्ष भारतीय सुरक्षा अधिकारी तक समन पहुंचाने में सफल रहे. यह घटनाक्रम भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक प्रक्रियाओं और सुरक्षा मानकों पर नए सवाल खड़े करता है.
अदालत पन्नू के वकील के एक पत्र का जवाब दे रही थी, जिसमें यह बताया गया था कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल के ठहरने वाले स्थान ब्लेयर हाउस की सुरक्षा कर रहे अमेरिकी सीक्रेट सर्विस एजेंटों ने समन देने आए व्यक्ति को रोक दिया. रिपोर्ट के अनुसार, समन सर्वर ने राष्ट्रपति के गेस्ट हाउस के बाहर दस्तावेज रखने की कोशिश की, लेकिन उसे गिरफ्तार करने की चेतावनी दी गई. नतीजतन, समन को पास के स्टारबक्स स्टोर पर छोड़ दिया गया, जिसे अदालत ने पर्याप्त नहीं माना. न्यूयॉर्क की अदालत के इस फैसले से भारत के इस रुख की पुष्टि होती है कि डोभाल को समन नहीं सौंपा गया था.
दो दिन की गई कोशिश
पन्नू द्वारा नियुक्त दो समन सर्वरों में से पहला, अंबिको वालेस, 12 फरवरी को ब्लेयर हाउस पहुंचा, लेकिन वहां मौजूद सीक्रेट सर्विस एजेंटों ने दस्तावेज़ स्वीकार करने से इनकार कर दिया. अगले दिन, एक अन्य सर्वर, वेन एनग्राम, जिसने 15 वर्षों का अनुभव रखा था ने दोबारा प्रयास किया. जब एजेंटों ने फिर से समन स्वीकार करने से मना कर दिया, तो एनग्राम ने इसे जमीन पर रखने की कोशिश की, लेकिन उसे गिरफ्तार किए जाने की धमकी दी गई. मजबूरन, उसने दस्तावेज़ को पास के स्टारबक्स पर छोड़ दिया और एजेंटों को इसकी सूचना दी, लेकिन अदालत ने इसे सही नहीं माना.
हत्या की साजिश ने बढ़ाया था राजनयिक विवाद
पिछले साल पन्नू की कथित हत्या की साजिश ने भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक तनाव बढ़ा दिया था. अमेरिका ने इस मामले में जवाबदेही की मांग की थी, जबकि भारत ने कानूनी जांच का आश्वासन दिया. इसी तरह, कनाडा में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भी आरोप लगे, जिससे यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और संवेदनशील हो गया था. इस बीच, भारत सरकार ने एजेंट विकास यादव के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है, जबकि भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता इस मामले में अमेरिकी हिरासत में है.
भारत ने किया जांच में सहयोग
भारत ने हमेशा इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताया है और इसे द्विपक्षीय संबंधों में अनावश्यक रुकावट के रूप में देखा है. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इसे 'असत्य और निराधार आरोपों' पर आधारित बताते हुए अमेरिका में भारत की स्थिति स्पष्ट की थी. भारत ने इस घटना को लेकर अमेरिका के साथ संवाद बनाए रखा है और संबंधित प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने पर बल दिया है.
कौन है आतंकी पन्नू?
गुरपतवंत सिंह पन्नू, जिसे 2020 में भारत ने आतंकवादी घोषित किया था, सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) का प्रवक्ता है, जो खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करता है. भारत लंबे समय से इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा है. समन प्रकरण और इस मामले के कानूनी पहलुओं के बावजूद, यह स्पष्ट है कि अमेरिका और भारत इस तरह के मुद्दों को राजनयिक वार्ता के माध्यम से हल करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.