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अगले 5 सालों में खत्‍म हो जाएगा इस शहर का पानी, भारत के पड़ोस में मंडरा रहा खतरा!

2030 तक अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पूरी तरह पानी से खाली हो सकती है. Mercy Corps की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शहर में हर साल 44 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी अधिक निकाला जा रहा है. बोरवेल सूख चुके हैं, जलस्तर 30 मीटर तक गिर चुका है और बारिश की कमी हालात को और गंभीर बना रही है. अगर तुंरत कार्रवाई नहीं हुई तो काबुल दुनिया की पहली राजधानी बन जाएगी जो पूरी तरह पानीविहीन होगी.

अगले 5 सालों में खत्‍म हो जाएगा इस शहर का पानी, भारत के पड़ोस में मंडरा रहा खतरा!
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( Image Source:  Sora AI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 8 July 2025 4:59 PM

क्या आपने कभी सोचा है कि एक पूरी राजधानी - जिसमें 70 लाख लोग रहते हों - पानी की एक-एक बूंद को तरस सकती है? यह डरावना दृश्य अब कल्पना नहीं, बल्कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की कड़वी सच्चाई बनता जा रहा है. एक ताज़ा रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि यदि मौजूदा हालात नहीं बदले तो काबुल 2030 तक पूरी तरह से पानीविहीन हो सकता है. गैर-लाभकारी संस्था Mercy Corps की रिपोर्ट ने चेताया है कि काबुल हर साल प्राकृतिक स्तर से 44 मिलियन क्यूबिक मीटर अधिक पानी खींच रहा है, जबकि उसकी पुनः आपूर्ति नहीं हो रही.

बीते दशक में काबुल के जलस्तर में 25 से 30 मीटर की गिरावट आ चुकी है. शहर के भूमिगत जल स्रोत, जो पीने के पानी का मुख्य आधार हैं, अब तेजी से सूख रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अभी हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो हालात ऐसे होंगे कि लाखों लोगों को अपने घर, शहर और जीवनशैली छोड़नी पड़ेगी.

काबुल अब दुनिया की पहली ऐसी राजधानी बनने की ओर बढ़ रही है जो आधुनिक समय में पूरी तरह पानी से खाली हो जाएगी. यह सिर्फ अफगानिस्तान का संकट नहीं, बल्कि आने वाले समय में हर शहरी केंद्र के लिए एक सुनामी की चेतावनी है.

काबुल की जल आपूर्ति पर मंडराता संकट

  • 44 मिलियन क्यूबिक मीटर की वार्षिक कमी : Mercy Corps की रिपोर्ट बताती है कि हर साल काबुल उतना पानी निकाल रहा है, जितना उसका प्राकृतिक पुनर्भरण नहीं कर पा रहा. नतीजा - भूमिगत जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, यह अंतर 44 मिलियन क्यूबिक मीटर प्रति वर्ष का है, जो एक गंभीर असंतुलन है.
  • सूख रहे बोरवेल : UNICEF की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि काबुल में लगभग 50% बोरवेल पूरी तरह सूख चुके हैं. यही बोरवेल वहां की आबादी के लिए मुख्य पीने के पानी का स्रोत हैं.
  • 10 साल में 25-30 मीटर नीचे गया जलस्तर : बीते एक दशक में भूमिगत जलस्तर में 25 से 30 मीटर की गिरावट आई है. इस रफ्तार से जलनिकासी होती रही तो 2030 तक काबुल पूरी तरह सूख सकता है.

जलवायु परिवर्तन की मार

  • हिंदूकुश की बर्फबारी पर निर्भरता : काबुल के जल स्रोतों का बड़ा हिस्सा हिंदूकुश पर्वतों से आने वाली बर्फ और ग्लेशियर पिघलने से आता है. लेकिन हाल के वर्षों में बर्फबारी और बारिश दोनों में भारी गिरावट देखी गई है.
  • 2023-24 में सिर्फ 45-60% बारिश : अक्टूबर 2023 से जनवरी 2024 तक, अफगानिस्तान में सिर्फ 45-60% औसत वर्षा हुई, जिससे नदियों और जलधाराओं में भराव नहीं हो सका। यह संकट और गहराता गया.

शहरीकरण और अव्यवस्था ने बढ़ाई मुसीबत

  1. जनसंख्या में सात गुना वृद्धि : 2001 से अब तक काबुल की आबादी सात गुना बढ़ चुकी है. इस बेतहाशा शहरीकरण ने जल आपूर्ति प्रणाली पर अत्यधिक दबाव डाला है.
  2. इन्फ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी: काबुल के पास अभी भी एक संगठित जल वितरण प्रणाली नहीं है. अधिकतर लोग या तो बोरवेल पर निर्भर हैं या निजी टैंकरों से पानी खरीदते हैं, जो गरीब तबके के लिए मुमकिन नहीं.

आशा की किरण: पंजशीर रिवर पाइपलाइन प्रोजेक्ट

2 मिलियन लोगों को मिलेगा पानी : एकमात्र उम्मीद की किरण पंजशीर नदी से काबुल को जोड़ने वाला एक पाइपलाइन प्रोजेक्ट है, जिससे 20 लाख लोगों को पानी मिल सकता है. लेकिन यह प्रोजेक्ट फंड और तकनीकी समर्थन के अभाव में रुका हुआ है.

विशेषज्ञों की राय

जल विशेषज्ञ नजीबुल्लाह सादिद का कहना है, “अगर अभी कार्रवाई नहीं की गई तो काबुल के पास कोई वापसी का रास्ता नहीं बचेगा.” Mercy Corps के अफगानिस्तान निदेशक डेने करी ने चेताया, “पानी का अभाव लाखों लोगों को माइग्रेशन के लिए मजबूर कर देगा.”

समाधान की राह: क्या किया जाना चाहिए?

  • अंतरराष्ट्रीय मदद की जरूरत : काबुल की जल आपूर्ति को सुधारने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों और दाताओं को आगे आना होगा.
  • स्थानीय प्रशासन को करना होगा सशक्त : बिना प्रभावी स्थानीय गवर्नेंस के कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती। भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अराजकता को रोकना होगा.
  • वाटर रीचार्ज और संरक्षण पर फोकस : रेनवॉटर हार्वेस्टिंग, रीसायक्लिंग और स्मार्ट जल प्रबंधन जैसे विकल्पों को अपनाना होगा.

काबुल का जल संकट सिर्फ अफगानिस्तान का मामला नहीं, बल्कि यह एक वैश्विक चेतावनी है. जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण, संसाधनों का अत्यधिक दोहन और खराब प्रशासन किसी भी शहर को काबुल जैसा बना सकता है. यदि अभी भी दुनिया ने पानी के संकट को हल्के में लिया, तो 2030 तक केवल काबुल ही नहीं, बल्कि और भी कई शहर प्यासे उजाड़ों में बदल सकते हैं.

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