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ब्रह्मांड का रहस्यमय भंवर! हर 44 मिनट में धरती को भेजता सिग्नल, इस नई पहेली का राज क्या?

ऑस्ट्रेलिया के खगोलविदों ने ब्रह्मांड में एक रहस्यमय खगोलीय वस्तु का पता लगाया है, जिसका नाम ASKAP J1832-0911 है. यह अनोखी वस्तु हर 44 मिनट में रेडियो और एक्स-रे सिग्नल पृथ्वी की ओर भेजती है, जो वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी पहेली बन गई है.

ब्रह्मांड का रहस्यमय भंवर! हर 44 मिनट में धरती को भेजता सिग्नल, इस नई पहेली का राज क्या?
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( Image Source:  AI: Representative Image )
सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 3 Dec 2025 6:31 PM IST

ऑस्ट्रेलिया के खगोलविदों ने अंतरिक्ष की गहराइयों से एक अजीबोगरीब वस्तु पकड़ी है, जिसका नाम है ASKAP J1832-0911. ये कोई साधारण तारा या पुल्सर नहीं है, बल्कि हर 44 मिनट में एकदम सटीक, दो मिनट तक रेडियो और एक्स-रे सिग्नल फेंकता है! ऐसा अब तक किसी ने नहीं देखा. ऑस्ट्रेलियन स्क्वायर किलोमीटर ऐरे पाथफाइंडर (ASKAP) और नासा के चंद्रा एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी की जबरदस्त ताकत ने इसे पकड़ लिया.

क्या है इस ऑब्जेक्ट की दिलचस्प हरकत?

आम पुल्सर सेकंडों या मिलीसेकंडों में सिग्नल छोड़ते हैं, लेकिन ये ऑब्जेक्ट हर 44 मिनट में छुपता और फिर सामने आता है, जैसे कोई अंतरिक्ष का पंडित हर बार टाइम सेट करके धमाका करता हो. ये “स्विच ऑन-स्विच ऑफ” का खेल वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है. कोई भी मौजूदा सिद्धांत इस तरह की लंबी अवधि वाली लहरों को समझने में फेल है. ये कुछ ऐसा है जो खगोल विज्ञान के मानकों को हिलाकर रख सकता है.

क्या है इस रहस्य के पीछे?

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह शायद एक खास तरह का मैग्नेटर हो सकता है- यानी एक मृत तारे का चुंबकीय खंड – या फिर सफेद बौने और किसी दूसरे तारे के बीच का बाइनरी सिस्टम हो सकता है. पर इन में से कोई भी थ्योरी पूरी तरह फिट नहीं बैठती. सिग्नल की नियमितता और ताकत से साफ लगता है कि कुछ ऐसा चल रहा है जिसे हम अभी तक नहीं समझ पाए हैं.

कैसे हुई ये भयानक खोज?

ASKAP ने रेडियो सिग्नल्स पकड़े और नासा के चंद्रा ऑब्जर्वेटरी ने उसी स्रोत से एक्स-रे निकाले, दोनों डेटा ने मिलकर ये साबित किया कि ये कोई फालतू या नकली सिग्नल नहीं है, बल्कि एक असली, नया रहस्यमय खगोलीय पिंड है.

क्यों है ये खोज क्रांतिकारी?

इस खोज से लग रहा है कि ब्रह्मांड में हमारी समझ से परे एक नया तारा या पिंड मौजूद है. लंबे अंतराल वाले ये ट्रांजिएंट अब तक बहुत कम देखे गए हैं, और इसने तारा मलबों और ऊर्जा के खगोल विज्ञान को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है. साथ ही, ये बताता है कि आसमान को लगातार निहारते रहना कितना जरूरी है, क्योंकि अगली बार क्या धमाका होगा, कोई नहीं जानता.

आगे क्या होगा?

खगोलविद अब पूरे आकाश में ऐसे और ऑब्जेक्ट्स खोजेंगे, ताकि पता चले कि ASKAP J1832-0911 अकेला है या ब्रह्मांड में इसके जैसे कई रहस्यमयी सितारे छिपे हैं. भविष्य में इनके बारे में और खुलासे हो सकते हैं, जो हमारे अंतरिक्ष के ज्ञान को पूरी तरह बदलकर रख देंगे.

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