मिलिए कनाडा में चुनाव जीते भारतवंशी चेहरों से, खालिस्तान विवाद के बाद क्या बहाल होगा दोनों देशों के बीच भरोसा?
कनाडा के 2025 संघीय चुनावों में लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. जिससे देश की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हुआ. पूर्व बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर रहे कार्नी ने जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद पार्टी का नेतृत्व संभाला और चुनाव में जीत हासिल की. उनकी जीत मुख्यत- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कनाडा के प्रति आक्रामक नीतियों के विरोध में राष्ट्रीय एकता की भावना के चलते हुई.

कनाडा के 2025 संघीय चुनावों में लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. जिससे देश की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हुआ. पूर्व बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर रहे कार्नी ने जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद पार्टी का नेतृत्व संभाला और चुनाव में जीत हासिल की. उनकी जीत मुख्यत- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कनाडा के प्रति आक्रामक नीतियों के विरोध में राष्ट्रीय एकता की भावना के चलते हुई. कार्नी ने अपने भाषणों में कनाडा की संप्रभुता और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया, जिससे मतदाताओं का विश्वास जीतने में मदद मिली.
इस चुनाव में कई भारतवंशी नेताओं ने भी महत्वपूर्ण जीत दर्ज की, जिससे कनाडा की राजनीति में भारतीय मूल के नेताओं की प्रभावशाली उपस्थिति और भी मजबूत हुई. आइए विस्तार से जानते हैं कि किन-किन भारतवंशी नेताओं ने चुनाव में जीत हासिल की और उनका भारत से क्या संबंध है.
मिलिए कनाडा की पहली हिंदू महिला सांसद से
अनीता आनंद (Anita Anand), ओकविल निर्वाचन सीट से और लिबरन पार्टी से जीत हासिल की है. वर्तमान में नवीनता, विज्ञान और उद्योग मंत्री है. वहीं भारत से संबंध की बात करें तो इनके माता-पिता भारतीय प्रवासी हैं. वह कनाडा की पहली हिंदू महिला सांसद और कैबिनेट मंत्री बनीं. इनसे राजनीतिक कैरियर की बात करें तो 2019 से सांसद; राष्ट्रीय रक्षा मंत्री और परिवहन मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया.
कौन है दिल्ली की कमल खेरा?
कमल खेरा (Kamal Khera) जिन्हें पूर्व निर्वाचन क्षेत्र ब्रैम्पटन वेस्ट (Brampton West) से लिबरल पार्टी की तरफ से हार का सामना करना पड़ा है. ये पहले स्वास्थ्य मंत्री रह चुकी है. दिल्ली में 1989 में जन्मी और कनाडा में पली-बढ़ी. हालांकि 2025 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
पंजाब के अमरजीत गिल ने लहराया जीत का परचम
अमरजीत गिल (Amarjeet Gill), कंजरवेटिव पार्टी के ब्रैम्पटन वेस्ट निर्वाचित सीट से जीत हासिल की है. ये खासतौर पर भारत के पंजाब से इनका वास्ता तो वहीं इन्होंने भारतीय कमल खेरा हराकर 2025 के कनाडा चुनाव में जीत हासिल की है और सांसद बने हैं.
बंगाल के शुव मजूमदार ने कनाडा में जीत का लहराया परचम
कंजरवेटिव पार्टी के उम्मीदवार शुव मजूमदार (Shubh Majumdar) कैलगरी हेरिटेज निर्वाचित सीट से जीत हासिल की है उन्होंने लिबरल पार्टी के स्कॉट अनॉर्ट को करीब 20,000 वोटों से हराया है. इन्हें करीब 61 फीसदी वोट मिले हैं तो वहीं स्कॉट अनॉर्ट को 35 फीसदी वोट मिले हैं. वहीं इनका भारत से संबंध की बात करें तो यह बंगाली मूल के हैं. उन्होंने 2023 के उपचुनाव में जीत हासिल की थी और 2025 में पुनः निर्वाचित हुए.
मार्क कार्नी की ताजपोशी के बाद दोनों देशों के रिश्तों में होगा सुधार!
कनाडा में सत्ता परिवर्तन के साथ एक बार फिर यह सवाल ज़ोर पकड़ रहा है कि क्या भारत और कनाडा के बीच लंबे समय से चला आ रहा राजनयिक तनाव अब थमेगा? जस्टिन ट्रूडो सरकार के कार्यकाल में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों और पंजाब में मारे गए हरदीप सिंह निज्जर को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में गहरी खटास आ गई थी. भारत ने जहां कनाडा पर आतंक को शह देने का आरोप लगाया, वहीं ट्रूडो सरकार ने सार्वजनिक मंचों से भारत की आलोचना की, जिससे संवाद लगभग ठप हो गया. लेकिन अब जब मार्क कार्नी ने प्रधानमंत्री पद की कमान संभाली है, तो उम्मीद की जा रही है कि यह नेतृत्व नई शुरुआत करेगा. सवाल यह भी है कि क्या खालिस्तान जैसे संवेदनशील मुद्दे पर कार्नी भारत की चिंताओं को प्राथमिकता देंगे, या ट्रूडो की लाइन को ही आगे बढ़ाएंगे?