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लाल आंखें कर गिरेबान पकड़ने के मोड में क्यूं है कनाडा, जस्टिन ट्रूडो आखिर चाहते क्या हैं?

Justin Trudeau's declining popularity: भारत के खिलाफ ट्रूडो परिवार का इतिहास कुछ अच्छा नहीं रहा है. उनके पिता और अब उनकी आदत बन गई है, भारत के खिलाफ जहर उगलो और कनाडा की सत्ता पर काबिज हो जाओ. उनके शासन में कनाडा में आम लोगों को स्थिति बद से बदतर हो गई है. अपने देश में चल रहे विरोध से उबरने के लिए वो जनता का ध्यान भारत से विवाद की ओर मोड़ना चाहते हैं.

लाल आंखें कर गिरेबान पकड़ने के मोड में क्यूं है कनाडा, जस्टिन ट्रूडो आखिर चाहते क्या हैं?
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Justin Trudeau
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 15 Oct 2024 12:48 PM IST

Justin Trudeau's declining popularity: कनाडा में अगले साल संघीय चुनाव होने वाले हैं, जिसे लेकर जस्टिन ट्रूडो की पार्टी 'लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा' जोरो-शोरो से तैयारी कर रही है. हालांकि, इस बीच ये भी देखने को मिला है कि कनाडा में ट्रूडो की लोकप्रियता घट रही है, जिसे लेकर ट्रूडो गैंग पूरी तरह बौखला गया है और भारत को अपना निशाना बनाकर चुनाव जितना चाहता है. यही नहीं ट्रूडो अपने पिता से सीखकर चुनाव से पहले जनता का ध्यान भटकाने में भी माहिर हैं. उनकी इस चाल के पीछे सिर्फ एक एजेंडा है- 'चुनाव जीतना'

कनाडा में 7.7 लाख से अधिक सिख हैं, जो चौथा सबसे बड़ा जातीय समुदाय है. इसमें से ही एक वर्ग है जो खालिस्तान की मांग का समर्थन करता है. ऐसे में ट्रूडो को लगता हैं कि भारत के खिलाफ आग उगलकर वह एक बार फिर से कुर्सी पर काबिज हो सकते हैं और ये काम वह खालिस्तानी समर्थक निर्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाकर कर रहे हैं, ताकि कनाडा में रह रहे खालिस्तानियों का वोट अपने नाम कर सकें.

तेजी से घट रही है ट्रूडो की लोकप्रियता

कनाडा की राजनीति में सिख समुदाय को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. अगर वहां किसी पार्टी की जीत होती है, तो सिख समुदाय उसमें निर्णायक भूमिका निभाता है. कनाडा में रोजमर्रा की चीजों की बढ़ती कीमत, खराब स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और बढ़ती अपराध दर की शिकायतों के बीच एक इप्सोस सर्वेक्षण से पता चला है कि केवल 26% लोगों ने ट्रूडो को सर्वश्रेष्ठ पीएम उम्मीदवार के रूप में देखा गया, जो कि कंजर्वेटिव नेता पियरे पोलिएवर से 19 प्रतिशत कम है.

ट्रूडो के पार्टी के सहयोगियों ने उनसे पद छोड़ने की सलाह भी दी है, क्योंकि उन्हें लगता हैं कि लिबरल्स को ब्रिटेन में कंजर्वेटिवों की तरह ही दुर्दशा का सामना करना पड़ेगा. संसद में दो अविश्वास प्रस्तावों से बचने के बाद ट्रूडो अपनी कुर्सी पर बने हुए हैं.

ट्रूडो परिवार रहा है भारत का विरोधी

हालांकि , यह पहली बार नहीं है कि अलगाववादियों ने भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय संबंधों में बड़ी दरार पैदा की है. ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो, जो कनाडा के पूर्व पीएम थे. उन पर नई दिल्ली के साथ संबंधों को ठीक से न संभालने का आरोप लगाया गया था, क्योंकि कनाडाई अधिकारी 1980 के दशक में खालिस्तानी चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहे थे. इलियट ने बब्बर खालसा के सदस्य तलविंदर सिंह परमार के प्रत्यर्पण के भारत के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था, जो पंजाब में दो पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोप के बाद कनाडा भाग गया था. 1985 के कनिष्क बम विस्फोट का कथित मास्टरमाइंड सात साल बाद पंजाब में मारा गया था.

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