फिर सुर्खियों में जमाल खशोगी की हत्या: मंगेतर आज भी न्याय की उम्मीद में, दुनिया आगे बढ़ गई
इस्तांबुल कॉन्सुलेट में 2018 में हुई जमाल खशोगी की हत्या एक बार फिर चर्चा में है, जब ट्रंप ने व्हाइट हाउस में MBS की मौजूदगी में पत्रकारों को फटकारते हुए क्राउन प्रिंस का बचाव किया. तुर्की, अमेरिका और सऊदी की जांचें राजनीति के बोझ तले दब गईं. खशोगी की मंगेतर और परिवार अब भी न्याय की उम्मीद में हैं, जबकि दुनिया रणनीतिक रिश्तों के चलते आगे बढ़ गई है.
अक्टूबर 2018 में इस्तांबुल के सऊदी कॉन्सुलेट में दाखिल होते समय जमाल खशोगी ने शायद ही सोचा होगा कि यह उनका आख़िरी कदम होगा - एक ऐसा कदम, जिसने आने वाले वर्षों में वैश्विक राजनीति, मानवाधिकार और कूटनीति की नैतिकता को पूरी तरह हिला दिया. खशोगी की हत्या सिर्फ एक पत्रकार की आवाज़ को दबाने का मामला नहीं था; यह उन सवालों का प्रतीक बनी, जिनमें ताकतवर देशों के हित मानवधिकारों से ऊपर रखे जाते हैं.
मंगलवार को यह मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वॉशिंगटन में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक पत्रकार को फटकार लगाते हुए कहा - “हमारे मेहमान को शर्मिंदा न करें.” ट्रंप ने दोहराया कि क्राउन प्रिंस “उस घटना के बारे में कुछ नहीं जानते थे,” जबकि MBS ने खशोगी की हत्या को “गलती” बताते हुए कहा कि पत्रकार की “बिना किसी वजह के दर्दनाक मौत हो गई.”
यह वही बयानबाजी है जिसने फिर सवाल उठाया - क्या जमाल खशोगी को कभी न्याय मिलेगा?
जमाल खशोगी: सत्ता, पत्रकारिता और असहमति की कहानी
जमाल खशोगी दशकों तक सऊदी सत्ता, उसकी नीतियों और खाड़ी क्षेत्र की राजनीति को करीब से समझने वाले पत्रकार रहे. BBC के मुताबिक, 2016 के बाद उनका MBS की नीतियों से टकराव बढ़ा और उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता होने लगी. वे अमेरिका चले गए और The Washington Post में सऊदी नीतियों पर खुली आलोचना लिखने लगे.
2 अक्टूबर 2018 को वे दस्तावेज़ लेने सऊदी कॉन्सुलेट पहुंचे - और बाहर इंतज़ार कर रही उनकी मंगेतर हतीस जेंगिज़ उन्हें कभी बाहर आता नहीं देख पाईं. तुर्की जांच और The Guardian की रिपोर्टों के अनुसार, खशोगी की हत्या कॉन्सुलेट के अंदर ही की गई, शव के टुकड़े किए गए और सबूत मिटाए गए. 2021 की अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, हत्या की अनुमति संभवतः MBS ने दी थी, हालांकि उन्होंने आरोपों से इनकार किया.
सऊदी अरब की कार्रवाई और उसके पीछे की राजनीति
हत्याकांड पर वैश्विक दबाव बढ़ा तो सऊदी अरब ने 31 लोगों से पूछताछ की और 11 को कोर्ट में पेश किया. 2019 में 5 लोगों को मौत की सजा और 2020 में सजा घटाकर 20 साल कर दी गई. मानवाधिकार संगठनों ने इन फैसलों को “अपारदर्शी” और “राजनीतिक रूप से नियंत्रित” बताया.
अमेरिका–सऊदी रिश्ते: नैतिकता की कीमत पर रणनीति
खशोगी की हत्या के बाद तनाव दिखा, लेकिन रणनीतिक रिश्ते भारी पड़े. सऊदी ऊर्जा नीति, ईरान के खिलाफ शक्ति-संतुलन और अरबों डॉलर के हथियार सौदे - इन सबने अमेरिका का रुख नरम कर दिया. 2025 में जब MBS व्हाइट हाउस पहुंचे, तो ट्रंप का बयान “हमारे मेहमान को शर्मिंदा न करें” - बताता है कि शक्ति-राजनीति में मानवाधिकार अक्सर पीछे छूट जाते हैं.
तुर्की क्यों पीछे हट गया?
शुरुआत में तुर्की सबसे आक्रामक था. वो रोज़ नए सबूत जारी करता था. लेकिन अर्थव्यवस्था कमजोर होने और सऊदी निवेश की जरूरत के चलते एर्दोगन सरकार ने केस सऊदी अदालतों को ट्रांसफर कर दिया और यहीं से जांच का अंत लगभग तय हो गया. हतीस जेंगिज़ ने इसे “न्याय का अपमान” कहा.
मंगेतर हतीस जेंगिज़: “दुनिया आगे बढ़ गई, लेकिन न्याय अधूरा है”
Al Jazeera के अनुसार, हतीस आज भी कहती हैं, “दुनिया ने खशोगी को भूलने का फैसला कर लिया… यह ऐसा अंधेरा है जिसे मैं बयान नहीं कर सकती.” उन्होंने ट्रंप का व्हाइट हाउस निमंत्रण भी ठुकरा दिया और कहा कि यह “सहानुभूति नहीं, सिर्फ PR था.”
खशोगी की विधवा हनान एलातर का दर्द
खशोगी की पत्नी हनान एलातर ने कहा, “उनकी हत्या ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी… अमेरिका को अपने मूल्यों पर टिके रहना चाहिए—मानवाधिकार और लोकतंत्र पर. सिर्फ हथियारों के सौदे ही सब कुछ नहीं होते.”





