हिजबुल्लाह और हमास के चलते चारों तरफ से घिरा इजरायल, मिडिल ईस्ट पर मंडराया खतरा; क्या विश्व युद्ध की तरफ जा रही दुनिया?
भारत दोनों यूक्रेन-रूस और ईरान-इजरायल जंग को रुकवाना चाह रहा है। इसका लॉन्ग टर्म इम्पैक्ट हो सकता है। हम फ़िलहाल रूस से तेल ले रहे हैं साथ ही गल्फ देशों से भी तेल ले रहे हैं। अगर इस जंग से गल्फ देशों को नुकसान पहुंचेगा तो हमारे लिए भी दिक्कत होगी। साथ ही हमारे देश के लोग भी इन देशों में रहते हैं तो इकॉनमी का प्रभाव पड़ सकता है। भारत के लिए यह कूटनीतिक चुनौती है।

ईरान ने इजरायल पर 181 मिसाइलों से हमला किया जिसे आयरन डोम ने लगभग नष्ट कर दिया। इजरायल को इससे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। अब इजराइल ने कहा कि हम कब, कहां और कैसे हमला करेंगे ये हम तय करेंगे। इजरायली अधिकारियों ने भी गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। इसके बाद ईरान ने कहा कि ये हमला आतंकवादी नेताओं की हत्या और लेबनान में जमीनी हमला शुरू करने का जवाब था।
इस हमले के बाद गाजा और ईरान के लोगों ने ख़ुशी मनाई वहीं, इजरायल ने हवाई रास्तों को बंद करके आयरन डोम की मदद से ईरानी मिसाइलों को मारने में सफलता पाई। इस हमले के बाद इजरायल का कहना है कि वह हिजबुल्लाह पर तब तक हमला करता रहेगा जब तक लेबनान सीमा के पास के घरों से विस्थापित नागरिकों के लिए वापस लौटना सुरक्षित नहीं हो जाता। साथ ही हमले के बाद इजरायल ने यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की एंट्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
इस हमले के बाद दुनिया के सभी देशों के अपना पक्ष रखना शुरू कर दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अमेरिका, ईरानी मिसाइल हमलों से बचाव के लिए इजरायल की मदद करने के लिए तैयार है। इसके लिए उन्होंने अमेरिकी सेना को आर्डर दिया है। इस हमले की अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी इजरायल पर ईरान के नए हमलों की निंदा की। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इजरायल को जवाबी कार्रवाई करने के अधिकार है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है।
लेबनान की स्थिति बदतर
इन बयानों के बाद हिजबुल्लाह ने कहा कि इजरायल ने लेबनान में जमीनी ऑपरेशन शुरू नहीं किया है। लेबनान के जमीन पर इजरायल की सेना और हमारे लड़ाकों के बीच सीधी मुठभेड़ नहीं हुई है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और थी। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पिछले 24 घंटों में लेबनान में हुए इजरायली हवाई हमलों में 55 लोग मारे गए हैं और 156 लोग घायल हुए हैं। साथ ही इजराइल की सेना ने साउथ लेबनान के लोगों से गांवों को खाली करने को कहा दिया है। इजरायली सेना के प्रवक्ता ने कहा कि लोग अपने घरों को तुरंत खाली कर दें। सावधान रहें, आपको दक्षिण की ओर नहीं जाना चाहिए। दक्षिण की ओर कोई भी गतिविधि आपको खतरे में डाल सकती है।
इजरायल का क्या है प्लान?
दरअसल, वह खतरे को पूरी तरह से खत्म करना चाहता है। इसके लिए ईरान की तबाही और प्रॉक्सी नेटवर्क का ध्वस्त होना जरूरी है। इस मिशन को सफल बनाने के लिए इजराइल ने टॉप 3 की लिस्ट तैयार की है। खामेनेई के बाद इजरायल का टारगेट हुसैन सलामी है, जो IRGC का चीफ है। ईरानी प्रॉक्सी का पहला निर्देश हुसैन सलामी के पास से जाता है। दूसरे नंबर पर इस्माइल कानी है जो ईरान की कुद्स फोर्स का चीफ है। और तीसरे नंबर पर ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा जो कुद्स फोर्स का डिप्टी चीफ है। अगर इन तीनों को इजरायल ने खत्म कर दिया तो ईरान को कंट्रोल करने वाला कोई नहीं होगा।
ईरान ने जारी की टॉप 11 की सूची
ईरान ने इजरायली नेताओं की मोस्ट वांटेड लिस्ट जारी की है। लिस्ट में पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का नाम टॉप पर है। ईरान ने एक पोस्टर में इजरायली नेताओं को आतंकवादी बताया है। इन लिस्टों में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, रक्षा मंत्री योआव गैलेंट, चीफ ऑफ जनरल स्टाफ हरजी हलेवी, इजरायली एयरफोर्स के कमांडर तोमर बार, इजरायली नौसेना के कमांडर सार सलामा, डिप्टी चीफ ऑफ जनरल स्टाफ आमिर बरम, हेड ऑफ सेंट्रल कमांड येहूदा फॉक्स, हेड ऑफ नॉर्दर्न कमांड ओरी गोर्दिन, हेड ऑफ मिलिस्ट्री इंटेलिजेंस अहरोन हलिवा, हेड ऑफ साउदर्न कमांड एलिजर तोलेदानो और ग्राउंड फोर्स के कमांडर तमिर येदई का नाम शामिल है।
ईरान की वजह से एशियाई देशों पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
अगर इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया तो एशियाई देशों पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ने वाला है। इसका सीधा असर तेल की कीमतों पर दिखाई देने वाला है। लगभग 20 साल तक विदेशों की रिपोर्टिंग कर चुके पत्रकार सचिन बुधौलिया ने बताया कि अगर ईरान और इजरायल के बीच युद्ध शुरू होता है तो एनर्जी सिक्योरिटी एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। साथ ही गल्फ देशों में तेल सप्लाई की दिक्कत हो सकती है। अगर तेल की कीमतों में वृद्धि होगी और लोगों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। इसका असर भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों को भी हो सकता है।
भारत का क्या है स्टैंड?
सचिन बुधौलिया बताते हैं कि भारत दोनों यूक्रेन-रूस और ईरान-इजरायल जंग को रुकवाना चाह रहा है। इसका लॉन्ग टर्म इम्पैक्ट हो सकता है। हम फ़िलहाल रूस से तेल ले रहे हैं साथ ही गल्फ देशों से भी तेल ले रहे हैं। अगर इस जंग से गल्फ देशों को नुकसान पहुंचेगा तो हमारे लिए भी दिक्कत होगी। साथ ही हमारे देश के लोग भी इन देशों में रहते हैं तो इकॉनमी का प्रभाव पड़ सकता है। भारत के लिए यह कूटनीतिक चुनौती है। भारत कभी भी दोनों देशों को नाराज नहीं कर सकता है। अगर भारत का झुकाव इजरायल की तरफ रहेगा ईरान के साथ रिश्ते बिगड़ेंगे और गल्फ देशों में रहने वाले भारतीयों को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करेगा।
क्या दो गुटों में बंट जाएगी दुनिया?
अगर ईरान और इजरायल के बीच सीधा युद्ध शुरू होता है तो ये विश्व युद्ध का रूप ले सकता है। इस जंग में दुनियाभर के देशों को अपना पक्ष चुनना ही पड़ेगा। अब तक हुए हमलों में दोनों देशों का बड़ा नुकसान तो नहीं हुआ है लेकिन अगर तनातनी बढ़ती है तो दोनों देश हमला जारी रख सकते हैं। इसमें अमेरिका पहले ही कह चुका है कि वह इजरायल के साथ खड़ा है। ब्रिटेन, जर्मनी और इटली हमेशा से इजराइल का साथ देते आए हैं। इधर रूस ईरान के साथ खड़ा दिख रहा है। चीन और नॉर्थ कोरिया भी ईरान के साथ खड़े हैं। अगर ये दो गुट सख्ती के साथ खड़े हो गए तो आप जानते हैं कि अंजाम कितना भयावह हो सकता है।
कैसे टूटी 30 साल पुरानी दोस्ती?
ईरान की इजरायल से दुश्मनी इतनी बड़ी हो चुकी है कि दोनों अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। साथ ही इजरायल की सहायता करने के चलते अमेरिका को भी दुश्मन मानने लगा है। ईरान चाहता है कि दोनों देशों का नामोनिशान मिट जाए। वह अमेरिका को बड़ा शैतान और इजरायल को छोटा शैतान मान रहा है। एक दूसरे को दुश्मन मानने वाले दोनों देश कभी दोस्त हुआ करते थे। 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले दोनों का संबंध याराना जैसा था। 1948 में जब इजरायल बना तो तुर्की के बाद ईरान ने ही इसे मान्यता दी थी। 1979 में कट्टर अयातुल्लाह खुमैनी की क्रांति ने इस दोस्ती में नफरत का बीज बो दिया। साथ ही अमेरिका और इजरायल को दुश्मन मानने लगा।