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इजराइल के साथ जंग में कूदा अमेरिका, रूस से मदद मांग रहा ईरान और चीन ने भी... क्या मिडिल ईस्ट में बज रही तीसरे विश्व युद्ध की घंटी?

अमेरिका के ईरान पर न्यूक्लियर स्ट्राइक के बाद मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ गया है. ईरान ने रूस से मदद मांगी है, जबकि चीन ने अमेरिका की कार्रवाई की निंदा करते हुए युद्धविराम की अपील की है. चीन संतुलित रुख अपना रहा है और सीधे सैन्य हस्तक्षेप से बच रहा है. ऐसे में तीसरे विश्व युद्ध की आशंका अभी कम दिखाई देती है.

इजराइल के साथ जंग में कूदा अमेरिका, रूस से मदद मांग रहा ईरान और चीन ने भी... क्या मिडिल ईस्ट में बज रही तीसरे विश्व युद्ध की घंटी?
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Iran Israel Conflict Third World War Possibility: अमेरिका ने हाल ही में ईरान के तीन अहम न्यूक्लियर साइट्स (नतांज़, फोर्दो, इस्फहान) पर मिसाइल हमले किए हैं. ये हमले इजरायल के समर्थन में किए गए, जो मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सैन्य मौजूदगी और प्रभाव को दर्शाते हैं. ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमले यह दिखाते हैं कि अमेरिका इजराइल का समर्थन करने के लिए किसी भी अपराध से नहीं रुकेगा. ईरान ने मामले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को पत्र लिखकर कार्रवाई करने का आग्रह किया.

वहीं, ईरान ने सीधे रूस से सुरक्षा सहयोग मांगा है. रूस पहले ही सीरिया और यूक्रेन में पश्चिमी देशों से टकराव की स्थिति में है. अगर रूस खुले तौर पर ईरान के साथ खड़ा हो गया, तो यह अमेरिका और नाटो के खिलाफ एक नया फ्रंट खोल सकता है. चीन इस पूरे मामले में दोनों पक्षों से शांति की बात कर रहा है, लेकिन वह ईरान का बड़ा ट्रेड पार्टनर है और रूस के साथ सामरिक साझेदार. अगर चीन ने भी रूस-ईरान धड़े का समर्थन कर दिया तो यह विश्व स्तर पर अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन के खिलाफ एक नया ध्रुव बन जाएगा.या.

ईरान ने रूस से मांगी मदद

ईरान ने अमेरिकी हमले के बाद रूस से अतिरिक्त वायु रक्षा प्रणालियां, ड्रोन-टेक और उपग्रह इंटेलिजेंस मांगी है. क्रेमलिन ने 'रक्षात्मक सहयोग' देने की बात कही, मगर किसी प्रत्यक्ष संयुक्त ऑपरेशन की पुष्टि नहीं की. ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची सोमवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत करने के लिए मास्को जाएंगे. रूस ने भी ईरान पर हुए अमेरिकी बमबारी की कड़ी निंदा की और हमलों को गैर जिम्मेदाराना और अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन बताया.

चीन ने क्या कहा?

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ईरान पर अमेरिकी एयरस्ट्राइक की चीन कड़ी निंदा करता है. अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निगरानी में चल रहे परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमला संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय क़ानून के उद्देश्यों व सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है और इससे मध्य पूर्व में तनाव और भड़क गया है.

चीन ने सभी पक्षों, विशेष रूप से इज़राइल, से तत्काल संघर्ष रोकने, आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और संवाद व वार्ता फिर से शुरू करने का आह्वान किया है. साथ ही, उसने यह भी कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर न्याय और शांति के लिए प्रयास करने और मध्य पूर्व में स्थिरता बहाल कराने के लिए तैयार है.

क्या तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है?

अगर ये टकराव सीमित रहा, तो कूटनीति से मामला सुलझ सकता है, लेकिन अगर ईरान पर हमले तेज होते हैं और रूस-चीन खुलकर मैदान में आते हैं, तो यह वाकई तीसरे विश्व युद्ध की भूमिका बन सकती है. अमेरिका के सहयोगी, जैसे- फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, और NATO – भी इसमें खिंच सकते हैं. कुल मिलाकर, ईरान और इजरायल का युद्ध अब दो देशों की लड़ाई नहीं रहा. अमेरिका की एंट्री ने इसे ग्लोबल टकराव बना दिया है. रूस और चीन के रुख से तय होगा कि यह टकराव नियंत्रण में रहेगा या तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ेगा.

तीसरे विश्वयुद्ध की कब बनेगी परिस्थिति?

यदि रूस ईरान में अपने एयर-डिफेंस क्रू तैनात करे और उन पर अमेरिकी हमला हो या चीन के जहाज़ हॉर्मुज़ में अमेरिकी नौसेना से उलझें. इस समय रूस यूक्रेन मोर्चे से बंधा है, चीन ताइवान स्ट्रैटेजिक मोड़ पर जोखिम नहीं लेना चाहेगा और अमेरिका NATO सहयोगियों के दबाव में सीमित अभियान पर टिका रहना पसंद करेगा. रूस का झुकाव ईरान की ओर रहेगा, पर वह सीधे अमेरिकी बलों से टकराव टालना चाहेगा.

रूस-ईरान धुरी मज़बूत हो सकती है, मगर चीन का 'संतुलित तटस्थता' फिलहाल तीसरे विश्व युद्ध को शुरू होने से रोक रही है. जब तक बीजिंग खुलकर किसी पक्ष की सैन्य कमान नहीं संभालता और रूस-अमेरिका सीधे आमने-सामने नहीं आते, युद्ध वैश्विक बनने के बजाय 'बहु-स्तरीय लेकिन सीमित' रहने की संभावना अधिक है.

ईरान इजरायल युद्धवर्ल्‍ड न्‍यूज
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