इजरायल-हिजबुल्लाह के बीच डील फाइनल! लेबनान में आएगी शांति, युद्ध विराम समझौते में क्या-क्या?
Israel-Hezbollah ceasefire deal: अमेरिका की ओर से किए गए मध्यस्थता समझौते में इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच 60 दिनों का युद्ध विराम शामिल है, लेकिन समझौते में और क्या प्रस्तावित किया गया है और क्या दोनों पक्ष इसका पालन करेंगे? ये यहां जानिए.

Israel-Hezbollah ceasefire deal: क्या यह युद्ध के अंत की शुरुआत है? क्या हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायल का युद्ध आखिरकार खत्म होने वाला है? आज 26 नवंबर 2024 करीबन एक साल से चल रहे इस युद्ध के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की ओर से मंजूर की गई 'युद्ध विराम' समझौते पर आज इजरायली कैबिनेट वोटिंग करने वाली है.
रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रोन की ओर से लेबनान में इजरायल और हिज्बुल्लाह के खिलाफ युद्ध विराम की घोषणा करने की उम्मीद है. दिलचस्प बात यह है कि युद्ध विराम की खबर तब आई जब इजरायली सेना ने कहा कि उसने एक घंटे में लेबनान भर में हिजबुल्लाह के लगभग दो दर्जन ठिकानों पर हमले किया है.
इस समझौते में क्या है जो लगभग अंतिम रूप ले चुका है? क्या प्रस्तावित समझौता लेबनान समेत मिडिल ईस्ट में शांति लाएगा?
संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर से मध्यस्थता किया गया यह समझौता दो महीने के युद्ध विराम से शुरू होता है. समझौते के मुताबिक, इस दौरान इजरायली सेना लेबनान से हट जाएगी और हिजबुल्लाह लिटानी नदी के दक्षिण और दक्षिणी सीमा पर अपनी सशस्त्र बल को लेकर वापस लौट जाएगा, जो इजरायल की सीमा से लगभग 18 मील की दूरी पर स्थित है.
जब दोनों पक्षों के सैनिकों की वापसी पूरी हो जाएगी तो हजारों लेबनानी सैनिकों को पहले से ही वहां मौजूद संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक बल के साथ क्षेत्र में तैनात किया जाएगा. युद्ध विराम समझौते और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव की निगरानी के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय समिति गठित की जाएगी, जिसे 2006 में इजरायल-हिजबुल्लाह के बीच एक महीने से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए पारित किया गया था, जो कभी पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका.
घर लौट सकेंगे विस्थापित लोग
इस समझौते के बाद लेबनानी नागरिक को दक्षिणी लेबनान के गांवों और कस्बों में अपने घरों में लौट सकेंगे, जहां से वे पलायन कर गए थे. लेबनान ने देश में सभी हथियारों की खरीद और उत्पादन पर निगरानी रखने की भी प्रतिबद्धता जताई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हिजबुल्लाह तक कुछ भी न पहुंचे.
युद्ध विराम समझौते में यह भी कहा गया है कि अमेरिका समझौते के इम्प्लिमेंटेशन की निगरानी करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था का नेतृत्व करेगा. फ्रांस भी इसमें शामिल होगा. इससे पहले लेबनान और इजरायल इस बात पर सहमत नहीं थे कि पैनल में कौन से देश शामिल होंगे. इजरायल ने अविश्वास बढ़ने के कारण फ्रांस का विरोध किया था. दूसरी ओर लेबनान ने ब्रिटेन को इस संस्था का हिस्सा बनने से मना कर दिया है.
समझौता का कितना होगा असर?
इजरायल-हिजबुल्लाह के बीच 2006 में एक महीने तक चले युद्ध को समाप्त करने के लिए जो समझौता किया गया था, वो कभी पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका. इसलिए इस बार भी संदेह है कि ये समझौता कितना कारगर साबित होगा. हालांकि, ये वक्त बदला हुआ है. ईरान समर्थित दो आतंकी संगठन लगातार युद्ध में भूमिका निभा रहे हैं. ऐसे में आगे इनका समझौते पर टिका रहना बेहद मुश्किल है.