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'शीशे की दीवार' के पीछे जिहाद! पाकिस्तान के ऑपरेशन 'बुनयान उल मरसूस' का क्या है मतलब?

भारत के ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान ने 'ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस' शुरू किया है. जिसका नाम कुरान की आयत से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'शीशे की दीवार'. फतेह-1 मिसाइलों से हमले की कोशिश की गई. पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन को धार्मिक रंग देने की कोशिश की है, जबकि भारत ने आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए.

शीशे की दीवार के पीछे जिहाद! पाकिस्तान के ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस का क्या है मतलब?
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 10 May 2025 10:38 AM

भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर की गई जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने अब भारत के खिलाफ 'ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस' की शुरुआत की है. पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह ऑपरेशन भारत द्वारा रावलपिंडी, झांग और चकवाल स्थित पाक एयरबेस पर हमले के बाद शुरू किया गया.

पाक मीडिया के अनुसार, भारत ने शुक्रवार और शनिवार को कई हमले किए थे, जिसके बाद यह जवाब आया. पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन के तहत फतह-1 जैसी मिसाइलों और ड्रोन से भारत के नागरिक और सैन्य क्षेत्रों को निशाना बनाने की कोशिश की. रेडियो पाकिस्तान और अल जज़ीरा जैसे स्रोतों ने इस ऑपरेशन की पुष्टि की है.

क्यों रखा गया ऑपरेशन का नाम?

इस ऑपरेशन का नाम 'बुनयान उल मरसूस' कुरान की एक आयत से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'शीशे की मजबूत दीवार.' इसका उपयोग एक धार्मिक और प्रतीकात्मक संदेश देने के लिए किया गया है कि पाकिस्तान अपने सैनिकों और जनता को एकजुट और अटूट संरचना के रूप में पेश कर रहा है. यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाइयों को धार्मिक रंग देने का प्रयास किया हो. इससे पहले भी ऐसे नामों और प्रतीकों का इस्तेमाल होता रहा है.

कुरान की आड़ में आतंक

इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि पाकिस्तान भारत के सैन्य पराक्रम का जवाब धार्मिक प्रतीकों और आतंक के जरिए देने की कोशिश कर रहा है. लेकिन कुरान की आयतों और 'अभेद्य दीवार' जैसे नामों का सहारा लेकर वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भ्रमित नहीं कर सकता. भारत की सेना ने आतंकी ठिकानों को नष्ट कर स्पष्ट कर दिया है कि सुरक्षा और अखंडता के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा.

पाक का दोहरा चरित्र उजागर

भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को उजागर किया है. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पाकिस्तान के इस प्रयास को स्थिति को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश बताया और कहा कि भारत की एकता ही पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. वहीं, सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी पाकिस्तान को 'ISIS का वारिस' बताते हुए कहा कि यह सब भारत में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश है.

पहलगाम में मारे गए थे 26 लोग

यह तनाव उस समय और बढ़ा जब 22 अप्रैल को पहलगाम में पाक समर्थित आतंकवादियों ने पर्यटकों को कलमा पढ़वाकर गैर-मुस्लिमों की पहचान की और उन्हें गोली मार दी. यह हमला न केवल बर्बर था, बल्कि पाकिस्तान की सांप्रदायिक सोच और आतंक को धर्म से जोड़ने की प्रवृत्ति को उजागर करता है. जनरल मुनीर की हालिया टिप्पणी भी इसी मानसिकता की पुष्टि करती है जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान को ‘दो अलग कौमें’ बताया.

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