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आखिरी उम्मीद अभी भी बाकी! निमिषा प्रिया की फांसी को लेकर आगे आए ग्रांड मुफ्ती, कब और कहां होगी मीटिंग?

यमन में हत्या के आरोप में फांसी की सजा पा चुकी भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को दी जानी है फांसी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, अब कोई विकल्प नहीं बचा. लेकिन ग्रांड मुफ्ती कंठपुरम के हस्तक्षेप और सूफी विद्वान शेख हबीब की कोशिशों से अंतिम समय में उम्मीद जगी है. 'ब्लड मनी' ही अब बचा सकता है निमिषा को.

आखिरी उम्मीद अभी भी बाकी! निमिषा प्रिया की फांसी को लेकर आगे आए ग्रांड मुफ्ती, कब और कहां होगी मीटिंग?
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( Image Source:  X/AIIndia )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 15 July 2025 10:44 AM

भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई को फांसी दी जानी है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को साफ़ कह दिया है कि फांसी रोकने के सारे विकल्प खत्म हो चुके हैं. अब कोई कानूनी या कूटनीतिक रास्ता नहीं बचा है जिससे इस सज़ा पर रोक लगाई जा सके. यह बयान उस वक्त आया जब देशभर में निमिषा को बचाने की मांग तेज़ हो रही है.

हालांकि, देश के ग्रांड मुफ्ती कंठपुरम एपी अबूबकर मुसलियार के हस्तक्षेप से उम्मीद की एक किरण फिर जगी है. उन्होंने यमन के प्रमुख सूफी विद्वान शेख हबीब उमर से अपील की, जिन्होंने तत्काल अपने प्रतिनिधियों के ज़रिए यमन सरकार, न्यायिक अधिकारियों और मृतक के परिवार से बातचीत शुरू कर दी है. इस आपात बैठक में यमन के आदिवासी नेताओं की भी मौजूदगी थी.

ब्लड मनी पर बनी है सारी बात

भारत सरकार का साफ़ कहना है कि जब तक मृतक के परिजन 'ब्लड मनी' (दया के बदले क्षतिपूर्ति) स्वीकार नहीं करते, तब तक निमिषा को फांसी से बचाना नामुमकिन है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस मामले में पूरी स्थिति रिपोर्ट मांगी है. इससे पहले केंद्र ने यमन के अभियोजक को पत्र लिखकर और शेख के ज़रिए मध्यस्थता की कोशिश भी की थी.

यमन में नहीं है भारतीय दूतावास, बनी मुश्किल

भारत सरकार ने यह भी बताया कि यमन में भारतीय दूतावास न होने से स्थिति और भी जटिल हो गई है. केंद्र की दलील है कि युद्धग्रस्त यमन में सरकार की मौजूदगी और हस्तक्षेप की क्षमता बेहद सीमित है. इसके बावजूद सरकार फांसी रुकवाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, चाहे वह धार्मिक नेताओं के ज़रिए हो या कूटनीतिक संपर्कों के माध्यम से.

कौन हैं निमिषा प्रिया?

केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली निमिषा प्रिया 2008 में नर्स के रूप में काम करने यमन गई थीं. वहां उन्होंने एक स्थानीय नागरिक के साथ बिज़नेस पार्टनरशिप की. जुलाई 2017 में कथित रूप से अपने पार्टनर की हत्या के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया. 2020 में उन्हें दोषी ठहराया गया और 2023 में यमन की सर्वोच्च अदालत ने उनकी अंतिम अपील भी खारिज कर दी.

अब तक की सबसे चुनौतीपूर्ण दया याचिका

यह मामला भारतीय इतिहास में उन चुनिंदा केसों में गिना जा रहा है जहां एक भारतीय महिला नागरिक को विदेशी भूमि पर फांसी की सज़ा मिलने जा रही है और केंद्र सरकार खुले तौर पर कह रही है कि वह कुछ नहीं कर सकती. ऐसे में धार्मिक नेताओं की पहल और ब्लड मनी की स्वीकृति ही निमिषा के जीवन की अंतिम डोर बची हुई है.

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