कनाडा में अब 28 अप्रैल को होंगे चुनाव, PM मार्क कार्नी ने अचानक क्यों लिया यह फैसला?
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने रविवार को 28 अप्रैल को संघीय चुनाव कराने का एलान किया, ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा घोषित 'अनुचित' टैरिफ से अर्थव्यवस्था के समक्ष उत्पन्न खतरे से निपटने के लिए एक मजबूत जनादेश प्राप्त किया जा सके. कार्नी ने इस महीने की शुरुआत में पीएम के रूप में शपथ ली थी.

Mark Carney Canada Federal Elections 2025 Announcement: कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने 28 अप्रैल को आकस्मिक संघीय चुनाव कराने की घोषणा की है. यह निर्णय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 'अनुचित' टैरिफ और संप्रभुता संबंधी खतरों के बीच लिया गया है.
कार्नी, जो इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री बने हैं, एक मजबूत जनादेश की तलाश में हैं ताकि वे इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें. उन्होंने कहा, "हम अपने जीवनकाल के सबसे महत्वपूर्ण संकट का सामना कर रहे हैं, जो राष्ट्रपति ट्रंप की अनुचित व्यापारिक कार्रवाइयों और हमारी संप्रभुता के प्रति उनके खतरों के कारण उत्पन्न हुआ है."
20 अक्टूबर को होने थे आम चुनाव
इससे पहले, कनाडा में आम चुनाव 20 अक्टूबर को होने वाले थे, लेकिन कार्नी ने लिबरल पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री के रूप में अपनी हालिया नियुक्ति के बाद अपनी उल्लेखनीय समर्थन का लाभ उठाने के लिए यह कदम उठाया है. उनका मानना है कि एक मजबूत और सकारात्मक जनादेश के माध्यम से वे कनाडा में निवेश, निर्माण और एकता को बढ़ावा दे सकते हैं.
कार्नी, जो दो बार केंद्रीय बैंकर रह चुके हैं, के पास राजनीतिक या अभियान का पूर्व अनुभव नहीं है. उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है, और कनाडा की अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव पड़ सकता है.
14 मार्च को प्रधानमंत्री के रूप में मार्क कार्नी ने ली शपथ
मार्क कार्नी 14 मार्च को कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उन्होंने जस्टिन ट्रूडो का स्थान लेने के लिए हुए चुनाव में पूर्व वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड को हराकर 86 फीसदी वोट हासिल किया था. इससे पहले, जनवरी में ट्रूडो ने एलान किया था कि वे नौ साल से ज्यादा समय तक सत्ता में रहने के बाद पद छोड़ देंगे.
2015 से सत्ता में है लिबरल पार्टी
आगामी चुनावों में कार्नी की लिबरल पार्टी का मुख्य मुकाबला कंजर्वेटिव पार्टी से होगा. लिबरल पार्टी 2015 से सत्ता में है. वह इस साल की शुरुआत में कंजरवेटिव पार्टी से पीछे थी, लेकिन अब आगे हो गई है. देश की जनता अब इस बात का निर्णय करेगी कि वे इन चुनौतियों का सामना करने के लिए किसे उपयुक्त मानते हैं.