अरे तुम तो भूत... बीमारी के कारण लंदन में भारतीय से भेदभाव, आत्मविश्वास से भर देगी अमित घोष की कहानी
Birmingham News: लंदन के बर्मिंघम में रहने वाले 35 साल के भारतीय मूल के अमित घोष बचपन से जेनेटिक बीमारी न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 1 से पीड़ित हैं. इस बीमारी की वजह से उनके चेहरे पर गांठें होती हैं और उनकी शक्ल दूसरों से अलग दिखती है. इसलिए कई जगह पर उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा. हाल ही में लंदन के कैफे में उन्हें सर्विस देने से भी मना कर दिया गया.

Birmingham News: कहते हैं सेहत की संपत्ति है. अगर हम ठीक रहे तो मुश्किल से मुश्किल काम कर लेते हैं, लेकिन इसके बाद भी कोई न कोई रोग लग ही जाता है. लंदन के बर्मिंघम में रहने वाले 35 साल के भारतीय मूल के अमित घोष एक अजीब बीमारी से पीड़ित हैं. जिसके कारण उन्हें सामाजिक भेदभाव और दुर्व्यवहार का भी सामना करना पड़ रहा है.
जानकारी के अनुसार, अमित घोष एक जेनेटिक बीमारी न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 1 से पीड़ित हैं. उनका कहा है कि लंदन के एक कैफे में सिर्फ उनके चेहरे की वजह से उन्हें सर्विस देने से मना कर दिया. इस बीमारी की वजह से उनके चेहरे पर गांठें होती हैं और उनकी शक्ल दूसरों से अलग दिखती है. कई लोगों ने उनकी तुलना भूत से कर दी.
कैफे में सर्विस देने से किया मना
अमित ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में अपने साथ हुए, दुर्व्यवहार के बारे में बताया. अमित ने कहा, उस दिन कैफे में हर कोई उन्हें घूर रहा था, जिससे उन्हें ऐसा महसूस हुआ मानो वो कोई भूत हों. जिस महिला से मैंने ऑर्डर देने की कोशिश की, उसने मुझे देखकर कहा- हम अब और ऑर्डर नहीं ले रहे. फिर वह मुड़ी और चली गई, लेकिन साफ दिख रहा था कि वहां और लोगों को सर्व किया जा रहा था.
क्या है बीमारी?
उन्होंने कहा कि मेरा जन्म इस बीमारी के साथ हुआ. न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस टाइप 1 में शरीर की नसों पर कैंसर रहित ट्यूमर उग आते हैं. बचपन में 11 साल की उम्र में उन्हें अपनी बाईं आंख की सर्जरी करवानी पड़ी, जिससे उनका चेहरा और अधिक असमान्य दिखने लगा. स्कूल में उन्हें तानों और बदसलूकी का सामना करना पड़ा. एक बार हैलोवीन से पहले एक स्टूडेंट ने मजाक उड़ाते हुए कहा था कि उन्हें मास्क पहनने की जरूरत नहीं पड़ेगी, ये बात अमित को इतनी गहराई तक चुभी कि उन्होंने लंबे समय तक अपना चेहरा छिपाकर रखना शुरू कर दिया.
क्रिकेट ने बदली जिंदगी
अमित ने बताया कि उन्हें क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है, जिससे मेरा जीवन बदला. स्कूल में क्रिकेट खेलते हुए उन्हें दोस्तों का साथ मिला, आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने अपनी पहचान को सिर्फ शक्ल तक सीमित न रखकर अपने हुनर से जोड़ लिया. हालांकि कई बार लोगों के सवाल जारी रहे कि इसका चेहरा कैसा है क्यों है? इन सब कुछ का सामना करते हुए उन्होंने अमित ने Born Different बुक लिखी. अब अमित स्कूलों में जाकर बच्चों को उनके अलग होने को गर्व से अपनाने की प्रेरणा देते हैं.
सोशल मीडिया पर एक्टिव
अमित की पत्नी पियाली ने उनका हर मोड़ पर साथ दिया. उन्होंने 2023 में टिकटॉक पर अपनी कहानी शेयर करनी शुरू की. उनके 2 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हो गए और करोड़ों लोगों ने उनके वीडियो पसंद किए. बता दें कि अब अमित अपनी पुरानी नौकरी छोड़कर फुल टाइम मोटिवेशनल स्पीकर बन चुके हैं, और युवाओं को सिखा रहे हैं कि सच्चा आत्मविश्वास कैसे पाया जाता है. उनका कहना है कि हमारे शरीर में या जीवन में कोई भी परेशानी हो, हमें हमेशा खुद से प्यार करना चाहिए.