भारत की आपत्ति के बावजूद हसीना ने बनाया था आर्मी चीफ, अब यूनुस सरकार से बढ़ रहा टकराव... कहानी वाकर-उज-जमान की
साल 2024 में सत्ता परिवर्तन के दौरान वाकर-उज-ज़मान ने अपनी भूमिका से बांग्लादेश की राजनीति में हलचल मचा दी. उन्हें शेख हसीना की सरकार के खिलाफ छात्र आंदोलन के दौरान सेना प्रमुख नियुक्त किया गया, जिसने देश में बड़े राजनीतिक संकट को जन्म दिया. 5 अगस्त 2024 को उन्होंने देश को संबोधित करते हुए कहा कि शेख हसीना ने देश छोड़ दिया है और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को अस्थायी सरकार बनाने के लिए जिम्मेदार ठहराया. इसके बाद देश में हिंसक प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया.

Bangladesh Army Chief Waker-Uz-Zaman: बांग्लादेश में अगस्त 2024 में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद देश की राजनीतिक स्थिति में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और भारत में शरण लेने के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है. इस परिवर्तन में सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज़-ज़मान की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, जिन्होंने हसीना के इस्तीफे की घोषणा की थी.
जनरल जमान ने अंतरिम सरकार को समर्थन देने और 18 महीनों के भीतर आम चुनाव कराने की प्रतिबद्धता जताई है. हालांकि, मार्च 2025 में उन पर आरोप लगे कि उन्होंने मुहम्मद यूनुस की नियुक्ति का विरोध किया था और हसीना की पार्टी, अवामी लीग, को बिना मुकदमे के राजनीति में वापस लाने का प्रस्ताव दिया था. इससे सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में व्यापक आलोचना हुई.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सामने हैंं कई चुनौतियां
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं, जिनमें कानून व्यवस्था की स्थिति, बढ़ता इस्लामी कट्टरवाद, और आर्थिक संकट शामिल हैं. मुहम्मद यूनुस ने देश में लोकतंत्र बहाल करने और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का वादा किया है. हालांकि, उनकी सरकार को विपक्षी दलों और सेना से समर्थन की आवश्यकता है.
भारत ने वाकर उज जमान को सेना प्रमुख बनाने का किया था विरोध
जब जनरल वाकर-उज़-ज़मान को बांग्लादेश का सेना प्रमुख नियुक्त किया जा रहा था, भारत की खुफिया एजेंसियों ने दक्षिण ब्लॉक को सतर्क किया था कि इस नियुक्ति को लेकर ढाका को सावधान किया जाए. अवामी लीग के शीर्ष सूत्रों के अनुसार, जिनका नेतृत्व अब निर्वासन में है, भारत की ओर से यह आशंका जताई गई थी कि ज़मान का झुकाव पाकिस्तान की ओर हो सकता है.
सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उस समय की प्रधानमंत्री शेख हसीना से संपर्क कर ज़मान की नियुक्ति के खिलाफ सलाह दी थी. तकनीकी कारणों के साथ-साथ यह भी तर्क दिया गया था कि ज़मान उस समय स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ स्थिति में नहीं थे और दो बेहतर उम्मीदवारों को नजरअंदाज़ कर दिया गया. फिर भी, हसीना ने अपने निजी रिश्तों को प्राथमिकता देते हुए उन्हें नियुक्त कर दिया, क्योंकि ज़मान उनके रिश्तेदार हैं.
40 साल का है जमान का सैन्य करियर
ज़मान का सैन्य करियर लगभग 40 वर्षों का रहा है. उन्होंने बांग्लादेश मिलिट्री एकेडमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है, साथ ही उन्होंने किंग्स कॉलेज लंदन से रक्षा अध्ययन में मास्टर्स भी किया है. प्रधानमंत्री कार्यालय के अंतर्गत सशस्त्र बल डिवीजन में प्रमुख स्टाफ अधिकारी के रूप में काम करते हुए उन्होंने हसीना का विश्वास हासिल किया.
सेना प्रमुख बनने के 22 दिन बाद शुरू हुआ छात्र आंदोलन
23 जून 2024 को सेना प्रमुख बनने के 22 दिन बाद ही देश में छात्र आंदोलनों की लहर उठी, जो अंततः सरकार विरोधी जनांदोलन में बदल गई. 5 अगस्त को ज़मान ने टीवी पर देश को संबोधित कर हसीना के इस्तीफे और देश छोड़ने की घोषणा की. इसके साथ ही, उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन का एलान किया. इस घटनाक्रम ने ढाका में उथल-पुथल मचा दी.
ये भी पढ़ें :भारत को दोतरफा घेरने की तैयारी में चीन और पाकिस्तान, बांग्लादेश बना पुल; क्या कश्मीर के बाद अब पूर्वोत्तर निशाने पर?2024 में सत्ता परिवर्तन के दौरान वाकर-उज़-ज़मान ने अपनी भूमिका से बांग्लादेश की राजनीति में हलचल मचा दी। उन्हें शेख हसीना की सरकार के खिलाफ छात्र आंदोलन के दौरान सेना प्रमुख नियुक्त किया गया, जिसने देश में बड़े राजनीतिक संकट को जन्म दिया। 5 अगस्त 2024 को उन्होंने देश को संबोधित करते हुए कहा कि शेख हसीना ने देश छोड़ दिया है और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को अस्थायी सरकार बनाने के लिए जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद देश में हिंसक प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया।
जनरल जमान की पत्नी, सहरनाज़ कमालिका रहमान, पूर्व सेना प्रमुख जनरल मुस्ताफिज़ुर रहमान की पुत्री हैं और शेख हसीना की दूर की भतीजी हैं. इस पारिवारिक समीकरण ने भी ज़मान की नियुक्ति में अहम भूमिका निभाई. हालांकि, मई 2025 तक आते-आते यूनुस की सरकार और सेना के बीच तनाव खुलकर सामने आने लगा है. ढाका में खुलेआम यूनुस के इस्तीफे की चर्चा हो रही है.
यूनुस ने पद छोड़ने की जताई इच्छा
'द डेली स्टार' की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनुस ने अपने सलाहकारों की बैठक में पद छोड़ने की इच्छा जताई. नागरिक पार्टी के संयोजक नाहिद इस्लाम, जो यूनुस के उत्तराधिकारी माने जा रहे हैं, ने भी बीबीसी बंगला को दिए साक्षात्कार में इसकी पुष्टि की.
क्यों सेना से हो रहा यूनुस का टकराव?
यूनुस के कार्यकाल में 2009 के खूनी विद्रोह के दोषी करीब 300 सैनिकों की रिहाई और इस्लामी चरमपंथी अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के प्रमुख जसीमुद्दीन रहमानी जैसे लोगों की बढ़ती भूमिका सेना को असहज कर रही है. सेना को सबसे अधिक नाराजगी अमेरिका के हस्तक्षेप से है, जिसे वह संप्रभुता का उल्लंघन मान रही है. यूनुस के सैन्य सलाहकार जनरल कमरुल हसन की अमेरिकी अधिकारी ट्रेसी ऐन जैकब्सन से मुलाकात को ज़मान अमेरिकी समर्थन से उन्हें हटाने की साजिश के रूप में देख रहे हैं.
हालांकि, जमान यूनुस को तुरंत हटाने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसा कहना जल्दबाजी होगा, लेकिन यह तय है कि वे चाहते हैं कि यूनुस पद छोड़ें. जब कोई सेना प्रमुख विदेशी हस्तक्षेप की बात करता है, तो जनता का समर्थन उसकी ओर झुक सकता है.