कभी बॉलीवुड की बिंदास 'क्वीन' रहीं कंगना रनौत अब भाजपा की "बोल्ड ब्रांड एंबेसडर" बन चुकी हैं. एयरपोर्ट लुक में महंगी साड़ी, काले चश्मे और हाई हील्स में चलतीं तो हैं किसी रैंप पर, लेकिन बोलती हैं जैसे पूरे देश का पॉलिसी ड्राफ्ट उन्होंने ही लिखा हो. अभिनय से राजनीति तक पहुंचने की यात्रा में वो जहां भी जाती हैं, साथ लाती हैं एक बयान – जिसमें कंट्रोवर्सी फुल टॉस पर हिट होती है. कभी इंडस्ट्री को 'गटर' कहने वाली कंगना अब उसी इंडस्ट्री की नब्ज़ पर पल्स पकड़ रही हैं, जब फिल्म खुद की होती है, तो वही 'गटर' अचानक 'ग्लैमर' बन जाता है. करण जौहर को नेपोटिज़्म का जनक बताने वाली कंगना खुद जब सत्ता की गोद में बैठीं, तो सवाल उठा कि क्या विरोध सिर्फ़ तब तक था जब तक दरवाज़े बंद थे? अब सांसद बनी हैं, लोकतंत्र की खूबी है कि कोई भी चुनाव लड़ सकता है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हर विषय पर बिना तथ्यों के भाषण शुरू कर दिया जाए, चाहे वो भारत की आज़ादी को 'भीख' बताना हो, मुंबई को 'POK' कहना हो या अमेरिका के ट्रंप को 'सच्चा मर्द' करार देना. कंगना को शायद ये भ्रम हो गया है कि जब तक बयान तेज़ न हों, तब तक पब्लिक अटेंशन नहीं मिलता.