दून स्कूल में मौजूद 'मजार' पर बवाल, यहां पढ़े थे पूर्व पीएम और राहुल गांधी
उत्तराखंड में स्कूल की दीवार की दीवार को तोड़ दिया गया. इसे तोड़ने वालों का कहना है कि स्कूल में CM धामी के आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा था और मजार का निर्माण किया जा रहा था. हालांकि इस पर जिला प्रशासन की ओर से इनकार किया गया कि उन्होंने इसे तोड़ने के आदेश नहीं जारी किए हैं.

उत्तराखंड दहरादून में दक्षिणपंथी संगठन ने बोर्डिंग स्कूल की दीवार फांदकर स्कूल में हो रही दीवार फांदकर एक स्ट्रक्चर को मजार बताकर तोड़ दिया गया. वहीं दीवार तोड़ने वाले संगठन का दावा है कि एक मजार को तोड़ा गया था. जिसका निर्माण स्कूल के अंदर किया जा रहा था. बता दें कि इस स्कूल से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का भी रिश्ता रहा है.
इस स्कूल से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी समेत, कई नेता जैसे राहुल गांधी, ज्योतिरादित्या सिंधिया, नवीन पटनायक, अमिताव घोष और विक्रम सेठ जैसी बड़े दिग्गजों ने भी इस स्कूल से पढ़ाई की है. लेकिन अब इसकी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकी चार से पांच लड़कों के ग्रुप ने स्कूल की दीवार फांदकर दीवार को 'मजार' बताते हुए ध्वस्त कर दिया. इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसपर खूब बवाल हो रहा है.
कई दिग्गज हस्तियों के बच्चे करते हैं पढ़ाई
सोशल मीडिया पर वीडियो के वायरल होने पर स्कूल की सुरक्षा नियमों का उल्लंघन पर ध्यान खींचा है. इसे लेकर सुरक्षा पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकी स्कूल में दिग्गज हस्तियों के बच्चे पड़ते हैं. वहीं जब जिन लोगों ने दीवार को गिराया था. उन्होंने इस कार्रवाई को सही ठहराया है. दीवार गिराने को लेकर देहरादून जिला प्रशासन से भी कई सवाल किए गए. जिसपर उनकी प्रतिक्रिया सामने आई है.
CM के आदेशों का हो रहा था उल्लंघन
वहीं सनातन संस्कृति के अध्यक्ष राधा धोनी ने यह दावा करते हुए कहा कि इस 'मजार' को स्कूल परिसर में हाल ही में तैयार किया गया था. लेकिन ऐसे पब्लिक संस्थाओं में धार्मिक स्ट्रक्चर का निर्णाण नहीं होना चाहिए. दरअसल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पब्लिक संस्थाओं में ऐसे धार्मिक स्ट्रक्चर पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया था. उनके इसी फैसले का उल्लघंन करने का दावा सनात संस्कृति के अध्यक्ष ने किया है.
नहीं दिया कोई आदेश
इस मामले पर जिला प्रशासन से दीवार गिराने को लेकर सवाल किया गया. प्रशासन ने इस सवाल पर इनकार करते हुए कहा कि 'हमारी टीम को जब इस मामले की जानकारी मिली तो हमारी टीम स्कूल पहुंची. आसपास के लोगों से बातचीत के बाद यह जानकारी सामने आई कि जिस दीवार को तोड़ा गया वो स्कूल कैंपस के अंदर ही थी. इस पर प्रशासन का की कोई भूमिका नहीं थी.
उन्होंने कहा कि जब स्कूल ऑथोरिटीज से इस संबंध में हमने संपर्क किया तो उन्होंने दावा करते हुए कहा कि यह एक पुराना संरचना थी जिसे पहले तैयार किया गया था. लेकिन इसकी मरम्मत करवाई जा रही थी. उन्होंने कहा कि यह साफ है कि इसे नया बनाया गया था. बस कुछ ही समय पुराना था. उन्होंने कहा कि मैं अपने घर की छत से यह देख सकता था कि हालही में निर्माण कार्य शुरू हुआ था. यह स्पष्ट रूप से प्रार्थना के लिए एक कब्र जैसी संरचना थी, स्कूल परिसर में इसकी अनुमति क्यों दी गई थी और जब हमने स्कूल स्टाफ से सवाल किया तो हमें अंदर प्रवेश करने से रोका गया.