दलित IAS की कुत्ते से तुलना पर बवाल, जानें कौन हैं Brajesh Sant जिस पर पूर्व CM ने कह डाली ये बात
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान से विवाद गहरा गया है. उन्होंने दलित IAS और खनन सचिव ब्रजेश संत की कुत्ते से तुलना कर दी, जिससे राजनीतिक बवाल मच गया। ब्रजेश संत एक वरिष्ठ IAS अधिकारी हैं और वर्तमान में उत्तराखंड के खनन सचिव हैं. वे इससे पहले परिवहन सचिव, एमडीडीए उपाध्यक्ष और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे हैं. प्रशासनिक सुधारों और पारदर्शिता के लिए जाने जाने वाले संत के खिलाफ की गई इस टिप्पणी पर IAS एसोसिएशन ने कड़ा विरोध जताया है.
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार से भाजपा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) के एक बयान ने राजनीतिक विवाद को और भड़का दिया है. उन पर आरोप है कि उन्होंने दलित आईएएस अधिकारी और राज्य के खनन सचिव ब्रजेश कुमार संत (Brajesh Kumar Sant) के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी की है. इस बयान के बाद उत्तराखंड आईएएस एसोसिएशन (Uttarakhand IAS Association) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और औपचारिक रूप से अपना विरोध दर्ज कराते हुए इसकी निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया.
शुक्रवार को संसद में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड में अवैध खनन का मुद्दा उठाते हुए दावा किया कि राज्य में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है. इस पर खनन सचिव ब्रजेश संत ने रावत के आरोपों को भ्रामक और तथ्यहीन बताया. अगले दिन, जब दिल्ली में त्रिवेंद्र रावत से ब्रजेश संत की प्रतिक्रिया पर सवाल किया गया, तो उन्होंने एक विवादित टिप्पणी कर दी. उन्होंने कहा— 'क्या कहें? शेर कुत्तों का शिकार नहीं करते'.
रावत के इस बयान को ब्रजेश संत के खिलाफ जातिगत अपमान के रूप में देखा जा रहा है, जिससे राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भारी प्रतिक्रिया सामने आई है. दलित संगठनों और विपक्षी दलों ने इसे अस्वीकार्य बताते हुए तीखा विरोध जताया है, जिससे राज्य में बयानबाजी और राजनीतिक तनाव बढ़ गया है. इस बीच, हरिद्वार के डीएम ब्रजेश संत के संघर्ष और प्रशासनिक जीवन को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है. आइए, जानते हैं उनके जीवन और करियर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें.
बृजेश कुमार संत एक वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं, जो प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शी नीतियों के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है और अपने कार्यकाल के दौरान पारदर्शिता और जनहित को प्राथमिकता दी है. बृजेश कुमार संत की शिक्षा और प्रारंभिक जीवन के बारे में सार्वजनिक जानकारी सीमित है, लेकिन सिविल सेवा में उनकी सफलता यह दर्शाती है कि उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में उच्च स्थान प्राप्त किया था.
प्रशासनिक करियर और संघर्ष-
2021 में एमडीडीए (MDDA) के उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्ति-
2021 में, बृजेश संत ने मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) के उपाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया. कार्यभार संभालते ही उन्होंने मास्टर प्लान को प्रभावी ढंग से लागू करने, पारदर्शिता बढ़ाने और नागरिकों को अधिक सहूलियत देने पर जोर दिया. उन्होंने नक्शा पास करने में आ रही दिक्कतों को दूर करने और वन टाइम सेटलमेंट स्कीम के अधिकतम लाभार्थियों तक पहुंचने के निर्देश दिए.
खनन सचिव के रूप में कार्यकाल और विवाद-
उत्तराखंड में खनन सचिव के रूप में तैनाती के बाद, बृजेश संत को राज्य के खनन से जुड़े मामलों को संभालने की जिम्मेदारी दी गई. हाल ही में, पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अवैध खनन के मुद्दे पर उनकी आलोचना करते हुए एक विवादास्पद बयान दिया. इस बयान को जातिसूचक माना गया, जिससे IAS एसोसिएशन ने कड़ा विरोध जताया और इसे निंदनीय करार दिया.
उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा नोटिस-
2025 में, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार को बृजेश संत को एक साथ छह विभागों का कार्यभार सौंपने पर नोटिस जारी किया. यह मामला उत्तराखंड टैक्सी मैक्सी महासंघ की याचिका पर आधारित था, जिसमें कहा गया कि इतने विभागों की जिम्मेदारी के कारण प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं. बृजेश कुमार संत एक संघर्षशील और निष्ठावान अधिकारी हैं, जिन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए प्रशासनिक सुधारों और पारदर्शिता पर जोर दिया है. विवादों और चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाया है, जिससे वे उत्तराखंड प्रशासन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं.





