Delhi Blast में मंगेतर बनी फ़रिश्ता, शॉपिंग करने गए हर्षुल को स्कूटी से पहुंचाया अस्पताल; सिर में आए 10 टांके
दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार शाम का वो वक्त किसी भी सामान्य दिन की तरह था. लेकिन कुछ ही सेकंड में सब कुछ तबाह हो गया. एक आई-20 कार में हुए भीषण धमाके ने पूरे इलाके को दहला दिया. इस हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए. उन्हीं में से एक थे उत्तराखंड के गदरपुर निवासी हर्षुल, जो अपनी शादी की तैयारियों के लिए दिल्ली आए थे. कौन जानता था कि खरीदारी के बाद घर लौटते वक्त ज़िंदगी का सबसे भयावह मंजर उनका इंतज़ार कर रहा होगा.
दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार शाम का वो वक्त किसी भी नॉर्मल दिन की तरह था. लेकिन कुछ ही सेकंड में सब कुछ तबाह हो गया. एक आई-20 कार में हुए भीषण धमाके ने पूरे इलाके को दहला दिया. उत्तराखंड के गदरपुर के रहने वाले हर्षुल अपनी मंगेतर के साथ शॉपिंग के लिए दिल्ली आए थे.
जहां वह भी इस धमाके की चपेट में आ गया. उस समय आसपास का नज़ारा खौफनाक था, धुआं, चीखें और भगदड़. लेकिन इस अफरातफरी में उसकी मंगेतर ने हिम्मत नहीं हारी. वह घायल हर्षुल को किसी मदद का इंतजार किए बिना खुद अपनी स्कूटी पर अस्पताल लेकर पहुंची.
शादी की खुशियों के बीच मौत का साया
जनवरी में शादी के बंधन में बंधने की तैयारी कर रहे हर्षुल सोमवार को अपनी मंगेतर शिवाली, मां अंजू सेतिया और छोटे भाई के साथ चांदनी चौक में शादी की शॉपिंग करने गए थे. परिवार ने दिनभर खरीदारी करने के बाद लौटने का फैसला किया, लेकिन लाल किले के पास पहुंचते ही खुशियों का यह सफर अचानक खौफ में बदल गया. पीछे से आई एक i20 कार में भीषण धमाका हुआ, जिसकी आवाज़ से पूरा इलाका दहल उठा. धमाका उनकी कार से करीब सौ मीटर की दूरी पर हुआ था, लेकिन विस्फोट की ताकत इतनी जबरदस्त थी कि आसपास खड़ी कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं. चीख-पुकार और अफरातफरी के बीच हर्षुल बुरी तरह घायल हो गए.
मंगेतर ने दिखाई हिम्मत, स्कूटी पर पहुंचाया अस्पताल
उस अफरातफरी के माहौल में हर कोई अपनी जान बचाने में लगा था, लेकिन हर्षुल की मंगेतर शिवाली ने डर को दरकिनार कर हिम्मत दिखाई. उन्होंने एक राहगीर से स्कूटी मांगी और घायल हर्षुल को खुद अस्पताल पहुंचाया. उस वक्त उनका चेहरा खून से सना हुआ था और सिर पर गहरी चोटें थीं. डॉक्टरों ने बताया कि उनके सिर पर 10 टांके लगाने पड़े. अस्पताल पहुंचने के बाद पुलिस और प्रशासन ने भी तुरंत मदद की.
मां की आंखों में आज भी है डर का साया
हर्षुल की मां अंजू सेतिया आज भी उस रात को याद कर कांप उठती हैं. वह बताती हैं कि ब्लास्ट के बाद चारों तरफ जले हुए लोग पड़े थे, कारों में आग लगी थी और सड़क पर अफरा-तफरी मच गई थी. वह कहती हैं, “वो कुछ पल जैसे मौत के मुंह में झांकने जैसे थे.”
सीएम धामी ने रखा संपर्क, परिवार ने जताया आभार
घटना की जानकारी मिलते ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हर्षुल के पिता संजीव सेतिया से बात की और अस्पताल प्रशासन को बेहतर इलाज के निर्देश दिए. सीएम लगातार परिवार से संपर्क में रहे, जब तक हर्षुल डिस्चार्ज नहीं हो गए. अब वह अपने घर लौट चुके हैं, लेकिन उस ब्लास्ट का खौफ आज भी पूरे परिवार की आंखों में ताजा है. खुशियों के बीच आया वह हादसा उनके दिल में एक गहरी याद बनकर रह गया है.





