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दूसरों के बच्‍चों के लिए बने फरिश्‍ता, खुद की जुड़वा बच्चियों को ही नहीं बचा सके; याकूब मंसूरी का दर्दनाक किस्‍सा

झांसी अस्पताल में हुए हादसे को शायद ही कोई भूल पाया हो. आग लगने के बाद कई माता-पिता ने उम्मीद की थी कि किसी तरह सुरक्षित उनके बच्चों को बाहर निकाल लिया जाए. लेकिन ऐसा न हो सका. याकूब मंसूरी जिसकी इस समय खूब चर्चा हो रही है. लेकिन इस बीच एक और परिवार ने उसी हादसे में अपने बच्चे को खो दिया है.

दूसरों के बच्‍चों के लिए बने फरिश्‍ता, खुद की जुड़वा बच्चियों को ही नहीं बचा सके; याकूब मंसूरी का दर्दनाक किस्‍सा
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( Image Source:  Social Media: X )
सार्थक अरोड़ा
Edited By: सार्थक अरोड़ा

Updated on: 18 Nov 2024 3:18 PM IST

झांसी अस्पताल में जिस समय आग लगी थी. उस दौरान अस्पताल के ठीक बाहर ही दो जुड़वा बच्चों के पिता याकूब मंसूरी भी अस्पताल के बाहर मौजूद थे. बताया गया कि आग लगने की सूचना मिलने के बाद से ही याकूब ने बहादुरी दिखाई और अस्पताल में मौजूद अन्य बच्चों को बाहर निकालना शुरू किया. लेकिन इस दौरान वह खुद की दो बेटियों की जान नहीं बचा पाए.

वहीं उस दौरान स्थिति कैसी थी. याकूब ने बताया कि आग इतनी गहरी थी कि इसका सामना कोई नहीं कर पाया. यह काफी डरा देने और दुख देने वाला था. उन्होंने कहा कि आग की लपटे इतनी घहरी थी. वहीं इस दौरान मोहोबा के रहने वाले एक व्यक्ति कुलदीप सिंह ने भी बच्चों को बचाने में मदद की थी.

दवा लेने गया था बाहर

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कुल्दीप का बेटा भी इसी अस्पताल में एडमिट था. लेकिन जिस दौरान यह हादसा हुआ उस समय कुलदीप मौके पर मौजूद नहीं था. अपने बेटे के लिए दवाई लेने के लिए वह बाहर गया हुआ था. उसी दौरान पत्नी ने जानकारी दी कि अस्पताल में आग लग गई. जब तक वह बच्चे को बचाने पहुंचा तब तक आग बढ़ चुकी थी. वह उसे बचा नहीं पाया. बता दें कि कुल्दीप सिंह ने भी अपनी जान पर खेलकर 54 बच्चों में से 5 बच्चों की जान तो बचाई लेकिन इस दौरान वह खुद के बेटे को नहीं बचा सका. हालांकि कुछ समय तक उसे बच्चा नहीं मिला था. जिससे एक आस एक उम्मीद थी कि उसका बच्चा जिंदा है. लेकिन वो आस तब टूटी जब पता चला कि उसका बच्चा इस दुनिया में नहीं रहा.

खिड़की तोड़ी और घुसे अंदर

वहीं याकूब मंसूरी ने घटना पर कहा कि आग की लपटे भीषण थी. बच्चों को बचाने का यह प्रयास आसान नहीं था. दरवाजे नहीं खुल पा रहे थे. जिसके बाद उन्होंने दरवाजे की खिड़की तोड़ी और अंदर घुस गए. याकूब ने कहा कि इस दौरान मैं उस वॉर्ड में नहीं जा पाया जिसमें मेरी बेटियों को रखा गया था. क्योंकी आग इतनी तेज थी. उसके साथ-साथ अन्य परिवारों ने भी कोशिश की लेकिन वो भी कुछ नहीं कर पाए. फिर हमने अन्य वार्डों से शिशुओं को बचाना शुरू किया.

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