'पत्रकारों पर नहीं होना चाहिए केस दर्ज, उन्हें फ्रीडम ऑफ स्पीच का अधिकार' सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
उत्तर प्रदेश से एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जहां एक पत्रकार ने सरकार पर जातिगत पक्षपात का आरोप लगाने वाले आर्टिकल लिखा था. इसके बाद पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की मुसीबत बढ़ गई. अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले में कहा कि पत्रकार के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जाना चाहिए. इस आर्टिकल के संबंध में 20 सितंबर को लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज प्राथमिकी में उनका नाम दर्ज किया गया.

Supreme Court: मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है. पत्रकार अलग-अलग माध्यम से जनता की बात और सरकारी से जुड़ी जानकारी हमारे सामने रखते हैं. संविधान का अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा की जाती है. लेकिन कई बार उनकी आवाज को दबाया भी जाता है.
उत्तर प्रदेश से एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जहां एक पत्रकार ने सरकार पर जातिगत पक्षपात का आरोप लगाने वाले आर्टिकल लिखा था. इसके बाद पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की मुसीबत बढ़ गई. अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले में कहा कि पत्रकार के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जाना चाहिए.
पत्रकार अभिव्यक्ति की आजादी
इस मामले पर शुक्रवार 4 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. केस की सुनवाई न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने की. पीठ ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों में अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा की जाती है. अभिषेक उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश में "सामान्य प्रशासन की जाति गतिशीलता" पर एक समाचार रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की है.
सरकार की आलोचना
पीठ ने कहा, "केवल इसलिए कि किसी पत्रकार के लेखन को सरकार की आलोचना माना जाता है, लेखक के खिलाफ आपराधिक मामला नहीं चलाया जाना चाहिए." पीठ ने कहा, आर्टिकल के संबंध में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाना चाहिए."
अभिषेक उपाध्याय की याचिका
अभिषेक उपाध्याय ने अपने ऊपर हो रही कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उनके वकील अनूप अवस्थी ने दलील दी कि एफआईआर में कोई अपराध नहीं है. उन्हें सिर्फ टारगेट किया जा रहा है. इस आर्टिकल के संबंध में 20 सितंबर को लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज प्राथमिकी में उनका नाम दर्ज किया गया.
पत्रकार पर दर्ज की गई FIR
पत्रकार की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया कि इस कहानी को यदि उसके मूल स्वरूप में भी लिया जाए तो भी इसमें किसी अपराध के होने का खुलासा नहीं हुआ है. "इस अदालत में आने का कारण यूपी पुलिस के आधिकारिक एक्स हैंडल द्वारा कानूनी कार्रवाई की धमकी है और याचिकाकर्ता को यह जानकारी नहीं है कि इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश या कहीं और उसके खिलाफ कितनी अन्य एफआईआर दर्ज हैं."