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जब मंच पर मुलायम सिंह यादव ने दरोगा को उठाकर पटका, सियासत में भी विरोधियों को चटाई धूल; किस्‍से नेता जी के

मुलायम सिंह यादव भारतीय राजनीति के ऐसे नेता थे, जिन्होंने भारतीय समाजवाद को मजबूती दी और उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना विशेष स्थान बनाया. वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. उन्हें मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

जब मंच पर मुलायम सिंह यादव ने दरोगा को उठाकर पटका, सियासत में भी विरोधियों को चटाई धूल; किस्‍से नेता जी के
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 22 Nov 2024 12:11 PM IST

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की 22 नवंबर को जयंती है. अखाड़े में पहलवानी के दाव-पेंच आजमाने वाले मुलायम सिंह यादव ने राजनीतिक करियर के दौरान प्रतिद्वंदियों को पटखनी दी. उनकी गिनती प्रदेश ही नही बल्कि देश के दिग्गज नेताओं में होती है.

मुलायम सिंह यादव भारतीय राजनीति के ऐसे नेता थे, जिन्होंने भारतीय समाजवाद को मजबूती दी और उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना विशेष स्थान बनाया. वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. उन्हें मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

शिक्षक से बने नेता

मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था. वे एक साधारण किसान परिवार से आते थे. अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने एक स्कूल में शिक्षक के रूप में काम किया. हालांकि, उनकी रुचि हमेशा समाज सेवा और राजनीति में रही. उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरणा ली और समाजवादी आंदोलनों से जुड़ गए. मुलायम ने जल्दी ही महसूस किया कि शिक्षा के माध्यम से वे समाज में बदलाव लाने की तुलना में राजनीति के जरिए अधिक प्रभाव डाल सकते हैं. 1967 में वे पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने. यह उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत थी, जिसने उन्हें देश के प्रमुख नेताओं में से एक बना दिया.

पुलिसवाले को मंच पर ही पटका

राजनीति में आने से पहले मुलायम सिंह यादव को कुश्ती का बेहद शौक था. वे अपने गांव में पहलवानी करते थे और इस खेल को अपनी ताकत और मेहनत का प्रतीक मानते थे. उनकी कुश्ती की ट्रेनिंग ने उनके व्यक्तित्व में संघर्ष और आत्मविश्वास जैसे गुण विकसित किए. उनके कुश्ती के अनुभव ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाया, जिससे वे राजनीतिक जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना कर पाए.

मुलायम सिंह को लेकर एक किस्‍सा बहुत मशहूर है. हालांकि यह उन दिनों की बात है जब‍ उन्‍होंने सियासत में कदम नहीं रखा था. साल था 1960, जगह थी मैनपुरी, करहल के जैन इंटर कॉलेज में एक कवि सम्‍मेलन चल रहा था. वहां सरकार के खिलाफ एक मशहूर कवि कविता पाठ कर रहे थे. तभी वहां तैनात पुलिस वाले ने उन्‍हें रोकने की कोशिश की. जब बात नहीं बनी तो उसने माइक तक छीन लिया. इस बहस के बीच दर्शकों के बीच बैठा 21 साल का युवक अचनाक वहां पहुंचा और उस पुलिसवाले को वहीं मंच पर पटक दिया. ये जवान कोई और नहीं मुलायम सिंह यादव ही थे.

इस वजह से कहे गए 'मुल्‍ला मुलायम'

मुलायम सिंह यादव का कार्यकाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कई चुनौतियों से भरा रहा. 1990 में जब वे मुख्यमंत्री थे, तब राम मंदिर आंदोलन ने पूरे देश में हलचल मचा दी थी. उस समय अयोध्या में कारसेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद पर कब्जा करने की कोशिश हो रही थी. मुलायम सिंह ने अपने राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए. उन्होंने पुलिस को विवादित स्थल की रक्षा करने का आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप अयोध्या में कई कारसेवकों की मौत हुई. इस घटना के बाद वे अपने समर्थकों के बीच 'मुल्ला मुलायम' के नाम से भी मशहूर हो गए. हालांकि, इस फैसले की वजह से उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी, लेकिन उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाने में कोई समझौता नहीं किया.

'नेताजी' के नाम है ये रिकॉर्ड

मुलायम सिंह यादव ने अपने 57 साल के लंबे राजनीतिक सफर में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं. वे 9 बार विधायक चुने गए और 1996 से 2019 के बीच 7 बार लोकसभा के सदस्य बने. इसके साथ ही उन्होंने तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला. यही वजह है कि उन्हें भारतीय राजनीति में एक खास स्थान दिलाती है, जिसे अब तक कोई और नहीं छू पाया. 'धरती पुत्र' कहे जाने वाले समाजवादी नेता ने 10 अक्टूबर 2022 को दुनिया को अलविदा कहा. उनकी असाधारण सेवा और योगदान के सम्मान में वर्ष 2023 में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से नवाजा गया.

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