IIT कानपुर की छात्रा ने ऑनलाइन रस्सी मंगवाकर किया सुसाइड, लिखा पांच पेज का सुसाइड नोट
पीएचडी छात्रा, प्रगति, ने आत्महत्या कर ली. घटनास्थल से प्राप्त सुसाइड नोट में प्रगति ने खुद को ही अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया. मनोचिकित्सकों के अनुसार, "प्रगति की आत्महत्या का फैसला आवेश में लिया हुआ नहीं लग रहा, क्योंकि कोई भी व्यक्ति आवेग में इतने लंबे सुसाइड नोट नहीं लिखता." जानें मामले में अब तक क्या-क्या आया सामने.

IIT Suicide Case : आईआईटी कानपुर की एक पीएचडी छात्रा, प्रगति, ने आत्महत्या कर ली, जिसके बाद से संस्थान और समाज में सवाल खड़े हो गए हैं. घटनास्थल से प्राप्त सुसाइड नोट में प्रगति ने खुद को ही अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया. पांच पन्नों के इस नोट में उसने खुद को आलसी बताते हुए लिखा कि वह एक्टिव नहीं थी, आलसी थी, दोस्तों से जुड़ नहीं पाती थी और खुद को बेहद अकेला महसूस करती थी. यह नोट रोमन भाषा (अंग्रेजी लिपि में हिंदी) में लिखा गया था और उसके मानसिक संघर्ष की एक साफ तस्वीर दिखाता है.
मनोचिकित्सकों के अनुसार, प्रगति की आत्महत्या का फैसला आवेश में लिया हुआ नहीं लग रहा, क्योंकि कोई भी व्यक्ति आवेग में इतने लंबे सुसाइड नोट नहीं लिखता. लंबे समय से अवसाद और मानसिक तनाव में रहने वाले व्यक्ति अपने मन की बात व्यक्त करने के लिए अक्सर सुसाइड नोट लिखते हैं. हालांकि, हर मामले की परिस्थितियां अलग होती हैं, फिर भी प्रगति के मामले में उसका तनाव लंबे समय से बना हुआ था.
सुसाइड नोट - 'जीवनभर का डिप्रेशन है सर'
प्रगति ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि वह लंबे समय से डिप्रेशन से जूझ रही थी. उसने एक क्लास की घटना का जिक्र किया, जब एक प्रोफेसर ने उसे काउंसलिंग करवाने की सलाह दी. प्रगति ने लिखा, "प्रोफेसर को क्या बताऊं कि यह जीवनभर का डिप्रेशन है, एक काउंसलिंग सेशन से थोड़े ही ठीक होगा." इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि वह लंबे समय से अवसाद में थी और उसे यह विश्वास था कि उसकी समस्या का हल काउंसलिंग से नहीं हो सकता.
मेधावी छात्रों का आत्महत्या करना: एक मिथ
मनोचिकित्सक डॉ. गणेश शंकर का मानना है कि मेधावी छात्र भी आत्महत्या कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि मेधावी छात्र संवेदनशील होते हैं और छोटी-छोटी असफलताएं भी उन्हें हिला देती हैं. प्रगति का मामला भी इसी श्रेणी में आता है, क्योंकि वह अपनी असफलताओं से जूझ रही थी, जो उसे मानसिक तनाव का कारण बन रही थीं.
प्रगति के सुसाइड नोट के कुछ पन्ने अधूरे थे. मनोचिकित्सक डॉ. आलोक बाजपेई का कहना है कि यह मानसिक उथल-पुथल का संकेत हो सकता है. अधूरे पन्ने उसके मन में चल रही असमंजस की स्थिति को दर्शाते हैं. यह भी संभव है कि वह कुछ पन्नों पर लिखना चाहती थी, पर मानसिक अशांति के कारण वह उन्हें अधूरा छोड़ गई.
आईआईटी में तनाव और छात्रों की काउंसलिंग की कमी
आईआईटी कानपुर के काउंसलिंग टीम में डॉ. आलोक बाजपेई का कहना है कि - "संस्थान के छात्र-छात्राओं में कुछ मस्त हैं तो कुछ तनाव में हैं. किसी को परिवार से तो किसी को रिलेशनशिप का इश्यू है. सीधे पढ़ाई के तनाव को लेकर छात्र कम आते हैं, खराब नंबरों से परिवार परेशान होगा इसका प्रेशर ज्यादा होता है. उन्होंने कहा कि छात्र काउंसलिंग का फॉलोअप नहीं करते. एक दो सेशन में ठीक होने पर वह कटने लगते."
प्रगति के आत्महत्या के बाद छात्रों में चिंता और सवाल
प्रगति की आत्महत्या के बाद आईआईटी के छात्रों में चिंता है. वे संस्थान के कार्यवाहक निदेशक और डीन ऑफ स्टूडेंट अफेयर्स से मिले और सवाल किए कि आखिर क्यों प्रगति ने आत्महत्या की. छात्रों ने सुसाइड नोट परिवार को सौंपने की भी मांग की. संस्थान में प्रगति की मौत के बाद से माहौल बेहद सन्नाटे में है, और कई छात्र छुट्टियों पर चले गए हैं.
प्रगति के परिजनों ने बताया कि सुसाइड नोट में उसने किसी को दोषी नहीं ठहराया है, लेकिन उनके अनुसार, संस्थान में प्रोफेसर और शोधार्थियों के बीच तालमेल की कमी प्रगति की आत्महत्या का एक बड़ा कारण हो सकता है. प्रगति के पिता का कहना है कि शिक्षक और छात्रों के बीच बॉस और टीम के रिश्ते की तरह काम होना चाहिए, न कि अधीनस्थ की तरह.
प्रगति की मां- नहीं दिया सुसाइड नोट
शुक्रवार को प्रगति की मां ने कहा कि- 'बेटी प्रगति बहादुर थी, वह आत्महत्या नहीं कर सकती. उसकी मौत की खबर गुरुवार दोपहर दो बजे दी गई. उसके पास मिला सुसाइड नोट भी पुलिस ने अभी तक परिवार को नहीं दिया है. जांच के नाम पर मोबाइल भी रख लिया.' यह आरोप बेटी की मौत से बदहवास हुई मां संगीता ने लगाए. संगीता का कहना है कि आईआईटी प्रशासन ने ही बेटी की जान ली है.
संस्थान को मॉनिटरिंग और काउंसलिंग पर देना होगा ध्यान
प्रगति की मौत के बाद उसके परिवार और दोस्तों ने आईआईटी प्रशासन पर आरोप लगाया है कि छात्रों की काउंसलिंग और मॉनिटरिंग को लेकर प्रशासन की नीतियां कमजोर हैं. छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना और नियमित मॉनिटरिंग करना बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके.