9 साल की उम्र में हुई किडनैपिंग, 30 साल तक करनी पड़ी गुलामी; अब परिवार से ऐसे मिला शख्स
किस्मत का खेल भी निराला होता है. अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता कि कब और कैसे बिछड़ों को मिला दें. कुछ ऐसा ही हुआ गाजियबाद के रहने वाले एक लड़के के साथ. 9 साल की उम्र में किडनैप होने के बाद भेड़ बकरियों के साथ रहने पर मजबूर किया गया.

किस्मत भी कितनी अजीबो-गरीब होती है. कभी सालों के बिछड़ों को मिला देती है, तो कभी जिंदगी भर के लिए सुनापन दे जाती है. यह चमत्कार नहीं, तो और क्या है जब एक 9 साल का लड़का पूरे 30 साल बाद अपने परिवार वालों से मिलता है. इस दौरान इस लड़के ने गुलामों जैसी जिंदगी बिताई है.
यह बात सिंतबर 1993 की है, जब भीम की किडनैपिंग के तुरंत बाद उसके परिवार वालों को फिरौती के लिए कॉल आया था. इसके बाद पुलिस की तलाशी और फॉलो-अप से कुछ नहीं मिला. वहीं, परिवार वालों को भी भीम का कुछ पता नहीं चला. इसके बाद परिवार अपने गम के साथ आगे बढ़ गया, लेकिन 'क्या होगा अगर' का सवाल उनके अंदर गहराई से दबा हुआ था.
क्या है मामला?
भीम का अपहरण 9 साल की उम्र में हुआ था, जब वह अपनी बहन के साथ स्कूल से घर लौट रहा था. भीम को अगवा करने के बाद उसे राजस्थान ले जाया गया और किडनैपर्स ने उसे एक चरवाहे को बेच दिया था. वह दिन भर भेड़-बकरियां पालता था और रात में जानवरों के बगल में एक शेड में खाना खाता और सोता था. इतना ही नहीं भीम को जंजीरों से बांध दिया जाता था ताकि वह भाग न सके. ज्यादातर दिनों में उसे खाने के लिए रोटी का एक टुकड़ा और पीने के लिए कुछ कप चाय मिलती थी. 30 साल तक यही उसकी जिंदगी रही. पूरी तरह से कैद में और बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं.
पुलिस स्टेशन में हुई मुलाकात
अपने बेटे की किडनैपिंग की वजह से पिता तुलाराम ने रिटायरमेंट के बाद दादरी वापस न जाने का फैसला किया. क्या होगा अगर लड़का एक दिन घर लौट आए और उन्हें ढूंढ़े? इसलिए तुलाराम ने अपनी रिटायरमेंट के बाद का प्लान बदल दिया और गाजियाबाद में शहीद नगर में परिवार के घर के पास एक आटा चक्की खोली. परिवारवालों में से किसी को भी विश्वास नहीं था कि वे कभी भीम को फिर से देख पाएंगे. 26 नंवबर को कुछ ऐसा हुआ, जिसे देख विश्वास करना मुश्किल था. इस दिन दोनों गाजियाबाद के खोड़ा पुलिस स्टेशन में आमने-सामने टकराए.
पुलिस ने की मदद
साहिबाबाद के एसीपी रजनीश उपाध्याय ने बताया कि भीम पिछले शनिवार दोपहर खोड़ा पुलिस स्टेशन में एक पत्र लेकर आया था. यह पत्र दिल्ली के उस बिजनेसमैन का था जिसने उसे बचाया था. भीम ने पुलिस को बताया कि वह नोएडा में कहीं का रहने वाला है. उसे गाजियाबाद या शहीद नगर के बारे में कुछ याद नहीं. उसने यह भी बताया कि उसके माता-पिता और चार बहनें हैं और वह इकलौता बेटा है. इतना ही नहीं, भीम ने तुलाराम के अलावा कई दूसरे नाम भी बताए. इसके बाद पुलिस ने पुरानी फाइलें खंगालीं, तो उन्हें साहिबाबाद पुलिस स्टेशन में 8 सितंबर 1993 को दर्ज किडनैपिंग की एफआईआर मिली.