देव दीपावली के बीच 'बंटोगे तो कटोगे', वाराणसी के पांडे घाट पर दियों से बनाई नारे की तस्वीर
15 नवंबर को काशी में भव्य देवी दीपावली मनाई गई. काशी के सभी 84 घाटों को लाखों दिए सजाए गए. लेकिन सबका ध्यान पांडेय घाट पर जलते दियों पर गया. यहां पर दियों से एक आकृति बनाई गई जो चर्चा में आ गई. जिसमें बंटोगे तो कटोगे नारे की तरह लिखा हुआ प्रतीत हुआ. इस दौरान घाट पर मौजूद लोगों ने अपने मोबाइल फोन में इस तस्वीर को कैद कर लिया और देखते ही देखते फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

Dev Deepawali 2024: भगवान शिव की नगर काशी में शुक्रवार को बड़ी धूमधाम से देव दीपावली मनाई गई. पूरे शहर को फूलों और तरह-तरह की लाइटों से सजाया गया. हर कोई काशी की सुंरदता को देखकर हैरान हो गया. इस बीच इसमें देश की राजनीति में सबसे चर्चा में चल रहा है 'बंटोगे तो कटोगे' नारा पावन उत्सव में सुर्खियों में आ गया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 15 नवंबर को काशी में भव्य देवी दीपावली मनाई गई. काशी के सभी 84 घाटों को लाखों दिए सजाए गए. लेकिन सबका ध्यान पांडेय घाट पर जलते दियों पर गया. यहां पर दियों से एक आकृति बनाई गई जो चर्चा में आ गई.
दियों से बनाई आकृति
काशी के पांडेय घाट पर जियों से एक आकृति बनाई गई, जिसमें बंटोगे तो कटोगे नारे की तरह लिखा हुआ प्रतीत हुआ. इस दौरान घाट पर मौजूद लोगों ने अपने मोबाइल फोन में इस तस्वीर को कैद कर लिया और देखते ही देखते फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. एबीपी न्यूज से आकृति को तैयार करने वाले सुनील कुमार से बात की. उन्होंने बताया कि देश में सभी लोग एक साथ मिलकर के साथ राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं. सबको अपने-अपने कर्तव्य का बोध होना चाहिए और कोई भी खुद को अलग ना समझे यही संदेश देना चाहते हैं.
काशी में दिखा अद्भुत नजारा
वाराणसी को लाइटों और दियों से सजाया गया. रात होते हैं पूरा बनारस जगमगाने लगा. गंगा किनारे साढ़े 7 किलोमीटर तक जगमग हो उठे. लगभग 17 लाख दीपों से काशी को सजाया गया था. इस दौरान पर्यटकों ने इस अलौकिक नजारे को देखा तो बस देखते ही रह गए. घाटों पर देवलोक के साक्षात अलौकिक दृश्य ने लोगों का मन मोह लिया. जानकारी के अनुसार काशी में 3 लाख से अधिक दीये गाय के गोबर से बने हैं. घाट में गंगा आरती देखने के लिए पर्यटकों की भारी भीड़ देखने को मिली.
क्यों मनाते हैं देव दीपावली?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था.जो कि तारकासुर के तीन पुत्र थे- तारकाक्ष, कमलाकाक्ष और विद्युन्माली. इन लोगों ने तीनों लोकों में आतंक मचाना शुरू कर दिया. वे जहां जाते मनुष्यों पर अत्याचार करते फिर परेशान होकर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया. देवता भगवान शिव की इस विजय से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने काशी में दीप दान कर खुशियां मनाई. तभी से कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाने लगी.