अटल जयंती पर बड़ा संदेश! बुंदेलखंड राष्ट्र समिति ने अलग राज्य के लिए रिकॉर्ड 50वीं बार खून से लिखा खत, जंतर-मंतर पर दिया महाधरना
अटल बिहारी वाजपेयी जयंती पर जंतर–मंतर में आयोजित राष्ट्रीय राज्य पुनर्गठन महाधरना में बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के अध्यक्ष प्रवीण पांडेय ‘बुंदेलखंडी’ ने 50वीं बार खून से पत्र लिखकर पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग उठाई. देश के कई पिछड़े क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने कहा कि संतुलित विकास और ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य के लिए व्यापक राज्य पुनर्गठन जरूरी है. वक्ताओं ने क्षेत्रीय असंतुलन, पलायन और उपेक्षा को अलग राज्य की प्रमुख वजह बताया.
Bundelkhand Rashtra Samiti Jantar Mantar protest, Saperate Bundelkhand state demand: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर जंतर–मंतर पर आयोजित राष्ट्रीय राज्य पुनर्गठन महाधरना में बुंदेलखंड राज्य की मांग एक बार फिर जोरदार तरीके से उठी. इस दौरान बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पर्यावरण पहरूवा प्रवीण पांडेय ‘बुंदेलखंडी’ ने रिकॉर्ड 50वीं बार अपने खून से पत्र लिखकर केंद्र सरकार से पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग रखी.
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महाधरना में देश के कई पिछड़े और उपेक्षित क्षेत्रों, पूर्वांचल, बुंदेलखंड, विदर्भ, मराठवाड़ा, सीमांचल–कोसी, मिथिला और महाकौशल, के प्रतिनिधि शामिल हुए. वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि मौजूदा राज्य संरचना के साथ ‘विकसित भारत 2047’ का लक्ष्य हासिल करना संभव नहीं है.
'बुंदेलखंड राज्य की मांग कोई भावनात्मक मुद्दा नहीं'
प्रवीण पांडेय ‘बुंदेलखंडी’ ने कहा कि बुंदेलखंड राज्य की मांग कोई भावनात्मक मुद्दा नहीं, बल्कि संतुलित राष्ट्रीय विकास से जुड़ा एक संवैधानिक प्रश्न है. उन्होंने आरोप लगाया कि 1956 के राज्य पुनर्गठन के दौरान बुंदेलखंड के साथ ऐतिहासिक अन्याय हुआ, जिसे अब सुधारा जाना जरूरी है.
'जब तक क्षेत्रीय असंतुलन खत्म नहीं होगा, तब तक देश का समग्र विकास संभव नहीं'
बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के संगठन महामंत्री यज्ञेश गुप्ता ने कहा कि जब तक क्षेत्रीय असंतुलन खत्म नहीं होगा, तब तक देश का समग्र विकास संभव नहीं है. उन्होंने केंद्र सरकार से राज्य पुनर्गठन को लेकर समयबद्ध और स्पष्ट नीति घोषित करने की मांग की. वहीं, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंद्रभान राय ने कहा कि बुंदेलखंड के युवा, किसान और श्रमिक लंबे समय से उपेक्षा, बेरोजगारी और पलायन झेल रहे हैं, और पृथक राज्य ही उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान है.
'व्यापक राष्ट्रीय राज्य पुनर्गठन के बिना विकसित भारत की कल्पना अधूरी है'
इस मौके पर पूर्वांचल राज्य जनांदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुज राही ‘हिन्दुस्तानी’ ने कहा कि सरकार विकसित भारत 2047 की बात तो कर रही है, लेकिन उसका स्पष्ट रोडमैप जनता के सामने नहीं रखा गया है. उन्होंने कहा कि व्यापक राष्ट्रीय राज्य पुनर्गठन के बिना विकसित भारत की कल्पना अधूरी है. वहीं, बुंदेलखंड उत्सव समिति के उपाध्यक्ष राजन धमेरिया ने कहा कि 1956 में बुंदेलखंड को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बांटे जाने के बाद से यह क्षेत्र लगातार विकास से वंचित रहा है.
महाधरने में शामिल संगठनों ने सरकार से क्या मांग की?
महाधरना में संजय अग्रवाल, अजीत तिवारी, दीपक साहू, ज्ञानेश्वर कुशवाहा, शिवम् झा, सचिन ‘झांसीया’, हर्षित खन्ना, रोहित यादव, उत्कर्ष त्रिवेदी समेत सैकड़ों कार्यकर्ता और पदाधिकारी मौजूद रहे. महाधरना में शामिल सभी संगठनों ने केंद्र सरकार से पिछड़े क्षेत्रों का वैज्ञानिक पुनर्मूल्यांकन, व्यापक राष्ट्रीय राज्य पुनर्गठन, और पूर्वांचल, बुंदेलखंड, विदर्भ, मराठवाड़ा, मिथिला, सीमांचल–कोसी और हरित प्रदेश को अलग राज्यों के रूप में गठित करने की मांग दोहराई.





