बीजेपी ने आखिर ले ही लिया अयोध्या की हार का बदला, इन पॉइंट्स में समझें मिल्कीपुर की जीत के कारण
मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने सपा को करारी हार दी. भाजपा के प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान ने सपा के अजीत प्रसाद को बड़े अंतर से हराया. इस जीत में योगी आदित्यनाथ की रणनीति और यादव मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही. समाजवादी पार्टी द्वारा मित्रसेन यादव परिवार की अनदेखी और भाजपा के प्रभावी प्रचार ने इस चुनाव के परिणाम को प्रभावित किया.

मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान ने सपा उम्मीदवार अजीत प्रसाद को बड़े अंतर से हराया. इस उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ की मजबूत रणनीति और यादव वोटर्स की भूमिका ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यहां पर यादव मतदाताओं की संख्या 50-55 हजार के आसपास मानी जाती है, जो पहले सपा के लिए सुरक्षित मानी जाती थी. लेकिन इस बार यादव मतदाताओं ने अपना फैसला खुद लिया.
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को अयोध्या सीट से हार का सामना करना पड़ा, जो कि सभी के लिए एक चौंकाने वाली घटना थी. यह हार तब हुई, जब राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कुछ महीनों पहले ही की गई थी. सभी को उम्मीद थी कि भाजपा इस सीट को आसानी से जीत लेगी. हालांकि, अयोध्या के मतदाताओं ने सपा सांसद अवधेश प्रसाद को अपना प्रतिनिधि चुना. इसके बाद मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें भाजपा ने सपा से बड़ा बदला लिया. आइये जानते हैं कि मिल्कीपुर जीत के कौन कौन से कारण थे.
- बीजेपी की रणनीति: मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद इस चुनाव में प्रचार किया.
- यादव वोटरों का निर्णय: मिल्कीपुर में यादव वोटरों की संख्या महत्वपूर्ण थी, जो सपा के लिए एक सुरक्षित वोट बैंक मानी जाती थी, लेकिन इस बार उन्होंने सपा के बजाय भाजपा का समर्थन किया.
- मित्रसेन यादव का प्रभाव: 1960 के दशक से फैजाबाद इलाके में मित्रसेन यादव का गहरा प्रभाव था, जो सपा के लिए महत्वपूर्ण था, लेकिन अब यादव वोट बैंक भाजपा की ओर रुख कर गया.
- राजनीतिक विरासत का नुकसान: मित्रसेन यादव के परिवार का राजनीतिक असर गहरा था, और सपा ने उनके परिवार को पर्याप्त महत्व नहीं दिया, जिससे यादव समुदाय में सपा के प्रति नाराजगी बढ़ी. और उन्होंने भाजपा को समर्थन दिया.
- बीजेपी की प्रचार रणनीति: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर सीट को प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया और कई मंत्रियों को प्रचार में उतारा, जिससे भाजपा की स्थिति मजबूत हुई.
- अयोध्या हार के बाद का माहौल: अयोध्या में भाजपा की हार ने आस्थावान हिंदू मतदाताओं को झटका दिया, जिससे वे सपा के खिलाफ और भाजपा के पक्ष में खड़े हो गए.
- राम मंदिर का असर: राम मंदिर के निर्माण के बाद भाजपा की हार ने हिंदू समुदाय के बीच एकजुटता का माहौल पैदा किया और यह भाजपा के पक्ष में गया.
- समाजवादी पार्टी की नारा रणनीति: समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव में 'मथुरा ना काशी, मिल्कीपुर में अजीत पासी' का नारा दिया, लेकिन इससे हिंदू मतदाता सपा से दूर हो गए.
- चंद्रभानु पासवान की जीत: इन सभी कारणों से भाजपा उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान की जीत सुनिश्चित हो गई, जो बड़े अंतर से सपा के अजीत प्रसाद को हराकर चुनाव जीते.